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अखंड सौभाग्य का व्रत हरितालिका तीज आज

आस्था : बाजारों में खरीदारी के लिए उमड़ी महिलाओं की भीड़ भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए पार्वती ने किया था व्रत सीवान. पति की दीर्घायु व सौभाग्य का व्रत हरितालिका तीज गुरुवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रख मां पार्वती व भगवान […]

आस्था : बाजारों में खरीदारी के लिए उमड़ी महिलाओं की भीड़
भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए पार्वती ने किया था व्रत
सीवान. पति की दीर्घायु व सौभाग्य का व्रत हरितालिका तीज गुरुवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रख मां पार्वती व भगवान शिव की आराधना करेंगी.
तीज व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है. घर-घर पकवान व गुंजिया तैयार किये जा रहे हैं. साथ ही महिलाएं नूतन वस्त्र व शृंगार प्रसाधन खरीदने में जुटी हैं. इस कारण बाजारों में भारी भीड़ नजर आ रही है.
मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने हिमालय में गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया. इस दौरान उन्होंने अन्न का भी सेवन नहीं किया.
काफी समय सूखे पत्ते चबा कर फिर कई वर्ष तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही व्यतीत किये. इसी दौरान भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया को हरितालिका तीज का व्रत कर भगवान शंकर को प्रसन्न किया. व्रत के प्रभाव से ही भगवान शिव भगवती पार्वती को पति रूप में प्राप्त हुए.
पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती शिव को पति रूप में वरण करने के लिए कठोर तप कर रही थी. यह स्थिति देख कर उनके पिता पर्वत राज हिमालय व उनकी माता मैना काफी दु:खी थे. इसी दौरान एक दिन देवर्षी नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया.
पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बतायी तो वह बहुत दुखी हो गयीं और विलाप करने लगीं. फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वह यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही है, जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं. तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गयी और वहां एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गयी.
माता पार्वती भाद्र शुक्ल तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया. तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिये और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया.
मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वह अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करती हैं. साथ ही यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशी बरकरार रखने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है. उत्तर भारत के कई राज्यों में इस दिन मेहंदी लगाने और झूला-झूलने की प्रथा है. यह महिलाओं की मुख्य त्यौहार है.
साथ ही मनचाहा पति प्राप्ति के लिए कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं. इस दिन शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत का विधान है. मान्यतानुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इसे छोटी तीज या श्रवण तीज के नाम से भी जाना जाता है.

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