उच्च शिक्षा हासिल कर विश्वविद्यालय-कॉलेजों में अध्यापन के क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए आनेवाला समय संभावनाओं से भरा है.नये केंद्रीय विश्वविद्यालयों के खुलने और विभिन्न विश्वविद्यालयों में नयी रिक्तियां आने से यह क्षेत्र काफी आकर्षक बन गया है.लेकिन दूसरे क्षेत्रों के उलट यह क्षेत्र लंबी और समर्पणभरी तैयारी की मांग करता है. आइए जानें कैसे बढ़ाएं कदम शिक्षा की इस आकर्षक दुनिया में.
पिछले दिनों एमफिल और पीएचडी करने के बाद भी उम्मीदवारों को एकेडेमिक्स क्षेत्र में कदम बढ़ाने के लिए नेट उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता पर बहस छिड़ी थी. अंतत: इस शर्त को मान लिया गया. कहा गया कि मौजूदा समय में फैकल्टी की भारी कमी के कारण यह फैसला लिया गया है. सैम पित्रौदा की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में पहले से ही 1,500 विश्वविद्यालय हैं और अभी 14 नयी इनोवेशन यूनिवर्सिटीज खुलनी हैं. लेकिन मौजूदा विश्वविद्यालयों में ही फैकल्टी की कमी होने से नये विश्वविद्यालय इस स्थिति से कैसे निबटेंगे, यह समझना मुश्किल है. फिर भी उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाते समय अधिकांश युवाओं के जेहन में सपना होता है कि वे आनेवाले समय में कॉलेज, विश्वविद्यालय में पढ़ायेंगे. विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए न्यूनतम योग्यता के बारे में तो सब जानते हैं, पर उस योग्यता के साथ नौकरी पक्की नहीं होती है. इस क्षेत्र में सफलता अजिर्त करने के लिए उम्मीदवारों को लगातार अपनी योग्यता में इजाफा करना होता है.
कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ाने की शुरुआत असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से होती है. ज्यादातर जगहों पर आ रही रिक्तियों के विज्ञापन से पता चलता है कि इस पद के लिए चयन अब प्वॉइंट सिस्टम के माध्यम से होगा. डीयू, एएमयू के अलावा कई विश्वविद्यालयों में छात्रों की स्क्रीनिंग करने के लिए एकेडमिक एक्सीलेंस के विभिन्न पायदानों को प्वॉइंट सिस्टम के अंतर्गत रखा गया है.
पिछले दिनों आपने अखबार में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) आदि में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर आदि के लिए रिक्तियां देखी होंगी. यहां हम आपको विस्तार से जानकारी दे रहे हैं उन योग्यताओं के बारे में, जिन्हें हासिल कर आप विश्वविद्यालय, कॉलेज आदि में पढ़ाने के लिए अपनी सीट पक्की कर सकते हैं.
एमफिल से मिलता है मौका
अगर आपका लक्ष्य तय है, तो आप मास्टर्स करने के बाद एमफिल यानी मास्टर्स ऑफ फिलॉस्फी के लिए आवेदन कर सकते हैं. मास्टर्स में 55 फीसदी अंक धारक इसके लिए आवेदन करने के योग्य होते हैं. मास्टर्स के बाद एमफिल करने का निर्णय लेना आपकी उम्मीदवारी के लिए एक बेहतर कदम जरूर साबित होगा.
पीएचडी दिलाये एक्स्ट्रा प्वॉइंट
यदि एकेडमिक्स की ओर जाना ही आपका लक्ष्य है, तो मास्टर्स करने के बाद खुद को अच्छे संस्थान से पीएचडी के लिए तैयार करें. इसके लिए आपको अपनी शोध-रुचि के मुताबिक किसी विषय का चयन करना होगा और खुद को पीएचडी के लिए इनरोल करवाना होगा. अकादमिक जगत में पीएचडी की डिग्री सबसे अहम है. असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन करते समय इसके लिए अलग से प्वॉइंट निर्धारित किये जाते हैं. पीएचडी के बिना नौकरी मिलना मुश्किल है.
पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च को बनाएं अगला कदम
पीएचडी के बाद पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च आपके बायोडाटा में चार चांद लगाता है. अगर उम्मीदवार ने पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कर लिया है, तो उसे कॉलेज, विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अलग से प्वॉइंट मिलते हैं, जिससे वह उस सीट का मजबूत दावेदार बन जाता है.
रिसर्च और अध्यापन
अध्यापन ही आपका लक्ष्य है, तो बेहतर होगा कि अपनी उम्मीदवारी में प्वॉइंट्स की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार शोध से जुड़े रहें. शोध के क्षेत्र में सक्रियता आपको अपने क्षेत्र में अपडेट रखने के साथ ही ज्ञान के विस्तार में भी आपकी मदद करेगा.
बस इतना ही नहीं विभिन्न कॉलेज और विश्वविद्यालय एमए, एमफिल और पीएचडी या नेट के बाद एडहॉक बेसिस पर पढ़ाने का मौका देते हैं. इस दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर काम करने का मौका मिलता है. पढ़ाने के इस अनुभव के लिए आपको अध्यापन की पर्मानेंट नौकरी के लिए आवेदन करते वक्त अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्वॉइंट्स मिलते हैं.
