दक्षा वैदकर
कल रात मैंने हॉलीवुड फिल्म ‘द वॉक’ देखी. यह कहानी है एक लड़के की, जिसने बचपन में सर्कस के एक शो में ऊंचाई पर तार के ऊपर चलते आदमी को देखा और देखता ही रह गया. उसने तय किया कि वह भी ऐसा ही करतब दिखायेगा. उसने गार्डन में दो पेड़ों के बीच लोहे का तार बांधा और प्रैक्टिस करने लगा. उसके पिता यह देख परेशान हो गये कि उनका बेटा पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर सर्कस का एक मामूली जोकर बन कर रह जायेगा. मगर, बेटा लक्ष्य से नहीं भटका.
इस तरह प्रैक्टिस करते-करते वह जवान हो गया. उसका केवल एक सपना था. वह न्यू यॉर्क के ट्वीन टावर्स की दोनों इमारतों के बीच तार बांध कर चलना चाहता था और मशहूर हो जाना चाहता था. लेकिन, उसके लिए उसे और अधिक ऊंचाई पर प्रैक्टिस करनी थी. एक रात वह चुपके से सर्कस के तंबू में घुसा और उस ऊंचे तार पर चलने के लिए खड़ा हो गया, जिस पर उसने उस आदमी को चलते देखा था. इसके पहले कि वह तार पर पहला कदम रखता, आदमी ने उसे देख लिया और जोर से चिल्लाने लगा. वह भागा. भागते-भागते उसने उस आदमी को अपने करतब दिखाये. वह उससे प्रभावित हो गया. उसने उसे तार पर चलना सिखाना शुरू कर दिया. तार किस तरह बांधा जाता है. वह कितना वजन सह सकता है.
चलते समय किन बातों पर ध्यान रखें, जैसे सारे टिप्स वह उसे देता. जब लड़के ने सारा ज्ञान अर्जित कर लिया, तो वह न्यू यॉर्क जा पहुंचा. वहां वह करीब तीन महीने रहा. वह रोजाना उस टावर पर वेश बदल-बदल कर जाने लगा. वह हर चीज की फोटो खींचता. देखता कि कर्मचारी कितने बजे आ जाते हैं. किस मंजिल तक जाने की इजाजत है. वह किस बहाने से छत तक पहुंच सकता है. उसने कुछ दोस्त बनाये, जो दोनों इमारतों के बीच तार बांधने में उसकी मदद कर सकें. एक रात वह दोस्तों के साथ इमारत की छत पर पहुंच गया. घंटों मेहनत के बाद उन्होंने मजबूत तार बांधे और सुबह के छह बजे वह उस पर चलने लग गया. पूरा शहर उसे देखने के लिए उमड़ पड़ा. वह फेमस हो चुका था. उसका सपना पूरा हो गया था.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
जब भी कोई सपना देखें, लक्ष्य तय करें, तो बिना ध्यान भटकाये केवल यह सोचें कि कैसे वह सपना पूरा हो सकता है. पहले सारा ज्ञान अर्जित करें.
लोग आप पर हंसेंगे कि आप यह फिजूल काम कर रहे हैं, लेकिन अगर आप खुद पर भरोसा रखेंगे, तो दुनिया आपको सलाम करेगी.फॉलो करें… फेसबुक पर www.facebook.com/successsidhi
ट्वीटर पर www.twitter.com/successsidhi