मित्रो,
राज्य के श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा करीब 37 योजनाएं चलायी जा रही हैं. इसमें मजदूरों के कल्याण और विकास से जुड़ी करीब एक दर्जन योजनाएं हैं. युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार के लिए तकनीकी प्रशिक्षण और ज्ञान देने, आधारभूत संरचना के विकास और कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए राज्य सरकार की 18 योजनाएं चल रही हैं. दो नयी योजनाएं भी शुरू की गयीं हैं, जो तकनीकी रूप से क्षमता वृद्धि से जुड़ी हैं. असंगठित क्षेत्र के कामगारों, मनरेगा मजदूरों, गलियों में फेरी लगाने वालों, घरेलू नौकरों इन सब के कल्याण, विकास और सुरक्षा की योजनाएं हैं, जिन पर केंद्र और राज्य सरकार का भारी धन खर्च हो रहा है. न केवल रोजगार की क्षमता बढ़ाने, बल्कि स्वास्थ्य, बच्चों की शिक्षा, पुनर्वास और जीवन बीमा की भी योजनाएं हैं, जिनका लाभ इन गरीब कामगारों तक पहुंचाया जाना है. ये सभी योजनाएं श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के हैं. दूसरे विभाग भी इस तरह की योजनाएं चला रहे हैं.
रोजगार मजदूरों का अधिकार है. इससे जुड़े कई विषय हैं, जिन्हें पाने के वे कानूनन हकदार हैं. उन्हें यह हक दिलाने के लिए सरकार ने योजनाएं बनायी हैं और उन पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. मजदूरों की समस्याओं की कड़ी में बाल मजदूर भी आते हैं. बाल श्रम की समस्या के अध्ययन के लिए केंद्र सरकार ने 1978 में गुरुपद स्वामी समिति बनायी थी. इस समिति की अनुशंसा के आधार पर 1986 में बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम बना. 1933 में भी बाल (श्रमिक बंधक) कानून बना था. 1948 से 1986 के बीच सात प्रमुख श्रम कानून बने, जिनमें 14 वर्ष तक के बच्चों को काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया. इसके बाद भी नियम बने. न्यायालय के कठोर आदेश आये. इन सब के बावजूद बाल श्रम जारी है. बेरोजगार युवक -युवतियों को रोजगार के लिए मार्गदर्शन और सूचना देने की सरकार की योजना है. असंगठित क्षेत्र के मजदूर हों या अप्रवासी मजदूर, कल्याण, विकास और सुरक्षा की योजनाएं सभी के लिए हैं. हम इस अंक में उन योजनाओं की चर्चा कर रहे हैं, जो श्रम संसाधन विभाग से संचालित हैं. आप इन योजनाओं का लाभ भी ले सकते हैं.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना
बीपीएल परिवारों के 60 से 79 वर्ष के आयु वर्ग के बीच इस योजना के तहत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को 400 रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन मिलती है. 80 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को 700 रुपये मिलते हैं. इसमें 500 रुपये केंद्र और 200 रुपये राज्य सरकार देती है. चालू वित्त वर्ष में इस योजना पर 42772.20 लाख रुपये खर्च होने हैं. इनमें अन्य उप योजना के 15112.76 लाख, आदिवासी उपयोजना के 20681.00 लाख तथा अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना के 6978.44 लाख रुपये शामिल हैं.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना
इस योजना के तहत पहले वर्ष 2002 के लिए बीपीएल की सूची में शामिल 40 से 59 साल की शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की विधवाओं को चार सौ रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलती थी. इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार आधी-आधी रकम देती है. केंद्र सरकार ने लाभुकों की आयु सीमा में संशोधन किया है. अब 40 से 79 साल की विधवाओं को इसका लाभ दिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने अपने हिस्से के दो सौ रुपये प्रति लाभुक को बढ़ा कर तीन सौ रुपया कर दिया है. इसलिए इस वित्त वर्ष में विधवाओं को 500 रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं. चालू वित्त वर्ष में इस योजना पर कुल 16809.60 लाख रुपये खर्च होने हैं. इसमें अन्य उप योजना के 6798.00 लाख, जनजातीय उप योजना के 7416.00 लाख तथा अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना के 2595.60 लाख रुपये शामिल हैं.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्तता पेंशन योजना
इस योजना के तहत बीपीएल सर्वेक्षण 2002 की सूची में शामिल शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के पहले 18-59 वर्ष की आयु वर्ग के सभी विकलांगों को चार सौ रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन का भुगतान किया जा रहा था. इसमें आधी रकम केंद्र और आधी रकम राज्य सरकार देती है. अब इसमें संशोधन किया गया है. अब 18 से 79 साल तक के नि:शक्तों को हर माह पांच सौ रुपये की दर से पेंशन का भुगतान किया जा रहा है. चालू वित्त वर्ष में इस योजना पर 1915.80 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं. इसमें अन्य उप योजना के 741.60 लाख, आदिवासी उपयोजना और 309.00 लाख और अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना के 865.20 लाख रुपये शामिल हैं. इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से नि:शक्त व्यक्तियों को लाभ दिया जा रहा है.
