मलेरिया
मलेरिया शरीर की प्रतिरोध क्षमता में तेजी से कमी लाता है. इस रोग की रोकथाम और इसके मरीजों के नि:शुल्क इलाज के लिए सघन कार्यक्रम चलाया है. आशा या सहिया को भी इस काम में लगाया गया है. मलेरिया के रोगियों की तलाश और उपचार के लिए आशा को प्रति मरीज 50 रुपये भी मिलते हैं. इस रोग के मरीज के खून की मुफ्त जांच, उसके उपचार और उसे दवा उपलब्ध कराने के लिए गांवों में ज्वर उपचार केंद्र और दवा वितरण केंद्र बनाये गये हैं. इन केंद्रों पर किसी भी तरह की फीस नहीं लगती. दवा और सभी सेवाएं मुफ्त में मिलती हैं. अगर आप मलेरिया से पीड़ित हैं या आपको लगातार बुखार आ रहा है, तो इन केंद्रों पर आयें या आशा से मिलें.
क्या है मलेरिया
मलेरिया एक वाहक जनित इन्फेक्शन है, जो एक विशेष जाति के मादा मच्छर के काटने से होता है. ये मच्छर हैं एनोफिलिस. ये मच्छर ग्लासमोडियम नामक जीवाणु को शरीर में पहुंचाते हैं.
कारण
भीड़ भाड़ वाले इलाकों, गंदे नालों, अंधेरी जगहों पर मलेरिया के मच्छर का पैदा होना.
एनोफिलिस जाति के मच्छर का काटना.
लक्षण
ठंड और कंपन के साथ मध्यम तेज बुखार का दो-चार दिन के अंतराल पर आना.
खूब पसीना आना, तेज सिर दर्द और पेट दर्द.
भूख न लगना और उल्टी की शिकायत.
लीवर की असामान्यता के कारण रक्त शर्करा कम होना, जिससे हाइपोग्लाइसिमिया के लक्षण प्रकट होते हैं.
झटका, बेहोशी या असामान्य व्यवहार सेरिब्रल मलेरिया हो सकती है.
बचाव
बरसात के मौसम में घर के शौचालय को साफ रखें.
घर के बेकार बरतनों में पानी जमा न होने दें.
पानी की टंकी को ढक कर रखें.
घर के आसपास गड्ढों में पानी जमा होने न दें.
एयरकंडीशनर आदि को साफ और सूखा रखें.
मलेरिया से बचाव का खोजा नया टीका
मलेरिया को रोकने के लिए नया टीका जल्द आ रहा है. आस्ट्रेलिया के शोधकर्ता का दावा है कि यह टीका मलेरिया से लड़ने में बड़ा कामयाब होगा. अभी कीनिया में मलेरिया के शिकार वयस्कों और बच्चों पर इसका प्रयोग किया गया है. शोध में मलेरिया की रोकथाम के लिए प्रतिरक्षा तंत्र को विकसित किया गया. यह मेलबर्न के बर्नेट इंस्टीटय़ूट के एक दल ने शोध तैयार किया है. दरअसल अब तक मलेरिया से बचाव की जितनी भी दवाइयां हैं, उनका प्रभाव घटने लगा है.
मधुमेह के मरीजों को मुफ्त दवा
मधुमेह एक गंभीर बीमारी है और शरीर के सभी अंगों को प्रभावित कर सकती है. अपनी जो जीवन शैली है, खान-पान है और काम का तनाव है, उसमें यह बीमारी किसी को भी हो सकती है. इसके मरीजों की संख्या बढ़ी है. देश में करीब पांच करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं और अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या 10 करोड़ तक पहुंच जायेगी. राज्य सरकार ने इसकी रोकथाम और इलाज के लिए विशेष अभियान चलाया है. इस अभियान के तहत आपके घर तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
अभियान के तहत तीन काम
लोगों को इससे बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है.
मधुमेह के मरीजों की पहचान के लिए कैंप लगाये जा रहे हैं और सर्वे कराया जा रहा है.
मधुमेह के मरीजों को मुफ्त दवा दी जा रही है.
