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शिक्षा एवं रोजगार पर होनी चाहिए बहस

कृष्ण कुमार कुलकर्णी नयी दिल्ली से हतर शिक्षा और रोजगार के अवसर के अभाव में बिहार के लोग पलायन कर रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षो में इसमें कमी जरूर आयी है, लेकिन इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता. अब जब बिहार में विधान सभा चुनाव का वक्त आ चुका है और किसी भी पल […]

कृष्ण कुमार कुलकर्णी
नयी दिल्ली से
हतर शिक्षा और रोजगार के अवसर के अभाव में बिहार के लोग पलायन कर रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षो में इसमें कमी जरूर आयी है, लेकिन इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता.
अब जब बिहार में विधान सभा चुनाव का वक्त आ चुका है और किसी भी पल इसकी घोषणा हो सकती है, तो ऐसे में इस मुद्दे पर बहस करना बेहद जरूरी है. हमारे मां-बाप भी यही चाहते हैं कि उनके बच्चे अपने घर पर ही रहें और काम-धंधा करें, लेकिन उनकी भी मजबूरी होती है कि उन्हें अपने बच्चों को न चाह कर भी बाहर भेजना पड़ता है. कितने दुर्भाग्य की बात है कि हमारे यहां के लोगों को नौकरी की वजह से पूरी जिंदगी अपने घर से बाहर ही बिता देनी पड़ती है. शिक्षा के लिए बच्चों को अपने परिवार से इतना दूर जाना पड़ता है.
यदि उन्हें राज्य में ही बेहतर शिक्षा और अवसर मुहैया करा दिये जायें, तो वे भला इतनी दूर क्यों जायेंगे? इस बार जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं, उनके पास इस सवाल का जवाब होना चाहिए कि राज्य में ही शिक्षा की स्थिति को मजबूत बनाने और रोजागार के विपुल अवसर उपलब्ध कराने के लिए वे क्या करेंगे? जनता को भी अलग-अलग मंच से वोट मांग रहे राजनीतिक दलों और उनके नेताओं से सवाल करना चाहिए कि वे इस दिशा में क्या करने जा रहे हैं?
हो सकता है कि हमारे नेता और राजनीतिक दल फिर से वही वादा कर दें कि वे जरूर बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए काम करेंगे, लेकिन केवल इतने वादे से हमें इस बार संतोष नहीं करना चाहिए. नेताओं से हमें यह मांग करनी चाहिए कि इस दिशा में बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए उन्होंने जो योजना तैयार की है, उसे विस्तार से हमारे सामने रखें. समय आ गया है जनता के साथ राजनेता भी इस मुद्दे को गंभीरता से लें, क्योंकि राज्य के विकास का एजेंडा इस मुद्दे में भी छिपा हुआ है.
इसमें कोई शक नहीं कि बिहार के लोगों में जितनी क्षमता है, उतनी शायद देश के किसी और राज्य के लोगों में नहीं. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भागलपुर में आयोजित रैली में इसे स्वीकार किया है. ऐसे में यहां की प्रतिभा और यहां की मेहनत को यदि यहां के लिए ही इस्तेमाल किया जाये, तो इसके परिणाम कितने अच्छे साबित हो सकते हैं, शायद इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते.
चुनाव ही वह समय है, जब जनता को उसकी असली ताकत उसके हाथ में मिलती है. इसी दौरान यह निर्णय कर सकती है कि कौन सत्ता में रहेगा और कौन सत्ता से बाहर. ऐसे में चुनाव का यह समय किसी स्वर्णिम अवसर से कम नहीं है. इस बार मतदाताओं और विशेष रूप से युवा मतदाताओं को यह ठान लेना चाहिए कि वे उन्हीं नेताओं को वोट दें, जो सच में उनके लिए काम करनेवाले हैं.
जिनके पास हमारी प्रतिभा को मौका देने के लिए ठोस योजना है और जो यहां के श्रम को यहां पर ही सही मुकाम दिला सकते हैं, उन्हीं को केवल इस चुनाव में वोट मांगने का अधिकार है. शिक्षा और अवसर की तलाश में जो युवा हैं, उन्हें भी मतदान करने से इस बार नहीं चूकना चाहिए.

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