बीके सिन्हा
अधिवक्ता पटना उच्च न्यायालय
कानूनी दृष्टि से जब तक किसी व्यक्ति पर लगा आरोप अदालत में साबित नहीं हो जाता, तब तक वह अपराधी नहीं है. इस आधार पर संगीन आरोप के बावजूद लोग चुनाव लड़ते हैं, लेकिन राजनीति का कानून से ज्यादा समाज से सरोकार है और अनुभव यह बताता है कि कुछ अपवादों को छोड़ कर, ऐसे व्यक्तियों का चुनाव लड़ना समाज के हित में नहीं है.
राजनीतिक सुधार के लिए यह जरूरी है कि राजनीतिक आरोप और स्वाभाविक आरोप के बीच बुनियादी फर्क राजनीतिक दल करें और इसका मापदंड खुद तय करें. यह नैतिकता का सवाल है और इसे केवल कानून की नजर से नहीं देखा जा सकता. चूंकि इसका प्रभाव व्यापक है. इसलिए इसकी अनदेखी नही की जा सकती. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आपराधिक चरित्र और कृत्य के लोग राजनीतिक संरक्षण के लिए चुनाव मैदान में उतरते हैं.