एक अध्ययन के मुताबिक़ सीरिया में लड़ रहे कम से कम पंद्रह विद्रोही गुट अमरीकी गठबंधन के इस्लामिक स्टेट को हराने की स्थिति में इस्लामिक स्टेट की जगह लेने के लिए तैयार हैं.
पूर्व ब्रितानी प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर से जुड़े एक थिंकटैंक द सेंटर ऑन रिलिजन एंड जियोपॉलिटिक्स का कहना है कि 60 फ़ीसदी विद्रोही इस्लामी विचारधारा के हैं.
थिंकटैंक का तर्क है कि ‘उदारवादी’ और ‘उग्रवादी’ विद्रोहियों के बीच मतभेद की पश्चिमी देशों की नीति में ख़ामियां हैं.
पश्चिमी देशों ने सीरिया और इराक़ में तथाकथित इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ हमले तेज़ कर दिए हैं.

इस्लामिक स्टेट ने सीरिया और इराक़ के बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा किया है.
अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने सबसा बड़ा ख़तरा वो समूह हैं जो इस्लामिक स्टेट जैसी विचारधारा रखते हैं लेकिन जिन्हें नज़रअंदाज़ किया जा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक़ इनकी संख्या एक लाख तक हो सकती है.
सेंटर का कहना है कि "पश्चिमी देश सिर्फ़ इस्लामिक स्टेट पर ध्यान केंद्रित करके रणनीतिक नाकामी का ख़तरा उठा रहे हैं."

दुनिया के कई देशों के लड़ाके इस्लामिक स्टेट में शामिल हैं.
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि इस्लामिक स्टेट को हरा दिया गया तो तितर-बितर हुए लड़ाके और अन्य चरमपंथी ‘पश्चिमी देशों को बर्बाद करने’ के नाम पर सीरिया के बाहर हमले कर सकते हैं.
वहीं केंद्र का कहना है कि सर्वे में शामिल एक चौथाई लड़ाके इस्लामिक स्टेट की विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं.
लेकिन इनमें से भी बहुत से गृहयुद्ध के ख़त्म होने पर यदि इस्लामी सत्ता में आते हैं तो उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.
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