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बदले समीकरण में मैदान मारने की कवायद

लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में सभी पार्टियों को प्रतिनिधित्व का मौका मिला, लेकिन आज भी यह पिछड़े इलाकों में शुमार है. कृषि प्रधान इस इलाके में आज भी परंपरागत तरीके से खेती होती है. लखीसराय का औद्योगिक विकास नहीं हुआ. इस विधानसभा क्षेत्र में विकास प्रमुख चुनावी मुद्दा है. लखीसराय में बाइपास सड़क निर्माण का कार्य […]

लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में सभी पार्टियों को प्रतिनिधित्व का मौका मिला, लेकिन आज भी यह पिछड़े इलाकों में शुमार है. कृषि प्रधान इस इलाके में आज भी परंपरागत तरीके से खेती होती है.

लखीसराय का औद्योगिक विकास नहीं हुआ. इस विधानसभा क्षेत्र में विकास प्रमुख चुनावी मुद्दा है. लखीसराय में बाइपास सड़क निर्माण का कार्य अधूरा है. बड़हिया का टाल क्षेत्र विकास से कोसों दूर है. इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता बेहद संवेदनशील रहे हैं. लिहाजा, हर दो चुनाव के बाद उसने प्रतिनिधित्व के सवाल पर या तो पार्टी बदल दी या फिर उम्मीदवार सामाजिक समीकरण के आधार पर चुनाव परिणाम को प्रभावित करता रहा है.

इस बार चुनाव में वोटरों की गोलबंदी का आधार बदला है. भाजपा ने मौजूदा विधायक को उम्मीदवार घोषित कर दिया है तो महागंठबंधन को उम्मीदवार तय करना है. आज पढ़िये लखीसराय विधानसभा चुनाव के हलचल के बारे में यह रिपोर्ट

ऐतिहासिक अवशेषों को अपने में समेटे लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, राजद, कांग्रेस, जनता दल सहित अन्य पार्टियों को समान रूप से मौका मिला, बावजूद इसके इस क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो पाया. शहरवासी आज भी जाम की समस्या से दो-चार होते हैं तो दियारा इलाके में अब भी विकास की रोशनी नहीं पहुंच पायी है.

इस विधानसभा सीट से वर्ष 1977 में जेएनपी के टिकट पर कपिलदेव सिंह 46 हजार 76 मत प्राप्त कर विजयी हुए. उन्होंने कांग्रेस के अजरुन सिंह को पराजित किया. 1980 के चुनाव में कांग्रेस (आइ) के टिकट पर अश्विनी शर्मा 34 हजार 63 मत लाकर विजयी हुए. उन्होंने आइएनडी के यदुवंश सिंह को पराजित किया. 1985 के चुनाव में जेएनपी के उम्मीदवार कृष्णचंद्र प्रसाद सिंह 46 हजार 681 मत लाकर कांग्रेस के अश्विनी शर्मा को पराजित किया. 1990 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर एक बार फिर कृष्णचंद्र प्रसाद सिंह ने 67 हजार 756 मत लाकर बाजी मारी. उन्होंने आइएनडी के उम्मीदवार अश्विनी शर्मा को पराजित किया.

1995 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर यदुवंश सिंह 28 हजार 290 मत लाकर विजयी हुए. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार अश्विनी शर्मा को पराजित किया. वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कृष्णचंद्र प्रसाद सिंह तीसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहे. उन्होंने 46 हजार 372 मत लाकर राजद के फुलैना सिंह को पराजित किया.

फरवरी 2005 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर पहली बार विजय कुमार सिन्हा 27 हजार 554 मत लाकर विजयी हुए. उन्होंने राजद के फुलैना सिंह का पराजित किया. अक्तूबर 2005 के चुनाव में राजद के टिकट पर फुलैना सिंह विजयी रहे. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के विजय कुमार सिन्हा को 80 मतों से पराजित किया. वर्ष 2010 के चुनाव में एक बार फिर भाजपा के विजय कुमार सिन्हा ने बाजी मारी. उन्होंने राजद प्रत्याशी फुलैना सिंह को 59 हजार 620 मतों के विशाल अंतर से पराजित किया.

सामाजिक समीकरण पर दलों की नजर

जहां तक सवाल सामाजिक समीकरण का है तो सभी पार्टियां इसे अपने तरीके से अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रही हैं.

यादव, कुर्मी एवं मुसलिम वोटरों को लेकर जहां एक पक्ष उत्साहित है, तो दूसरा पक्ष इन्हें छोड़ कर अपने समीकरण को प्रभावी होने का दावा कर रहा है, लेकिन समीकरण की परख तो उम्मीदवारों के चयन के बाद ही होगी. हालांकि भाजपा ने अपने मौजूदा विजय कुमार सिन्हा को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इसके पहले पार्टी के तकनीकी सेल के जिलाध्यक्ष सुजीत कुमार भी टिकट के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए थे.

पिछले कुछ महीनों से भाजपा इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से दो खेमे में बंटी नजर आ रही थी. सुजीत कुमार पार्टी का झंडा लेकर टिकट के लिए पटना से दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे थे.

