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छुट्टियों में भी पीछा नहीं छोड़ता मोबाइल

आमतौर पर छुट्टियां बहाना होती हैं, अपनों के संग खुशनुमा पल बिताने का, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने का और अपने शौक को थोड़ा वक्त देने का. मगर आधुनिकता के इस दौर ने छुट्टियों को भी प्रभावित कर दिया है. मोबाइल और लेपटॉप जैसे उपकरणों के चलते लोग छुट्टी के दिन अपनों के बीच होकर […]

आमतौर पर छुट्टियां बहाना होती हैं, अपनों के संग खुशनुमा पल बिताने का, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने का और अपने शौक को थोड़ा वक्त देने का. मगर आधुनिकता के इस दौर ने छुट्टियों को भी प्रभावित कर दिया है. मोबाइल और लेपटॉप जैसे उपकरणों के चलते लोग छुट्टी के दिन अपनों के बीच होकर भी उनके साथ नहीं हो पाते.

दिल्ली की एक टेक्सटाइल कंपनी में काम करनेवाले विपुल शाह पिछले कुछ सालों से फैमली को ज्यादा वक्त नहीं दे पा रहे थे. इसी के चलते उन्होंने पत्नी और बच्चों के साथ यादगार पल बिताने के लिए ऊटी जाने का मन बनाया. कहने को तो विपुल परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए ऊटी गये, लेकिन वहां भी काम ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. छुट्टी पर होने के बावजूद उन्हें इतने फोन आ रहे थे कि उनका ध्यान परिवार पर कम और अपने फोन पर ज्यादा रहा. इस बहाने भले ही पत्नी और बच्चों को एक नयी जगह घूमने का मौका मिल गया, लेकिन फैमिली के साथ वक्त बिताने की बात करें तो ऊटी में सात दिन बिताने के बाद भी विपुल पत्नी और बच्चों की इस शिकायत को दूर नहीं कर पाये.

कुछ ऐसी ही शिकायत पटना की सरला को अपने पति और बच्चों से भी है. सरला कहती हैं कि मैं एक हाउसवाइफ हूं और मुङो रविवार की छुट्टी का बेसब्री इंतजार रहता है, क्योंकि इसी दिन मुङो बच्चों और पति के साथ जी-भर के बातें करने का मौका मिलता है. लेकिन जब से जिंदगी में मोबाइल जैसे उपकरण का प्रवेश हुआ है छुट्टी के मायने तो जैसे खत्म ही हो गये हैं. पति छुट्टी के दिन भी फोन पर काम की बातें करते रहते हैं. बच्चे भी दोस्तों से बातें करने या फिर मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त रहते हैं. ऐसे में मैं सबके बीच होकर भी खुद को अकेला और अलग-थलग महसूस करती हूं. यह उपकरण मेरे लिए जैसे एक अभिशाप बन गया है. खाने की टेबल पर भी हम चैन से खाना नहीं खा पाते एक निवाला मुंह में जाता है कि किसी न किसी का फोन बज जाता है और हमारा फैमिली डिनर या लंच खराब हो जाता है.

जाहिर है कि मोबाइल और सोशल नेटवर्किग जैसी सुविधाओं ने जहां मीलों दूर रहनेवाले अपनों को करीब लाने में अहम भूमिका निभायी है, तो दूसरी ओर इन सुविधाओं के हद से ज्यादा प्रयोग ने पास रहनेवाले अपनों के बीच दूरियां भी पैदा की हैं. हाल में ट्रेवल वेबसाइट ट्रिप एडवाइजर ने यात्र के दौरान तकनीकी उपकरणों के प्रयोग पर एक सर्वे कराया. इस सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया है कि हर 10 में से 9 उपभोक्ता छुट्टी और यात्र के दौरान मोबाइल का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करते हैं. इसी के चलते कई बार वे परिवार के साथ होने पर भी फैमिली हॉलीडे का हिस्सा नहीं बन पाते.

सर्वेक्षण में पाया गया है..

96 %उपभोक्ताओं ने यह स्वीकारा है कि छुट्टी के दिन वे मोबाइल का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करते हैं.

86 %उपभोक्ताओं को छुट्टी और यात्रओं के दौरान मोबाइल के जरिया सोशल नेटवर्किग साइटों से जुड़े रहने का नशा है.

96 %भारतीय उपभोक्ता सड़क पर चलते हुए भी मोबाइल का प्रयोग करते हैं. मोबाइल के प्रयोग पर किये गये एक अन्य सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आयी है.

94%उपभोक्ताओं का मानना है कि यात्र के दौरान भी वे मोबाइल का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करते हैं.

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