पहले राज्य में तीन ग्राम पंचायतों पर एक पैक्स और पांच ग्राम पंचायतों पर एक लैंपस की व्यवस्था थी. जनवरी 2013 में सरकार की अधिसूचना के बाद अब हर ग्राम पंचायत पर एक पैक्स यानी प्राथमिक कृषि साख समिति और एक लैंपस यानी वृहदाकार कृषि साख समिति है.
लेकिन, भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन एवं जनभागीदारी के अभाव में अधिकतर पंचायत स्तरीय ये साख समितियां घाटे में चल रही हैं. वे अपना भविष्य नहीं तय कर पा रही हैं. हर काम के लिए सरकारी फंड का इंतजार रहता है. वहीं दूसरी ओर देवघर जिले की गिधनी ग्राम पंचायत के पैक्स ने जनभागीदारी के बल पर न केवल लाभ को बरकरार रखा है, बल्किलोगों को सुविधाएं भी प्रदान कर रही है.
देवघर जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत गिधनी पैक्स का मुख्यालय देवघर-कटोरिया मुख्य मार्ग पर गिधनी मोड़ से एक किलोमीटर उत्तर में स्थित है पिछयारी कोठिया गांव. पहले यह पैक्स देवपुर के नाम से था. विभाजन के बाद गिधनी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने से इसका यह नाम पड़ा. विभिन्न आर्थिक झंझावतों में जहां कई पैक्स धाराशायी हो गये, वहीं वर्ष 1979 में स्थापित यह पैक्स आज भी खड़ा है और लोगों को कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर रहा है.
इसमें प्रमुख है न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी, विभिन्न प्रकार की फसलों के बीज एवं खाद की खरीद-बिक्री और ऋ ण मुहैया कराना. इसके अलावा इस सहकारी समिति के पास कृषि यंत्रों का एक बैंक है. इसकी स्थापना मार्च 2013 में 22 लाख रु पये की लागत से की गयी है. इसमें आठ लाख रु पये की पूंजी पैक्स ने लगायी है, जबकि 14 लाख रु पये सरकार की ओर से सब्सिडी के तौर पर दिया गया है. कृषि यंत्र बैंक के पास ट्रैक्टर, पावर टीलर, थ्रेसर, पंपिंग सेट, धान काटने की मशीन, जीरो सीड ड्रिल मशीन आदि उपकरण है.
ये सभी उपकरण पैक्स के सदस्य किसानों को किराये पर उपलब्ध कराया जाता है. इस संबंध में पैक्स अध्यक्ष सरयू प्रसाद यादव कहते हैं कि जिस तरह इस बार सावन महीने में बारिश की कमी हुई थी, यदि यह कृषि बैंक न होता तो गांव में पूरी खेती नहीं हो पाती. बारिश की कमी में सदस्य किसानों ने बैंक के ट्रैक्टर का भरपूर लाभ लिया. पांच सौ रु पये प्रति घंटे के किराये पर ट्रैक्टर ले जाकर जल्दी-जल्दी खेत जुतवाया. इससे समय पर खेत की रोपाई हो पायी. इसके साथ ही गिधनी पैक्स इफको के साथ मिलकर संचार सेवा भी उपलब्ध कराती है. पैक्स के पास एयरटेल कंपनी की एजेंसी है. इन सभी सुविधाओं की बदौलत सहकारी समिति का वार्षिक टर्न ओवर 3.5 करोड़ रु पये का है. 31 मार्च 2013 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में पैक्स ने 16, 275 रु पये का लाभ अजिर्त किया था.
वैसे तो यह राशि बड़ी नहीं लगती है, लेकिन वर्ष 2004 में प्रो वैद्यनाथन कमेटी के गठन से पहले लगभग मर चुकी सहकारी समिति के लिए पुनर्जीवित होकर इस प्रकार अपना व्यवसाय खड़ा करना बड़ी बात है. यह बात जिला सहकारिता पदाधिकारी राम कुमार भी मानते हैं. उनके मुताबिक पहले देवपुर और अब गिधनी पैक्स पूरे जिले के लिए आदर्श है. डीसीओ श्री कुमार बताते हैं कि इस पैक्स के पास 100-100 एमटी का मजबूत एवं बेहतरीन दो गोदाम है. एक वर्ष 2007-08 में बना है और दूसरा समेकित सहकारी विकास परियोजना के तहत वर्ष 2011-12 में बनाया गया है. इसके अलावा पैक्स की व्यवसायिक गतिविधियों को ध्यान में रखकर ही आठ लाख रु पये का कैश क्र ेडिट दिया गया है.
क्या 16, 275 रु पये का लाभ अजिर्त करना कम है, यह पूछे जाने पर पैक्स अध्यक्ष सरयू यादव कहते हैं कि प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति का पहला काम किसानों को कृषि कार्य के लिए बाजार से सस्ती दर पर आवश्यक खाद, बीज एवं पूंजी उपलब्ध कराना और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनके उत्पाद को खरीद कर उन्हें बिचौलियों से बचाना है. समिति के लाभ के लिए बिजनेस बाद में आता है और वर्तमान में पैक्स ने यह काम बखूबी किया भी है. पिछले साल 630 किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर 22154 क्विंटल धान की खरीद की गयी. किसानों के बीच सरकारी दर पर 200 एमटी यूरिया व डीएपी खाद का वितरण किया गया. इस साल भी यहां पर छह पंचायतों के लिए धान की खरीद होगी. इसके साथ ही पिछले साल 100 किसानों के बीच 15 लाख रु पये का किसान क्रेडिट कार्ड भी बांटा गया है.
कई प्रखंडों की नोडल पैक्स है गिधनी
अपने संसाधनों की बदौलत गिधनी पैक्स न केवल अपने प्रखंड बल्किजिले के दूसरे प्रखंड के लिए भी नोडल पैक्स है. यानी यह पैक्स अपने प्रखंड के साथ-साथ दूसरे पैक्स के लिए भी थोक में खाद एवं बीज मंगाता है. फिर उसका वितरण करता है. पैक्स अध्यक्ष श्री यादव ने बताया कि इस साल देवघर के अलावा सारवां एवं मोहनपुर प्रखंड के लिए 100 क्विंटल सरसों का बीज मंगाया गया और वितरित किया गया. इसी प्रकार देवघर एवं सारवां प्रखंड के लिए 100-100 क्विंटल गेहूं का बीज भी आ रहा है.
राइस मिल की योजना पर हो रहा है काम
गिधनी पैक्स भविष्य में अपने यहां एक राइस मिल स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है. इसके लिए विभागीय अधिकारियों से बातचीत की जा चुकी है. इस संबंध में पैक्स अध्यक्ष सरयू प्रसाद यादव ने बताया कि एक राइस मील हो जाने से क्षेत्र के किसानों की सभी समस्याएं दूर हो जायेंगी. अभी इसके अभाव में किसानों को काफी परेशानी होती है. इसके साथ ही राइस मिल हो जाने से धान की खरीदारी के बाद उसे मिलिंग के लिए प्राइवेट मील मालिकों के पास नहीं भेजना पड़ेगा. किसानों से धान लेने के बाद यहीं से चावल की सप्लाई एफसीआइ को की जायेगी.