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आजकल तो बात-बात में उड़ रहे हैं नोट
नरेंद्र कुमार पूर्व विधायक, नवादा नवादा की राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित करते रहे पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार उर्फ नुनु बाबू नेताओं की जीवनशैली और राजनीतिक परिवेश में आये बदलाव को देख बेहद असहज महसूस करते हैं. वह 1985 में कांग्रेस के टिकट पर नवादा से विधायक बने थे. कहते हैं, ‘उस जमाने में […]
नरेंद्र कुमार
पूर्व विधायक, नवादा
नवादा की राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित करते रहे पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार उर्फ नुनु बाबू नेताओं की जीवनशैली और राजनीतिक परिवेश में आये बदलाव को देख बेहद असहज महसूस करते हैं.
वह 1985 में कांग्रेस के टिकट पर नवादा से विधायक बने थे. कहते हैं, ‘उस जमाने में तो कार्यकर्ता ही चुनाव लड़ता, जीतता व हारता था. प्रत्याशी तो महज अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे. उन्हें कार्यकर्ताओं का ही पूरा भरोसा रहता था. नेता जानते थे कि चुनाव वे कार्यकर्ताओं के बूते ही लड़ व जीत सकते हैं. पर देखिए, आज क्या हो गया है? बात-बात में पैसे उछल रहे हैं, नोट उड़ रहे हैं. आज चुनाव में जिस प्रकार खर्च बढ़ा है, वैसी स्थिति पहले तो नहीं थी.
कार्यकर्ता अपने घर से खाना खाकर आते थे और पैदल ही गांव-गांव उम्मीदवारों के साथ चलते थे. हमें याद है, डेढ़-दो सौ की संख्या में हमलोग एक साथ पैदल प्रचार करने निकलते थे. रास्ते में जिस गांव में दोपहर होती, वहीं भोजन का कोई न कोई इंतजाम हो जाता था. कार्यकर्ता ही जुटा देते थे. रात में कहीं पड़ाव हो जाता, बसेरा लग जाता था.
राजनीति में इतनी पवित्रता थी कि कौन आपका वोटर है और कौन नहीं, इसका पता ठहराने और कार्यकर्ताओं को भोजन कराने में लोगों के समर्पण के चलते पता ही नहीं चलता था. एक बात और. पहले कार्यकर्ता को ही नेता बनाकर पार्टी टिकट देती थी. लेकिन, आज पैसा और पहुंच टिकट के लिए जरूरी हो गया है.
ग्रास रूट के कार्यकर्ता आलाकमान को ताकते रह जाते हैं. दूसरी पार्टियों से आये दबंग व धनपति असली दावेदार को धकिया कर आसानी से टिकट पा लेते हैं.’ वैसे, उनका कहना है कि नये दौर में वोटर समझदार हुआ है.
वह अच्छा-बुरा खुद ही समझने की स्थिति में है. मीडिया व अन्य संचार माध्यमों से लोगों में जागरूकता भी काफी बढ़ गयी है. नुनू बाबू कहते हैं, ‘ चुनाव लड़ने का तौर-तरीका अब हाइटेक भी हो गया है. जमीनी कार्यकर्ताओं का महत्व घटा है. यही कारण है कि नेता जनता से दूर होते जा रहे हैं. सफल लोकतंत्र के लिए जनप्रतिनिधि को आम लोगों से जुड़ा रहना चाहिए.
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