पटना : बिहार चुनाव में एनडीए, महागंठबंधन और अन्य दल चुनाव प्रचार में जहां धड़ल्ले से हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं वाम दलों के पास अपनी चार चक्का वाली गाड़ियां भी मयस्सर नहीं है. ले-दे-कर सीपीआई के पास भी चार पुरानी खटारा एम्बेसडर और मारूति कारें हैं. माकपा और भाकपा-माले के पास तो चार चक्के वाली अपनी कोई गाड़ी है ही नहीं. माकपा और भाकपा के शीर्ष नेता किराये की कार या जिला कार्यकर्ताओं की गाड़ी से चुनाव-सभा करने पहुंच रहे हैं.
भाकपा-माले नेता बोलेरो के सहारे: भाकपा-माले से अपने स्टार प्रचारकों के लिए मात्र एक बोलरो कार किराये पर चुनाव अवधि तक के लिए लिया है. फिलहाल उसका इस्तेमाल पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और राज्य सचिव कुणाल विभिन्न क्षेत्रों में चुनाव सभा तक आने-जाने के लिए कर रहे हैं. बीच रास्ते में कार खराब होने पर दीपांकर भट्टाचार्य
और कुणाल को पार्टी कार्यकर्ताओं की मोटर साइकिल पर भी सफर करना पड़ रहा है. माकपा का तो और भी बुरा हाल है. माकपा के पास अपनी कोई गाड़ी नहीं है. बड़े नेताओं के लिए पार्टी एक-दो दिनों के लिए बेलोरे या स्कॉर्पियो किराये पर लेती है. भाकपा के पास ले-दे-कर चार अपनी गाड़ियां हैं. चार में दो की हालत जर्जर है. पार्टी के पास ऑन-रोड बस दो ही गाड़ियां हैं. पार्टी चुनावी-सभाओं में इन्हीं गाडि़यों से अपने स्टार प्रचारकों को भेजती है. माकपा, भाकपा या माले के शीर्ष नेता भी हवाई-सेवाओं का इस्तेमाल न के बराबर कर रहे हैं. दीपांकर भट्टाचार्य, वृंदा करात, प्रकाश करात, अतुल कुमार अंजान, अमरजीत कौर, सुधाकर रेड्डी और एबी बर्द्धन जैसे अधिकतर वाम नेता भी बिहार ट्रेन से ही पहुंच रहे हैं. वाम दलों के सांसद ही कभी-कभी आपात स्थिति में सांसद कोटे के रियायती हवाई सेवा का इस्तेमाल कर बिहार पहुंच रहे हैं.