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दामादों ने बढ़ायी परेशानी

कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनके दामाद फिरोज गांधी ने राजनीतिक तौर पर परेशान कर दिया था. इस वाकये के कई दशक बीत गये. एक बार फिर राजनीति में ससुर और दामाद के रिश्तों में तनातनी चर्चा का विषय बना है. दामादों ने तीन राजनीतिक घराने को परेशानी में डाल […]

कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनके दामाद फिरोज गांधी ने राजनीतिक तौर पर परेशान कर दिया था. इस वाकये के कई दशक बीत गये. एक बार फिर राजनीति में ससुर और दामाद के रिश्तों में तनातनी चर्चा का विषय बना है.
दामादों ने तीन राजनीतिक घराने को परेशानी में डाल दिया है. केंद्रीय मंत्री और लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के दामाद प्रवीण मांझी ने टिकट न मिलने पर खुल कर बगावत कर दी है.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद का मामला इससे थोड़ा अलग है. लालू के छोटे दामाद तेज प्रताप यादव समाजवादी पार्टी से सांसद हैं. सपा इस बार बिहार में राजद और जदयू के गंठबंधन से इतर चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने तेज प्रताप यादव को विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया है.
लालू-राबड़ी की बिटिया राजलक्ष्मी से विवाह के बाद सांसद तेज प्रताप यादव पहली बार बिहार आयेंगे. यहां उनका मुकाबला अपने ससुर की अगुआइ वाली पार्टी राजद से भी होने वाली है. लालू प्रसाद को अपने दामाद से कोई शिकायत नहीं है. वह कहते हैं, तेजप्रताप इंटेलिजेंट हैं. दामाद तेज प्रताप और बेटी राजलक्ष्मी को कह दिया है कि तुमलोग अपना परिवार देखो, हमलोगों का पक्ष नहीं लेना.
रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु 2010 के विधानसभा में मसौढी (सु)सीट से लोजपा के उम्मीदवार रहे थे. इस चुनाव में उन्हें 51945 वोट मिले थे. यहां से जद यू जीता था.
साधु को उम्मीद थी कि ससुर की पार्टी से उन्हें इस बार भी टिकट मिलेगा. टिकट कटा, तो वह बिफर पड़े. बोले, पासवान पुत्र मोह में फंस गये हैं. उन्होंने धमकी दी है कि आगामी लोकसभा चुनाव में हाजीपुर (सु) सीट से पासवान के खिलाफ उनकी पत्नी (रामविलास पासवान की बेटी) उम्मीदवार होंगी. जीतन राम मांझी अपने दामाद देवेंद्र मांझी के लिए टिकट का जुगाड़ नहीं कर पाये. लिहाजा दामाद की नाराजगी बढ़ गयी. अब वह बोध गया (सु) से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
जीतन राम मांझी ने अपनी पीड़ा कुछ इस प्रकार बयां की, जब दामाद यह नहीं समझते कि उनके कदम से ससुर को क्या नुकसान होगा, तब हम क्या कर सकते हैं. दामाद अपनी ओर से कोई कदम उठाने को स्वतंत्र हैं.

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