मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली सचिवालय समेत कई जगहों पर छापे मारे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय पर छापेमारी के बाद से बेहद तीखे बयान दिए जा रहे हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कार्रवाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘कायर और मनोरोगी’ तक कह दिया.
उधर केंद्र सरकार और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि सीबीआई पूरी तरह स्वतंत्र है और छापेमारी में सरकार की कोई भूमिका नहीं है.
लेकिन यही बीजेपी जब विपक्ष में थी तब उसके वरिष्ठ नेता सीबीआई पर सरकारी प्रभाव की बातें करते थे.
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जून 2013 को एक ट्वीट में कहा था, "सीबीआई कांग्रेस ब्यूरो ऑफ़ इनवेस्टिगेशन बन गई है. राष्ट्र को इसमें भरोसा नहीं है. मैं केंद्र सरकार से कहता हूँ कि हमें सीबीआई का डर न दिखाए."
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भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपीए शासनकाल में सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था.
सिर्फ़ बीजेपी ही नहीं अन्य पार्टियां भी सीबीआई के केंद्र सरकार के प्रभाव में होने के आरोप लगाती रही हैं.
शारदा चिटफंड मामले की सीबीआई जाँच को पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही ममता बैनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने भी बदले की भावना की कार्रवाई कहा था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल केंद्र सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में सरकार चला रही समाजवादी पार्टी भी केंद्र सरकार पर ऐसे आरोप लगाती रही है.
हाल ही में एनएचआरएम घोटाले में बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती से सीबीआई पूछताछ की रिपोर्टों के बाद मायावती ने भी कहा था कि वह इससे डरने वाली नहीं हैं.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने सितंबर में कहा था कि सीबीआई के अधिकारियों ने उनसे जाँच के सिलसिले में संपर्क किया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी उन पर दबाव बनाना चाहती है लेकिन वो डरने वाली नहीं हैं.
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