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सात समंदर पार आकर भी मायूस
पटना : बिहार में विकास हो, शिक्षा में सुधार हो, ऐसी सरकार आये, जिससे बिहार आगे बढ़े. कुछ यही सोचकर आशीष अभिषेक सात समंदर पार कर वोट देने आये थे. इंडोनेशिया में कोल माइंस में इंजीनियर आशीष अभिषेक का नाम वोटर लिस्ट में था ही नहीं. अभिषेक ने बताया कि आने-जाने में डेढ़ लाख रुपये […]
पटना : बिहार में विकास हो, शिक्षा में सुधार हो, ऐसी सरकार आये, जिससे बिहार आगे बढ़े. कुछ यही सोचकर आशीष अभिषेक सात समंदर पार कर वोट देने आये थे. इंडोनेशिया में कोल माइंस में इंजीनियर आशीष अभिषेक का नाम वोटर लिस्ट में था ही नहीं. अभिषेक ने बताया कि आने-जाने में डेढ़ लाख रुपये का खर्च है, फिर भी वोट नहीं दे पाया.
राजेंद्र नगर के रहने वाले आशीष अभिषेक ने बताया कि 2013 में भी लोकसभा चुनाव और 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव में भी वोट डाला था, पर इस बार मेरा नाम ही नहीं है. मोइनुलहक स्टेडियम के 61 बूथ नंबर पर आशीष अभिषेक सुबह 6 बजे ही आ गये थे, पर वोट नहीं डाल पाये. तीसरे चरण के मतदान में शामिल होने के लिए आशीष 24 को ही पटना आ गये थे.
यहां आते ही जिला प्रशासन आॅफिस से संपर्क किया. वहीं पता चला कि नाम जुड़वाने की अंतिम तारीख 7 अक्तूबर तक ही थी. फिर भी मुझे लगा था कि शायद नाम हो, पर नहीं दे पाया. उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी श्वेता अभिषेक का नाम है, उसका भी नाम श्वेता अभिषेक के बदले श्वेता विश्वास कर दिया गया है.
वोट के लिए एफआइआर फिर भी नहीं नाम जुड़ा
वोटर पहचान पत्र तो है, लेकिन वोट नहीं डालने दिया गया. हर बार अपना नाम वोटर लिस्ट में खोजते हैं, लेकिन गायब रहता है. राजेंद्र नगर के रहने वाले जगदीश कुमार पिछले तीन बार से अपने मतदान करने से वंचित रहे हैं. वोट देने के अधिकार को लेकर उन्होंने कदमकुंआ थाने में 2013 में एफआइआर तक की थी. सूचना के अधिकार के तहत जानकारी भी मांगी. आश्वासन भी मिला, पर मौका नहीं मिला़
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