राष्ट्रीय परिवार हितकारी योजना
यह सौ फीसदी केंद्र प्रायोजित योजना है. पहले बीपीएल सूची में शामिल 18 से 64 साल के वैसे महिला या पुरुष की मौत पर उनके आश्रितों को 10 हजार रुपये सरकार देती थी, जो अपने परिवार में कमाने वाले प्रमुख व्यक्ति होते थे. इस योजना में थोड़ा संशोधन किया गया है. केंद्र सरकार ने इसके लाभुकों की आयु सीमा अब 18 से 79 साल कर दिया और और आश्रितों को मिलने वाली राशि भी दोगुनी कर दी गयी है. यह व्यवस्था लागू हो चुकी है. अब ऐसे व्यक्ति की मौत पर उसके आश्रित को 20 हजार रुपये मिलते हैं. चालू वित्त वर्ष में इस योजना पर 2800.00 लाख रुपये खर्च होने हैं. इसमें अन्य उप योजना के 1,120.00 लाख, जनजातीय उप योजना के 420.00 लाख तथा अनुसूचित के लिए विशेष घटक योजना के 1260.00 लाख रुपये शामिल हैं.
बंधुआ मजदूर पुनर्वास योजना
बंधुआ मजदूर पुनर्वास योजना केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित है. इसके तहत बंधुआ मजदूर को पुनर्वासित किया जाता है. पुनर्वास के लिए एक बंधुआ मजदूर पर 20 हजार रुपये खर्च किये जाते हैं. आधी रकम केंद्र सरकार और उतनी ही राशि राज्य सरकार देती है. इस राशि से उसे दुधारू पशु और अन्य सामान दिये जाते हैं, ताकि वह अपना रोजगार कर सके. बंधुआ मजदूरों को इंदिरा आवास, सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं गरीबी उन्मूलन योजनाओं का भी लाभ दिया जाना है. चालू वित्त वर्ष में राज्य और केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत 10 लाख रुपये के खर्च का प्रावधान किया है. इसमें पांच लाख रुपये अन्य उप योजना के और पांच लाख रुपये जनजातीय उप योजना के हैं.
आम आदमी बीमा योजना
यह योजना भूमिहीनों के लिए है, जिसे वर्ष 2008-09 में शुरू किया गया. इसके तहत सरकार प्रत्येक भूमिहीन परिवार के जीवन बीमा के लिए बीमा की रकम दो रुपये प्रतिमाह की दर से जीवन बीमा निगम यानी एलआइसी को देती है. इसमें आधी रकम केंद्र और आधी राज्य सरकार की है. बीमाकृत व्यक्ति की प्राकृतिक मौत पर उसके आश्रित को 30 हजार रुपये तथा दुर्घटना में मौत पर 75 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. दोनों अंगों के नुकसान होने पर 75 हजार और एक अंग के नुकसान पर 37, 500 रुपये दिये जाते हैं. उसके नौवीं से 12वीं और आइटीआइ की पढ़ाई कर रहे दो बच्चों को 100 रुपये प्रतिमाह की दर से एकमुश्त 1200 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है. चालू वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 205.00 लाख रुपये खर्च होने हैं. इसमें अन्य उप योजना के 82.00 लाख, आदिवासी उपयोजना के 92.10 लाख और अनुसूचित जाति के विशेष घटक योजना के लिए 30.90 लाख रुपये शामिल हैं.