मीना : सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर के निकट मीना में शैतान को कंकड मारने की हज की रस्म के लिए आगे बढ़ने के दौरान मची भगदड़ में 4 भारतीय सहित कम से कम 717 लोगों की मौत हो गई. पिछले 25 वर्षों में हज के दौरान हुई यह दूसरी सबसे भयावह दुर्घटना है. घायलों में दो भारतीय शामिल हैं. सरकारी सउदी प्रेस एजेंसी ने खबर दी है कि शैतान को कंकड मारने की रस्म के लिए जमारात जा रहे लोगों की भीड़ अचानक से बढ़ गई जिसके बाद यह हादसा हुआ. यह हादसा भारतीय समयानुसार दिन में 11:30 बजे हुआ.
उसने कहा कि यह घटना जमारात को जाने वाले दो रास्तों को जोडने वाले स्थान पर हुई. यह स्थान मक्का से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर है. सऊदी नागरिक रक्षा प्रशासन का कहना है कि अलग अलग देशों के 717 हजयात्री मारे गए और 863 लोग घायल हो गए हैं.
समाचार एजेंसी एएफपी ने खबर दी है कि सउदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन नायेफ ने हज की जिम्मेदारी देख रहे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान भगदड की जांच का आदेश दिया. जांच रिपोर्ट शाह सलमान को सौंपी जाएगी. यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भगदड किस वजह से मची. इससे पहले 1990 में हज के दौरान एक सुरंग के भीतर मची भगदड़ में 1,426 लोग मारे गए थे. इस साल करीब डेढ़ लाख भारतीयों समेत बीस लाख से ज्यादा हजयात्री हज के लिए यहां आए हैं.
जेद्दा स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने बताया कि अब तक हादसे में किसी भारतीय के मारे जाने की जानकारी नहीं है. असम से आए दो हजयात्री घायल हुए हैं और इनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उधर, भगदड़ में केरल के एक व्यक्ति मोहम्मद के मारे जाने की का पता चला है. वह केरल के त्रिसूर जिले के रहने वाले थे. केरल के प्रवासी केरलवासी मामलों मामलों के मंत्री केसी जोसेफ ने आज तिरुवनंतपुरम में यह जानकारी दी.
मंत्री ने कहा कि मोहम्मद एक निजी तौर पर प्रायोजित समूह के माध्यम से हज के लिए गए थे. उन्होंने कहा कि घायलों में केरल की एक महिला भी शामिल है. भारतीय हज मिशन के चिकित्सकों को मीना और मक्का के विभिन्न अस्पतालों में तैनात किया गया है ताकि यह पता किया जा सके कि क्या और भारतीय हताहत हुए हैं.
बयान में कहा गया है कि भारतीय वाणिज्य दूतावास वहां स्थिति पर नजर बनाए हुए है. उसने कहा कि भगदड से प्रभावित इलाके में अफ्रीका और अरब देशों के हजयात्रियों के शिविर हैं. यह भगदड़ कुछ ही दिन पहले हुए उस हादसे के बाद हुई है जिसमें मक्का की बडी मस्जिद में एक विशाल क्रेन गिरने से 11 भारतीयों समेत 115 लोगों की मौत हो गई थी.
मीना में हुई इस भगदड़ के बाद से राहत कार्य चलाया जा रहा है. मीना में पहले भी इस तरह की भगदड़ मच चुकी है और उसमें सैंकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. मीना में 2006 में हज के दौरान शैतान को कंकड मारने की रस्म के समय मची ऐसी ही एक भगदड़ में मारे गए 364 लोगों में कम से कम 51 भारतीय भी थे. हज यात्रा इस्लाम के पांच स्तंभों में एक महत्वपूर्ण स्तंभ है जिसे हर उस मुसलमान के लिए जीवन में कम से कम एक बार करना जरुरी है, जो आर्थिक और शारीरिक रुप से सक्षम है.
* हेल्पलाइन नंबर जारी
इस घटना को लेकर भारतीय हज यात्रियों के लिए विदेश मंत्रालय ने सउदी अरब में भारतीय दूतावास का हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है. यह हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे चालू रहेगा, जिस पर लोग अपने परिजनों व संबंधियों की जानकारी ले सकते हैं. यह हेल्पलाइन नंबर है 00966125458000/00966125496000 जारी कर दिया है.
कैसे हुआ हादसा
लाखो हजयात्री इबादत के लिए पहाडी पर और इसके आसपास के व्यापक मैदान में जुटे थे. सुबह की नमाज से कई घंटे पहले तीन लाख से ज्यादा हजयात्री अराफात में मस्जिद नामिरा के बाहर एकत्र हुए थे जहां वह मस्जिद में ‘लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक’ (अल्लाह, मैं तेरी खिदमत में हाजिर हूं) के उद्घोष के बीच इबादत कर सकें. हजयात्री मीना के अराफात में तीन खंभों पर कंकड मार कर शैतान को प्रतीकात्मक तौर पर कंकड मारने की रस्म अदा करते हैं. कंकडियां मारने के बाद हजयात्री कुर्बानी की रस्म अदा करते हैं. पैगंबर इब्राहीम ने खुदा की खिदमत में अपने इकलौते बेटे पैगंबर इस्माईल को कुर्बान करने की उत्सुकता दिखायी थी. जानवरों की कुर्बानी उसी की याद में दी जाती है. जिस रास्ते से शैतान को कंकड़ मारने जाते हैं, उस रास्ते से वापस नहीं आते हैं. लेकिन कुछ लोग उसी रास्ते से वापस लौटने लगे और भगदड़ मच गयी.
सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम
ईद-उल-अजहा (बकरीद) के साथ ही इस साल का हज पूरा हो जाएगा. सउदी सरकार ने 20 लाख हजयात्रियों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे. इसके लिए सरकार ने लगभग एक लाख वर्दीधारी लोगों को इन पवित्र स्थलों पर तैनात किया था. सउदी अधिकारियों ने कहा कि इस साल 13,74,206 विदेशी हजयात्री हज के लिए आये हैं. सुप्रीम हज कमेटी के अध्यक्ष एवं सउदी अरब के शहजादा मोहम्मद बिन नायेफ ने 164 देशों से 13.8 लाख हजयात्रियों के सफल आगमन पर सुल्तान सलमान को मुबारकबाद दी है.
पहले भी हुए हैं कई बडे हादसे
दो जुलाई 1990 : पैदल चलने के लिए बनी एक टनल में मची भगदड में 1426 लोगों की मौत हुई थी.
23 मई 1994 : शैतान को पत्थर मारे के दौरान हुई भगदड में 270 लोगों की मौत हुई थी.
नौ अप्रैल 1998 : इस दिन जयारात ब्रिज पर भगदड मच गयी थी, जिसमें 118 लोगों की मौत हो गयी थी व 180 लोग घायल हो गये थे.
पांच मार्च 2001 : शैतान को पत्थर मारने के दौरान 35 लोगों की मौत हुई थी.
11 फरवरी 2003 : शैतान को पत्थर मारने के दौरान मची भगदड में इस दिन 14 श्रद्धालुओं की मौत हो गयी थी.
एक फरवरी 2004 : शैतान को पत्थर मारने के दौरान मची भगदड में 251 हजयात्रियों की मौत हो गयी थी, जबकि 244 लोग घायल हो गये थे.
12 जनवरी 2006 : इस दिन भी भगदड मची थी, जिसमें 340 लोगों की मौत हो गयी थी व 290 लोग घायल हो गये थे.
13 सितंबर 2015 : हज की तैयारी के दौरान क्रेन के गिरने से 107 लोगों की मौत हो गयी थी.