दक्षा वैदकर
क्या कहा? तुम्हें फलां काम नहीं आता.. ओह, तुम कितनी बड़ी बेवकूफ हो.. मुझे समझ नहीं आता कि तुम्हें नौकरी कैसे मिल गयी.. अरे, तुम्हें ये वर्ड की स्पेलिंग नहीं पता? पता नहीं, तुम पास कैसे हो गये?.. तुम तो घर में बिल्कुल भी सफाई नहीं रखते. पता नहीं तुम्हारी पत्नी तुम्हारे साथ कैसे रह पाती है?.. कई बार गुस्से में ऐसी बातें हम लोगों को बोल देते हैं या लोग हमें बोल देते हैं.
जब भी लोग हम पर बेवकूफ, बदतमीज, मूर्ख, आलसी.. जैसे लेबल्स लगाते हैं, तो हम कुछ समय के लिए कंफ्यूज हो जाते हैं कि कहीं सच में हम ऐसे तो नहीं? हमारे दिमाग की ट्रेन दौड़ने लगती है. कब-कब हमसे गलती हुई और लोगों ने हमें ऐसे नामों से पुकारा, हम उनकी लिस्ट बनाने लगते हैं. यह सब कुछ हम इतना ज्यादा सोचते हैं कि डिप्रेशन में चले जाते हैं. निराश हो जाते हैं. हमें लगता है कि हम सच में किसी काम के नहीं है.
इतना ही नहीं, जिस व्यक्ति ने हमसे यह सब कहा है, हम उससे दूर हो जाते हैं. रिश्तों में कड़वाहट ले आते हैं और तय करते हैं कि अब इस व्यक्ति से बात ही नहीं करना या इसका कोई काम ही नहीं करना. आप सोच रहे होंगे कि अगर हम ऐसी बातें न सोचें, तो करें क्या? इनसान हैं, तो यह सब सोचने में आता ही है. इन सब विचारों पर हमारा कंट्रोल थोड़े ही है. लेकिन सच मानें, तो यह सब हमारे कंट्रोल में है.
जी हां, हमारे आसपास निधि, सुनीता, आकाश, राकेश जैसे कई लोग रहते हैं, जो इस तरह के लेबल्स हम पर लगा जाते हैं और हम उनकी बात को ब्रह्म वाक्य मान कर जिंदगी जीने लग जाते हैं. जबकि हमें तो इसका उल्टा करना चाहिए. जब भी कोई आपको ऐसी बात बोलें, पहले खुद को शांत रखें और दिमाग में इस लाइन को बार-बार दोहराएं कि सामनेवाला अभी गुस्से में है और उसका उसके शब्दों पर कंट्रोल नहीं है.
इसके बाद उस इनसान को थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दें, ताकि वह नॉर्मल हो जाये. सबसे बड़ी बात, खुद को याद दिलाएं कि आप क्या है, ये आपको बेहतर पता है. किसी और के बेवकूफ बोल देने से आप बेवकूफ नहीं हो जाते.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– गलतियां हर इनसान से होती है. यह भी जरूरी नहीं कि हर आदमी हर काम में एक्सपर्ट हो, इसलिए खुद को छोटा महसूस न करें.
– आप जानते हैं कि आपने स्कूल में पढ़ाई की है, आप घर व्यवस्थित चला रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं. किसी के कुछ बोलने को दिल से न लगाएं.