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अपनी खूबी को पहचानें, प्रसन्न रहें

दक्षा वैदकर एक बार एक संत अपने आश्रम के नजदीक एक बगीचे में पहुंचे, तो देखते हैं कि सारे पेड़-पौधे मुरझाये हुए हैं. यह देख कर संत चिंतित हो जाते हैं और एक-एक कर उन सबसे उनकी हालत की वजह पूछने लगते हैं. पहले वे ओक के वृक्ष के पास जाते हैं और पूछते हैं. […]

दक्षा वैदकर

एक बार एक संत अपने आश्रम के नजदीक एक बगीचे में पहुंचे, तो देखते हैं कि सारे पेड़-पौधे मुरझाये हुए हैं. यह देख कर संत चिंतित हो जाते हैं और एक-एक कर उन सबसे उनकी हालत की वजह पूछने लगते हैं. पहले वे ओक के वृक्ष के पास जाते हैं और पूछते हैं. ओक का वृक्ष कहता है, मैं मर रहा हूं. क्योंकि, मुझे ईश्वर ने देवदार के जितना लंबा नहीं बनाया. संत ने देवदार की ओर देखा, तो उसके कंधे भी झुके हुए थे. वह इसलिए मुरझा गया था. क्योंकि, वो अंगूर के पेड़ की तरह फल नहीं दे पाता था. यही बात उसे खाये जा रही थी. वहीं, अंगूर की बेल इसलिए मरी जा रही थी. क्योंकि, उसके अनुसार वह गुलाब की तरह सुगंधित फूल नहीं दे पा रही थी. संत थोड़ा आगे बढ़े, तो उन्हें एक ऐसा पेड़ नजर आया, जो भरपूर खिला और ताजगी से भरा हुआ था. संत ने उससे पूछा- बड़े कमाल की बात है. मैं पूरे बगीचे में घूमा हूं. तुम एकमात्र संतुष्ट और शांत पेड़ मिले.

वह पेड़ बोला, ये सब अपनी खूबियां नहीं पहचानते. ये नहीं जानते कि वे भी अपने आप में बहुत विशेष हैं. ये केवल दूसरों की विशेषताओं पर अधिक ध्यान देते हैं. इसलिए दुखी हैं. जबकि, मैं जानता हूं कि मेरे मालिक ने मुझे लगाया है, तो उसके पीछे कोई उद्देश्य होगा. वो चाहता होगा कि मैं इस बगीचे की समृद्धि का हिस्सा बनूं. मैं खुश हूं. क्योंकि, मैं जानता हूं कि मेरा यहां होना बेकार नहीं है. इसलिए मैं किसी और की तरह बनने की बजाय खुद की क्षमताओं पर भरोसा करता हूं. यही मेरी प्रसन्नता का राज है.

दोस्तों, ओक, देवदार, अंगूर की तरह हम भी अपनी खूबियों को पहचानने की बजाय दूसरों की खूबियों को देख-देख कर जलते रहते हैं और दुखी रहने लगते हैं. किसी की आवाज अच्छी है और वह इसलिए काफी प्रसिद्ध है, तो हम यह सोच कर दुखी होते हैं कि हमारी आवाज ऐसी क्यों नहीं है? कोई मॉडल की तरह सुंदर दिखता है, तो हम अफसोस करते हैं कि हम भी इतने सुंदर क्यों नहीं हैं? हमें याद रखना होगा कि हर इंसान के भीतर कोई न कोई खूबी होती है, जरूरत है उस पर काम करने की और उसे दुनिया के सामने लाने की.

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

दूसरों की खूबियों को देख कर जलना बंद करें. आपके पास जो है, उसी में संतोष करना सीखें, वरना आप हमेशा दुखी रहेंगे.

भगवान ने हर इंसान को खास बनाया है. हर किसी में कोई न कोई खूबी जरूर दी है. उसे पहचानें और उस पर गर्व करें.फॉलो करें… फेसबुक पर www.facebook.com/successsidhi

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