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संवेदनशील बनें, इसके बिना हम इंसान नहीं
दक्षा वैदकर पोस्टमैन ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा, ‘चिट्ठी ले लीजिये.’ अंदर से लड़की की आवाज आयी, ‘आ रही हूं’, लेकिन तीन-चार मिनट तक कोई नहीं आया, तो पोस्टमैन ने फिर कहा, ‘अरे भाई, अपनी चिट्ठी ले लो.’ लड़की की फिर आवाज आयी, ‘पोस्टमैन साहब, दरवाजे के नीचे से चिट्ठी […]
दक्षा वैदकर
पोस्टमैन ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा, ‘चिट्ठी ले लीजिये.’ अंदर से लड़की की आवाज आयी, ‘आ रही हूं’, लेकिन तीन-चार मिनट तक कोई नहीं आया, तो पोस्टमैन ने फिर कहा, ‘अरे भाई, अपनी चिट्ठी ले लो.’ लड़की की फिर आवाज आयी, ‘पोस्टमैन साहब, दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिये. मैं आ रही हूं’ पोस्टमैन ने कहा, ‘नहीं, मैं खड़ा हूं.
रजिस्टर्ड चिट्ठी है. पावती पर आपके साइन चाहिए.’ तकरीबन छह-सात मिनट बाद दरवाजा खुला. पोस्टमैन इस देरी के लिए चिल्लाने ही वाला था कि उसकी नजर उस अपाहिज लड़की पर पड़ी, जिसके पांव नहीं थे. पोस्टमैन चुपचाप चिट्ठी देकर और उसके हस्ताक्षर लेकर चला गया. हफ्ते, दो हफ्ते में जब कभी उस लड़की के लिए डाक आती, पोस्टमैन एक आवाज देता और जब तक वह लड़की न आती, तब तक खड़ा रहता.
एक दिन उसने पोस्टमैन को नंगे पांव देखा. दीपावली नजदीक आ रही थी. उसने सोचा पोस्टमैन को क्या ईनाम दूं? फिर उसे याद आया. अगले दिन उसने काम करनेवाली बाई से नये जूते मंगा लिये. दीपावली आयी और उसके अगले दिन पोस्टमैन ने गली के सब लोगों से ईनाम मांगा और सोचा कि अब इस बिटिया से क्या ईनाम लेना? पर गली में आया हूं, तो उससे मिल ही लूं. उसने दरवाजा खटखटाया. अंदर से आवाज आयी, कौन? पोस्टमैन, उत्तर मिला. लड़की हाथ में गिफ्ट पैक लेकर आयी और कहा, ‘अंकल, मेरी तरफ से दीपावली पर यह भेंट है.’ पोस्टमैन ने कहा, ‘तुम तो मेरे लिए बेटी के समान हो. तुमसे मैं गिफ्ट कैसे लूं?’
लड़की ने आग्रह किया, तो उन्होंने गिफ्ट ले लिया. घर जाकर जब पोस्टमैन ने पैकेट खोला, तो जूते देख उसकी आंखें भर आयी. अगले दिन वह ऑफिस पहुंचा और पोस्टमास्टर से फरियाद की कि उसका तबादला कर दिया जाये. पोस्टमास्टर ने कारण पूछा, तो पोस्टमैन ने सारी कहानी सुनायी और भीगी आंखों और रुंधे कंठ से कहा, ‘आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूंगा. उस अपाहिज बच्ची ने तो मेरे नंगे पांवों को जूते दे दिये, पर मैं उसे पांव कैसे दे पाऊंगा?’
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– संवेदनशीलता का यह श्रेष्ठ उदाहरण है. संवेदनशीलता यानी दूसरों के दुख-दर्द को समझना, अनुभव करना और उसके दर्द में भागीदार बनना.
– संदेवनशील बनें. यह एक ऐसा मानवीय गुण है, जिसके बिना इंसान अधूरा है. इस गुण को अपने अंदर विकसित करें. दूसरों का ख्याल रखें.
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