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गुजराल लड़े तो जरूर, पर चुनाव ही रद्द हो गया
पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल पटना संसदीय क्षेत्र से जीत कर लोकसभा जाना चाहते थे. वह इस सीट से चुनाव में तो उतरे, लेकिन न जीते, न हारे. दरअसल चुनाव आयोग ने पटना संसदीय क्षेत्र का मतदान ही रद्द कर दिया था. यह वाकया 1991 के लोकसभा चुनाव का है. तब भाजपा के समर्थन वापस […]
पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल पटना संसदीय क्षेत्र से जीत कर लोकसभा जाना चाहते थे. वह इस सीट से चुनाव में तो उतरे, लेकिन न जीते, न हारे. दरअसल चुनाव आयोग ने पटना संसदीय क्षेत्र का मतदान ही रद्द कर दिया था. यह वाकया 1991 के लोकसभा चुनाव का है. तब भाजपा के समर्थन वापस लेने से वीपी सिंह के नेतृत्व वाली जन मोर्चा की केंद्र की सरकार गिर गयी थी.
मध्यावधि चुनाव में जनता दल ने पटना सीट से इंद्र कुमार गुजराल को अपना प्रत्याशी बनाया. वाम दलों ने भी गुजराल को समर्थन दिया. पटना के भूगोल से पूरी तरह अनजान गुजराल आर ब्लॉक के निकट एक होटल में ठहरे थे. लालू प्रसाद उन्हें लेकर जनसभाओं में जाकर चुटीले अंदाज में उनका परिचय कराते. 20 मई, 1991 को मतदान हुआ. अगले ही दिन चुनाव आयोग ने बड़े पैमाने पर बूथ कैप्चरिंग, गड़बड़ी आदि की शिकायत पर चुनाव को रद्द कर दिया. गुजराल ने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की.
लेकिन, फैसला उनके खिलाफ गया. कोर्ट ने 27 मार्च, 1993 को दिये अपने फैसले में चुनाव आयोग के आदेश को सही ठहराया.
दोबारा 1993 में उपचुनाव हुआ, तो जनता दल ने गुजराल को प्रत्याशी नहीं बनाया. उनकी जगह रामकृपाल यादव जनता दल से उतरे. उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव को हराया. हालांकि इसके पहले 1992 में इंद्र कुमार गुजराल को बिहार से ही राज्यसभा में भेजा गया.
तब तक चुनाव आयोग ने यह नियम बना दिया था कि राज्यसभा की उम्मीदवारी के लिए संबंधित राज्य का निवासी होना आवश्यक है. श्री गुजराल बिहार के निवासी नहीं थे. इसके लिए एक रास्ता निकाला गया. गुजराल को लालू प्रसाद के करीबी अनवर अहमद का किरायेदार बनाया गया. राजनीतिक का चक्र कुछ ऐसा चला कि 1997 में इंद्र कुमार गुजराल देश के प्रधानमंत्री बने.
प्रधानमंत्री रहते हुए भी उनका स्थायी पता- सब्जीबाग, पटना हुआ करता था. तब सब्जीबाग के लोग गर्व से कहा करते थे कि हमारे मोहल्ले से ही देश के प्रधानमंत्री हैं. हालांकि प्रधानमंत्री रहते हुए गुजराल कभी सब्जीबाग नहीं गये. राज्यसभा सांसद के रूप में वह यदा-कदा वहां जाते थे.
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