वाशिंगटन : ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने संदेह की दृष्टि से देख रही अमेरिका जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की कि जब तेहरान में जनता ‘अमेरिका तबाह हो जाए’ के नारे लगाती है तो वहां के लोग व्यक्तिगत रूप से ऐसा नहीं चाहते. अमेरिका में रविवार को प्रसारित होने वाले सीबीएस चैनल के कार्यक्रम ‘60 मिनट्स’ में ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि जुमे को होने वाला यह प्रसिद्ध दस्तूर ईरान को नुकसान पहुंचाने वाली अमेरिका की पूर्व नीतियों की प्रतिक्रिया है. इस साल अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने रोहानी सरकार के साथ एक समझौता किया था जिसके तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कडे नियंत्रण के बदले उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाया जाएगा.
लेकिन अब भी अमेरिका का एक बडा वर्ग ईरान को एक ऐसे देश के तौर पर संदेह की दृष्टि से देखता है जो अमेरिका की तबाही चाहता है. ईरान में सरकार का नेतृत्व भले ही रोहानी कर रहे हों लेकिन देश का असली नेतृत्व सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनी करते हैं. समझौते को लेकर अमेरिका में जारी बहस में विरोधी हमेशा यह दलील देते हैं कि ईरान में अकसर होने वाली अमेरिका विरोधी नारेबाजी से ईरान सरकार के असली इरादे का पता चलता है.
लेकिन इस्लामी गणतंत्र के नजरिए से एक उदारवादी सुधारक समझे जाने वाले रोहानी ने सीबीएस के अपने साक्षात्कारकर्ता स्टीव क्रोफ्ट और दर्शक वर्ग को आश्वस्त करने की कोशिश की. शुक्रवार को जारी किये गये साक्षात्कार के एक हिस्से में रोहानी कह रहे हैं, ‘जिस नारे की बात की जा रही है वह अमेरिकी लोगों के खिलाफ नहीं है. हमारे लोग अमेरिकी जनता का सम्मान करते हैं.’ रोहानी ने कहा, ‘ईरानी जनता किसी भी देश के साथ युद्ध नहीं चाहती.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन साथ ही ध्यान देने वाली बात है कि अमेरिकी नीतियां ईरानी लोगों के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ रही है, ऐसे में यह समझा जा सकता है कि लोग इस मुद्दे पर संवेदनशील होंगे.’