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गलती स्वीकारें और एक कदम आगे बढ़ें

।। दक्षा वैदकर।।कई बार हम लोगों को बहुत अजीब बरताव करते देखते हैं. पहला कहता है, ‘तुमने मुझे दो बजे फोन करने को कहा था. मैंने तुम्हें फोन लगाया, लेकिन तुमने उठाया ही नहीं?’ दूसरा कहेगा, ‘माना कि मैंने पहली बार में फोन नहीं उठाया, लेकिन तुम तीन–चार बार और भी तो फोन लगा सकते […]

।। दक्षा वैदकर।।
कई बार हम लोगों को बहुत अजीब बरताव करते देखते हैं. पहला कहता है, तुमने मुझे दो बजे फोन करने को कहा था. मैंने तुम्हें फोन लगाया, लेकिन तुमने उठाया ही नहीं? दूसरा कहेगा, माना कि मैंने पहली बार में फोन नहीं उठाया, लेकिन तुम तीनचार बार और भी तो फोन लगा सकते थे. आप ठीक समझ रहे हैं. मेरा इशारा उन लोगों की तरफ है, जो अपनी गलती दूसरों पर थोपते हैं. दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले वो, जो अपनी गलतियों को कबूल करते हैं और उनसे सीखते हैं और दूसरे वो, जो अपनी गलतियों से कभी सीख नहीं लेते.

हम अपनी गलतियों के बारे में तीन तरह का नजरिया रख सकते हैं. पहला, हम उसे नजरअंदाज कर सकते हैं. दूसरा, अपनी गलती को मानने से ही इनकार कर सकते हैं और तीसरा, अपनी गलती को स्वीकार करके फिर उसे कभी न दोहराने की सीख ले सकते हैं. इसमें तीसरे तरीके को अपनाने में खतरा है, लेकिन यह भी सच है कि आज नहीं तो कल इससे फायदा जरूर होगा. कई लोग चौथा प्रकार लेकर धरती पर जन्म लेते हैं. वे अपनी गलती नहीं मानते और उसे दूसरों पर थोप देते हैं, ताकि खुद बच जायें.

एक बार जब एक कंपनी का प्रेसीडेंट जब रियाटर हुआ, तो उसने नये प्रेसीडेंट का वेलकम करते हुए उसे तोहफे के रूप में दो लिफाफे दिये. उसने कहा, जब कोई समस्या तुम्हारे सामने आ जाये और कोई उपाय न समझ आये, तो इसका पहला वाला लिफाफा खोल लेना. तुम्हें उपाय मिल जायेगा. और वैसी ही कोई समस्या दोबारा आये, जिसका उपाय न मिले, तो तुम दूसरा लिफाफा खोल लेना. प्रेसीडेंट ने लिफाफे संभाल कर रख लिये. करीब दो साल बाद कंपनी के कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी. कंपनी बंद होने की स्थिति में आ गयी. तब प्रेसीडेंट ने पहला लिफाफा खोला. उसमें लिखा था, ‘सारा दोष पहले प्रेसीडेंट के सिर पर मढ़ दो.’ उसने ऐसा ही किया. समस्या हल हो गयी. कुछ समय बाद दोबारा ऐसी ही कोई और समस्या आ गयी. उसने दूसरा लिफाफा खोला. उसमें लिखा था, ‘आनेवाले प्रेसीडेंट के लिए दो लिफाफे तैयार कर लो.’

बात पते की..

कभी भी अपनी गलती, दूसरों पर न थोपें. ऐसा करने से आपकी छवि उन लोगों के सामने खराब होती है, जो यह जानते हैं कि गलती आपकी ही थी.

जब इनसान गलती मान लेता है, तो वह सफलता की तरफ एक कदम आगे बढ़ जाता है. जब गलती नहीं मानता, तो एक कदम पीछे हो जाता है.

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