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इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन

इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन को ही आइपीटीवी के नाम से जाना जाता है. इस प्रणाली में टेलीविजन के कार्यक्र म को देखने के लिए इंटरनेट या ब्रॉडबैंड कनेक्शन की जरूरत पड़ती है. डीटीएच या केबल नेटवर्क से अलग है यह. इंटरनेट या ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ एक सेट टॉप बॉक्स के माध्यम से इंटरनेट प्रोटोकॉल तकनीक […]

इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन को ही आइपीटीवी के नाम से जाना जाता है. इस प्रणाली में टेलीविजन के कार्यक्र म को देखने के लिए इंटरनेट या ब्रॉडबैंड कनेक्शन की जरूरत पड़ती है. डीटीएच या केबल नेटवर्क से अलग है यह.

इंटरनेट या ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ एक सेट टॉप बॉक्स के माध्यम से इंटरनेट प्रोटोकॉल तकनीक टीवी में प्रसारण का काम करता है. सबसे पहली बार 1994 में एबीसी के वर्ल्ड न्यूज ने इंटरनेट के माध्यम से टीवी कार्यक्र म को प्रसारित किया था और 1995 में इसका नाम आइपीटीवी रखा गया. 20 अगस्त, 2008 को भारत सरकार ने देश में आइपीटीवी की मंजूरी दी और इसे देश में शुरू किया. भारत में बीएसएनएल, एमटीएनएल, एयरटेल और रिलायंस जैसी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां आइपीटीवी की सेवा मुहैया करा रही हैं. उल्लेखनीय है कि आइपीटीवी टेलीविजन सिगनल को कंप्यूटर डाटा में बदल देता है.

यह डाटा इंटरनेट या ब्रॉडबैंड के जरिये सेट टॉप बॉक्स में भेजा जाता है. सेट टॉप बॉक्स से जुड़ा टेलीविजन सेट टीवी प्रोग्राम प्रसारित करता है. इस सेवा में इंटरनेट सर्विस और वीडियो ऑन डिमांड की सुविधा मिलती है. इसका डिजिटल वीडियो और साउंड क्वालिटी परंपरागत टीवी सेवा के मुकाबले बेहतर है. डिजिटल टीवी रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 तक आइपीटीवी उपभोक्ताओं की संख्या 19 करोड़ से भी ज्यादा हो जायेगी.

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