।। दक्षा वैदकर ।।
परीक्षा के वक्त कई बच्चे उकड़ू बैठने की वजह से फेल हो जाते हैं, नंबर कम पाते हैं. यहां उकड़ू बैठने का मतलब है आधा मन बनाने वाले लोग. ऐसे लोग किसी काम को करने के पहले किसी दूसरे काम के हो जाने का इंतजार करते हैं, अपने कामों को टालते हैं. बच्चे कहते हैं कि बस थोड़ी-सी झपकी ले लूं फिर पढ़ने बैठ जाऊंगा. बस एक सीरियल और देख लूं, उसके बाद पढ़ने जाऊंगा. उनका ये ‘बस’ कहना कभी खत्म नहीं होता. संक्षेप में कहें तो ऐसे व्यक्ति जो किसी ‘आतंरिक’ कार्य को करने से पहले ‘बाहरी’ परिवर्तनों के पूरा हो जाने की सूची बनाते हैं, वे बस उकड़ू स्थिति में बैठे रह जाते हैं.
क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं, जिसने वजन कम करने के लिए, स्कूल में वापस जाने के लिए, इंगलिश स्पीकिंग कोर्स करने के लिए, घर को सजाने के लिए, कार चलाना सीखने के लिए आधा मन बना चुका हो? आपको यह बता दें कि ‘आधा मन बनाने वाले’ और ‘बस शुरू करनेवाले’ दोनों तरह के लोग जो किसी काम को करने से पहले हर चीज के ‘बिल्कुल ठीक’ हो जाने का इंतजार करते हैं, उस काम को कभी भी नहीं कर पाते हैं. जो लोग एक सभा में अपना भाषण देने के लिए सभी के शांत हो जाने का इंतजार करते हैं, वे बोल ही नहीं पाते.
आप इस बात को जान लें कि जो भी है, वो अभी है. बाद में कुछ नहीं है. यदि आप ज्यादा देर तक उकड़ू की स्थिति में बैठे रहेंगे, तो हो सकता है कि कोई और व्यक्ति उस मौके को आपके हाथ से छीन ले. यह भी हो सकता है कि आप उकड़ू बैठे-बैठे ऊब जायें और फिर इस काम को करने का मन ही बदल दें. सबसे जरूरी बात जो इस स्थिति में रहने से होती है, वह है समय की बरबादी. जितनी देर आप सोचते हैं, उतनी देर का वक्त आप बरबाद करते हैं. बेहतर है कि जो भी काम करने का आपने मन बनाया है, उसे तुरंत पूरा करें. एक झटके के साथ उठें और जब तक वह काम खत्म न हो, चैन से न बैठें. किसी काम को पूरा करने का सबसे बेहतरीन तरीका यही है कि उस पर तुरंत काम शुरू कर दिया जाए.
बात पते की..
परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों को ध्यान देना होगा कि उनका एक-एक मिनट कीमती है. पढ़ाई को किसी भी अन्य चीज के लिए टालें नहीं.
किसी ने सच ही कहा है कि काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होयगी, बहुरी करेगा कब? इसलिए तुरंत काम पर लग जाएं.