कुछ दिन पूर्व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के आगमन पर भी कार्यकर्ताओं ने जम कर हंगामा किया था. दूसरी ओर, पार्टी का कहा है कि जब उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी गयी, तो अब खेमेबाजी का सवाल ही नहीं पैदा होता. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महागंठबंधन किस उम्मीदवार के नाम पर अपनी मुहर लगाता है. ऐसे में जब टिकट की घोषणा होगी, तो विरोध से भी इंकार नहीं किया जा सकता. दावेदार खुल कर नहीं तो इस पर अपनी बात रख भी रहे हैं. ऐसे में इतना तो तय है कि टिकट वितरण के बाद भितरघात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता.

पूर्व विधायक ने बदला पाला

पिछले चुनाव में राजद के टिकट पर दूसरे नंबर पर रहे पूर्व विधायक फुलैना सिंह इस बार राजद का दामन छोड़कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ जदयू का दामन थाम चुके हैं. महागंठबंधन की ओर से लखीसराय विधानसभा की सीट किस पार्टी के खाते में जायेगी, इसको लेकर संशय बरकरार है. जहां पूर्व विधायक फुलैना सिंह जदयू टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. वहीं पार्टी के कई अन्य नेता टिकट के लिए पटना में डेरा डाले हुए हैं. राजद के टिकट के लिए भी कई रसूखदार नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता अजय सिंह को महागंठबंधन का उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना बनी हुई है. मोती साव वाम दलों के उम्मीदवार हो सकते हैं. कांग्रेस के टिकट पर पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रभात कुमार सिंह अपनी किस्मत आजमाने की जुगत में लगे हैं.

सबने भिड़ायी ताकत, पहुंच रहे वोटर के पास

राजनीतिक समीकरण बदलने के बाद इस बार मुकाबला संघर्षपूर्ण होने की संभावना है. बीते चुनाव की तसवीर दूसरी थी. जदयू-भाजपा के अलग होने के बाद मौजूदा विधायक ने चुनाव में ताकत झोंक दी है. चुनाव की तिथि की घोषणा के बाद इलाके में चहल-पहल तेज हो गयी है. भाजपा के उम्मीदवार के बाद अब महागंठबंधन की ओर से नाम का इंतजार है.

(इनपुट : लखीसराय से राजेश कुमार गुप्ता)

मतदाता 3,42,397

इस बार के विधानसभा चुनाव में लखीसराय विधानसभा सीट पर 3,42,397 वोटर अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करेंगे. इनमें 1,83,842 पुरु ष हैं और करीब 1,58,547 लाख महिला वोटर हैं.

टाल क्षेत्र का नहीं हुआ विकास

विकास की बाट जोह रहा बड़हिया टाल का अधिकांश इलाका आज भी सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. टाल क्षेत्र के लगभग 20 गांव ऐसे हैं जहां न सड़क और न ही बिजली पहुंची. जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से टाल क्षेत्र का दो फसलीकरण नहीं हुआ.

स्थानीय लोगों के मुताबिक टाल विकास योजना का डीपीआर भी बना लेकिन इसपर आज तक क्रियान्वयन नहीं हुआ. नेता चुनाव के समय वायदे करते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद वायदे भूल जाते हैं. अगर समय पर टाल क्षेत्र में जलनिकासी की व्यवस्था हो तो दलहन उत्पादन में वृद्धि होगी जिससे क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सकेगी.

सुधरी बिजली, बने पुल-पुलिया

क्षेत्र में पिछले पांच सालों में विकास के कई कार्य हुए. बिजली की व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ. विधानसभा क्षेत्र में एमएमजीएसवाई के तहत लगभग 55 सड़कों का निर्माण हुआ. तीन पुल का निर्माणाधीन है, जिसमें तिलोखर गांव में आरसीसी पुल का कार्य पूरा हो चुका है.

विधानसभा क्षेत्र में सात पुलिया, दो दर्जन सामुदायिक भवन, आठ यात्री शेड एवं कला मंच का निर्माण कराया जा रहा है. लखीसराय बाइपास एनएच 80 से एसएच आठ जमुई मोड़ तक पथ निर्माण कार्य आरओबी सहित राज्य सरकार के शत प्रतिशत राशि से कराया जा रहा है.

कई योजनाएं रह गयीं अधूरी

लखीसराय आज भी औद्योगिक विकास की बाट जोह रहा है. यहां के लोग आज भी खेती पर निर्भर करते हैं लेकिन कृषि के आधुनिककरण का प्रभाव यहां नहीं के बराबर है. सिंचाई सुविधा के अभाव में इस विधानसभा क्षेत्र के किसान आज भी मॉनसून पर निर्भर रहते हैं. खेती को बाजार से जोड़ने की पहल नहीं हुई. आज भी युवाओं का पलायन जारी है.

विधानसभा क्षेत्र में सड़क, नाला, पुल-पुलिया सहित कई योजनाएं पूरी नहीं हुई. दर्जनों योजनाओं का शिलान्यास चुनाव की तिथि नजदीक आने के बाद आनन-फानन में हुआ. लखीसराय बाइपास निर्माण कार्य अब भी अधूरा पड़ा है. शहर के लोगों को जाम की समस्या से निजात नहीं मिला. शहर में पार्किग, सौंदर्यीकरण की दिशा में कदम नहीं उठाया गया. अधिकांश ग्रामीण सड़कें जजर्र बनी हुई है. मनसिंघा पइन की व्यवस्था पटरी पर नहीं होने से शहर में जलनिकासी की समस्या बनी हुई है.

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