आप इसका लाभ ले सकते हैं. अगर आप महसूस करते हैं कि आपमें मधुमेह के लक्षण हैं, तो निश्चित रूप से निकट के स्वास्थ्य केंद्र जायें और जांच करायें. अगर जांच में आपको मधुमेह से ग्रसित पाया गया, तो वहां आपका नि:शुल्क इलाज होगा.
क्या है मधुमेह
मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है. यह हमारे शरीर में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन का स्नव कम कर देता है, जिससे रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है. साथ ही रक्त कोलेस्ट्रॉल भी असामान्य हो जाता है. मरीज में आंख, गुर्दा, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर व घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है.
रोग का कारण
असंतुलित खान-पान
शारीरिक व्यायाम व श्रम में कमी
अधिक वजन
अनुवांशिक स्थिति
रोग के लक्षण
बार-बार पेशाब आना
वजन घटना
कमजोरी महसूस करना
अधिक प्यास लगना
बचाव
संतुलित भोजन
व्यायाम
तैरना
साइकिल चलाना
एनआरएचएम पर ग्रामीण स्वास्थ्य की बड़ी जवाबदेही
ग्रामीण समाज को स्वास्थ्य सेवा की गारंटी देने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानी एनआरएचएम देश भर में चल रहा है. यह मिशन ग्रामीणों, खास कर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं और बच्चों को समन्वित और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संचालित है. इसमें सभी तरह की बीमारियों के इलाज, ऑपरेशन, संस्थागत प्रसव, गर्भवती व धात्री माताओं व बच्चों का टीकाकरण व पोषण को शामिल किया गया है. इसमें चलंत और संस्थागत दोनों प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं.
लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यवस्था
एनआरएचएम के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य मुख्यालय से पंचायत स्तर तक संस्थागत और लोकतांत्रिक प्रणाली को विकसित किया गया है. इसमें ग्रामीण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति, निगरानी समिति, रोगी कल्याण समिति आदि को शामिल किया गया है. इसमें लोक भागीदारी को प्रमुखता दी गयी है.
ग्रामीण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति
इसका गठन पंचायत की निगरानी में किया जाना है तथा पूरे गांव को इसमें प्रतिनिधित्व मिलना है. इस पर स्वच्छता, पर्यावरण, स्वास्थ्य, पोषण और सुरक्षा की जिम्मेवारी होती है. समिति का गठन आम चुनाव से होता है.
हेपेटाइटिस-बी एचआइवी से ज्यादा संक्रामक
हेपेटाइटिस-बी एचआइवी से ज्यादा संक्रामक रोग है. यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से कम करता है. हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. करीब 5-6 प्रतिशत लोग लोग इसकी चपेट में हैं. यह लीवर में सूजन के साथ-साथ सिरोसिस एवं लीवर कैंसर को अंजाम दे सकता है, जो जानलेवा हो सकता है. इससे बचाव का सही उपाय हेपेटाइटिस-बी निरोधक टीकाकरण है. हेपेटाइटिस-बी वायरस के संक्रमण से होता है.
हेपेटाइटिस-बी होने के मुख्य कारण
इसके तीन मुख्य कारण हैं. पहला : हेपेटाइटिस-बी रोगी या हेपेटाइटिस संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क होने से. जैसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन, अपर्याप्त निर्जीवाणुकृत सिरिंज और सूई, कान छेदना, गोदना आदि. दूसरा : संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से. तीसरा : संक्रमित मां से गर्भ में भ्रूण को एवं संक्रमित मां द्वारा स्तनपान कराने से.
बचाव
संक्रमित मां से उसके बच्चे में बचाव एवं संक्रमित निडिल या सूई के चुभने पर बचाव के लिए सबसे प्रभावी तरीका हेपेटाइटिस-बी का टीका 12 घंटे के भीतर लगाना है. हेपेटाइटिस-बी के टीका तीन बार लगाये जाते हैं. पहले दो टीके एक-एक माह के अंतराल पर और तीसरा टीका पहले टीके के छह माह बाद.