दक्षा वैदकर
अधिकतर लोगों के दुख की वजह कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं, जिनमें मिठास नहीं बची. ये माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त, जीवनसाथी कोई भी हो सकता है. जब इनसे रिश्ते सामान्य नहीं रहते, तो यह हमें बेचैन कर देते हैं. उन लोगों के साथ बिताये अच्छे व बुरे पलों को याद कर हम दुखी हो जाते हैं.
ऐसे में हम चाहते हैं कि एक बार बात कर लें और आर या पार फैसला कर लें. सामनेवाले से पूछ लें कि आखिर ऐसा क्यों किया? दरअसल हम हर रिश्ते की समाप्ति चाहते हैं.
फिर वह हैप्पी एंडिंग हो या सैड. जब एंड होता है, तो हम आजाद हो जाते हैं, आगे बढ़ने के लिए. यही वजह है कि लोग तलाक लेते हैं. तकलीफ देनेवाले रिश्ते में रहने से बेहतर है कि तलाक ले लें, ताकि नये जीवन की शुरुआत कर सकें. यही नियम हर रिश्ते में भी लागू होता है. जो रिश्ता तकलीफ दे रहा है, उसे तोड़ कर आगे बढ़ें. हम सभी को इन रिश्तों और व्यक्तियों को माफ कर इनसे उबरते आना चाहिए.
जो लोग एक्टिंग करते हैं, उनके लिए यह बहुत आसान है. आप भी कोशिश करें. जब भी आपका किसी से झगड़ा हो, खुद को उस इनसान की जगह रखें और उस झगड़े की पूरी परिस्थिति पर फिर से अभिनय करें. उदाहरण के तौर पर अगर आपका मम्मी से झगड़ा हो गया है.
उन्होंने आपको कोई शॉर्ट ड्रेस पहनने से मना कर दिया है और आपने उन्हें ऐसा कुछ कहा है कि वे रोने लगी हैं या बात नहीं कर रही, तो इस परिस्थिति में खुद को मम्मी के रोल में फिट करें. पूरी तरह कैरेक्टर में घुस जाएं. महसूस करें कि आप मम्मी हैं और आपकी एक बेटी है. आप बेटी की बहुत फिक्र करती हैं. आपको हमेशा यह डर सताता है कि बेटी को कहीं कुछ हो न जाये. कोई उसे छेड़े नहीं. ऐसे में आपकी बेटी पार्टी में जाने के लिए शॉर्ट ड्रेस पहनती नजर आती है.
अब आप क्या करेंगी? आप पायेंगी कि आप भी अपनी मम्मी की तरह यह नहीं चाहेंगी कि आपकी बेटी ऐसा ड्रेस पहने और उसे तकलीफ हो. अगर आप एक जिम्मेवार मां का रोल अच्छी तरह निभायेंगी, तो आप समझ जायेंगी कि इस पूरी घटना में गलती आपकी थी. आपको अपनी मां को उल्टा जवाब नहीं देना चाहिए था.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– हमें सामनेवाले का दृष्टिकोण समझना चाहिए और अगर फिर हमें लगता है कि वह सही हैं, तो हम उन्हें माफ कर सकते हैं, माफी मांग सकते हैं.
– आप जितना सामनेवाले के अभिनय में आगे बढ़ते जायेंगे, आप उनकी प्रकृति, भावनाओं और सोच को समझने लगेंगे. रिश्ता सुधरता जायेगा.