ब्रिटेन के एक शोधकर्ता का कहना है कि जन्म के बाद बच्चों को कंगारू की तरह शरीर से चिपका कर रखने से समय पूर्व जन्म लेने वाली संतानों की मृत्यु दर और विकलांगता दर में वैश्विक स्तर पर कमी लायी जा सकती है. लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन(एएसएचटीएम) से जुड़ी प्रोफेसर जॉय लॉन कहती हैं कि कंगारू केयर जैसा मामूली उपाय इस बचाव का मूलमंत्र है.
दुनिया में डेढ़ करोड़ बच्चों का जन्म समय से पहले ही हो जाता है और 10 प्रतिशत बीमारियों के लिए समयपूर्व प्रसव ही जिम्मेदार है. समयपूर्व जन्म लेने वाले बच्चों में करीब दस लाख बच्चों की अकाल मृत्यु हो जाती है. जो बच्चे जीवित रहते हैं उनमें से तीन प्रतिशत बच्चे औसत या गंभीर विकलांगता के शिकार होते हैं और 4.4 प्रतिशत बच्चे मामूली विकलांगता से पीड़ित होते हैं. प्रो लॉन कहती हैं, लोगों की सोच है कि समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों को सघन चिकित्सा की जरूरत होती है पर निर्धारित समय से छह हफ्ते या उससे भी अधिक समय पहले जन्म लेने वाले 85 फीसदी बच्चों को स्तनपान में मदद करने जरूरत होती है. इनको नियंत्रित तापमान में रखने की जरूरत होती है.
लड़कों को खतरा ज्यादा
इसी सप्ताह पीडियाट्रिक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित होने वाले शोध के अनुसार, लड़कों के समयपूर्व जन्म लेने की संभावना 14 प्रतिशत ज्यादा होती है और जो लड़के समयपूर्व जन्म लेते हैं, उनमें लड़कियों की तुलना में विकलांगता या मृत्यु दर भी अधिक होती है. प्रोफेसर लॉन कहती हैं, लड़कों में संक्र मण, पीलिया, प्रसव संबंधी जटिलताएं, जन्मजात बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है लेकिन लड़कों को सबसे ज्यादा खतरा समयपूर्व प्रसव से होता है.
प्रोफेसर लॉन के अनुसार, एक ही समय पर समयपूर्व प्रसव वाले एक लड़की और एक लड़के में मृत्यु और विकलांगता का खतरा लड़के में ज्यादा होता है. लॉन कहती हैं, गर्भ में भी लड़कियां लड़कों से पहले परिपक्व होती हैं, जिसके कारण वो बेहतर स्थिति में होती हैं.