पब्लिकेशन पर दें ध्यान
बस इतना ही नहीं. एमफिल, पीएचडी, रिसर्च, पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के दौरान किये गये शोध और नयी स्थापनाओं को आप पेपर के रूप में पब्लिश कराएं. किताब लिखना या किताब का कोई अध्याय लिखना भी आपको प्वाइंट दिलाता है. आपके कितने पेपर पब्लिश हुए हैं, प्वॉइंट सिस्टम में इसके भी प्वॉइंट्स मिलते हैं. अखबारों के लिए लिखे गये लेखों को भी प्वाइंट दिया जाता है. इसलिए अपने ज्ञान को न सिर्फ बढ़ाएं, बल्कि इसके अच्छे जगह से प्रकाशन पर भी ध्यान दें.
कैसा है प्वॉइंट सिस्टम
प्वॉइंट सिस्टम को बेहतर ढंग से समझने के लिए आपके सामने एक उदाहरण प्रस्तुत है. दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में आपकी प्रोफाइल के साथ ही प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए प्वॉइंट सिस्टम लागू किया जाता है. असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए 100 प्वॉइंट्स अलग से दिये जाते हैं.
कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए
एकेडेमिक क्वालिफिकेशन के लिए 55 प्वॉइंट दिये जाते हैं. इसमें अंडर ग्रेजुएट में 60 फीसदी या उससे कम पर 12 प्वॉइंट, पोस्ट ग्रेजुएशन में 60 फीसदी या उससे कम अंक पर 16 प्वॉइंट मिलते हैं. एमफिल के 10, पीएचडी के 17, नेट के लिए सात और नेट-जेआरएफ के 10 प्वॉइंट मिलते हैं.
रिसर्च पब्लिेकेशन के लिए कुल 25 प्वॉइंट. रिसर्च पेपर या रिव्यू आर्टिकल या कांफरेंस प्रोसीडिंग के लिए तीन और एक, बुक्स ऑथरशिप के लिए छह, बुक्स एडिटिंग के लिए चार, किताबों में चैप्टर्स के लिए दो, बुक्स या आर्टिकल्स ट्रांसलेटेड और पब्लिश्ड के लिए दो या एक, बुक रिव्यू या पॉपुलर आर्टिकल या न्यूजपेपर आर्टिकल के लिए एक प्वॉइंट मिलता है. पोस्ट पीएचडी रिसर्च अनुभव / टीचिंग अनुभव के लिए अधिकतम 20 प्वॉइंट्स मिलते हैं.
यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए
एकेडेमिक क्वालिफिकेशन के लिए 47 प्वॉइंट दिये जाते हैं. इसमें अंडर ग्रेजुएट में 60 फीसदी या उससे ज्यादा के लिए 10 प्वॉइंट, पोस्ट ग्रेजुएशन में 60 फीसदी या उससे ज्यादा अंक पर 15 प्वॉइंट मिलते हैं. एमफिल के पांच, पीएचडी के 17, नेट के लिए तीन और नेट-जेआरएफ के पांच मिलते हैं. अगर एमफिल और पीएचडी दोनों की है या इंटीग्रेटेड कोर्स के रूप में किया है, तो दोनों योग्यता के लिए कुल 17 प्वॉइंट दिये जायेंगे.
रिसर्च पब्लिेकेशन के लिए कुल 33 प्वॉइंट्स मिलते हैं. रिसर्च पेपर या रिव्यू आर्टिकल या कांफरेंस प्रोसीडिंग के लिए पांच और दो, बुक्स ऑथरशिप के लिए आठ, बुक्स एडिटिंग के लिए छह, किताबों में चैप्टर्स के लिए चार, बुक्स या आर्टिकल्स ट्रांसलेटेड और पब्लिश्ड के लिए चार या दो, बुक रिव्यू या पॉपुलर आर्टिकल या न्यूजपेपर आर्टिकल के लिए दो प्वॉइंट्स मिलेंगे.
पोस्ट पीएचडी रिसर्च अनुभव / टीचिंग अनुभव के लिए 20 प्वॉइंट्स मिलेंगे.
नोट : डीयू के 100 प्वॉइंट्स के बारे में विस्तार से जानने के लिए क्लिक करेंhttp://www.du.ac.in/fileadmin/DU/about_du/PDF/17102013_ Guidelines%20for%20Asstt.%20Professor.pdf
क्या है न्यूनतम योग्यता
देश के किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने के लिए मास्टर्स डिग्री में कम से कम 55 फीसदी अंकों का होना जरूरी होता है. (अनुसूचित जाति, जनजाति और विकलांग उम्मीदवारों के लिए 50 फीसदी) साथ ही यूजीसी/ सीएसआइआर द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट)/ राज्यों द्वारा आयोजित किये जानेवाले स्टेट लेवल एलिजिबिलिटी टेस्ट (स्लेट) / स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट फॉर लेक्चररशिप (सेट) पास होना भी आवश्यक है. असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन करने के लिए मास्टर्स डिग्री के साथ 2009 रेग्युलेशंस के अनुसार पीएचडी धारक प्रतिभागियों को नेट / स्लेट / सेट से छूट (एग्जेंपशन) मिलती है.