21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मतदाता भी कम दोषी नहीं विधायक से सवाल नहीं करते

बदरी राम पूर्व विधायक, कटेया 1962 और 1967 में गोपालगंज जिले के कटेया सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे बदरी राम. उस समय चुनाव लड़ने के दौरान उन्हें सिर्फ दौ सौ रुपये खर्च करने पड़े थे. 94 साल के बदरी राम बताते हैं कि वे कार्यकर्ताओं के साथ साइकिल से टोली बना कर […]

बदरी राम
पूर्व विधायक, कटेया
1962 और 1967 में गोपालगंज जिले के कटेया सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे बदरी राम. उस समय चुनाव लड़ने के दौरान उन्हें सिर्फ दौ सौ रुपये खर्च करने पड़े थे.
94 साल के बदरी राम बताते हैं कि वे कार्यकर्ताओं के साथ साइकिल से टोली बना कर चुनाव प्रचार के लिए निकलते थे. श्री राम 1952 में पहले विधानसभा के लिए भी चुनाव लड़े थे. उस समय जमानत राशि सिर्फ 125 रुपये ही थी. वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन दोनों चुनावों में उनकी हार हुई.
1962 एवं 1967 के विधानसभा चुनाव में वह विधायक चुने गये. आज की राजनीति और चुनाव के संबंध में सवाल पूछने पर बदरी राम मायूस हो जाते हैं. कहते हैं- अब पहले वाली बात नहीं रही. आज सिर्फ पैसा बोल रहा है. वह बताते हैं कि उस समय भी लोग उम्मीदवारों से खाते थे, खाकर वोट करते थे. लेकिन आज के चुनाव में लोग खाकर भी वोट नहीं देते हैं.
अपने चुनाव के दिनों को याद करते हुए बदरी राम बताते हैं कि उस समय साइकिल से टोली में घूम कर चुनाव प्रचार करते थे. जहां रात हुई, वहीं खाकर सो जाते थे. दिखावा नहीं जनता से अपनापन था. पटना जाने के लिए पगरा (पैतृक गांव) से पैदल भटनी स्टेशन जाते थे.
उनका कहना है कि चुनाव जीतते ही मुखिया बोलेरो पर सवार होने लगता है. आज की राजनीति रैलियों पर ही टिकी है. चुनाव के समय की जाने वाली रैलियों में नेता गाड़ियों का काफिला लेकर जाते हैं. भले ही उसमें आदमी हो या न हो. नेताओं में कमिटमेंट नहीं रहा. इसमें दोष जनता का भी है. जनता ने अब सवाल करना बंद कर दिया है. पहले ऐसा नहीं था. चुनाव जीतने के बाद विधायक से क्षेत्र की जनता बहुत सवाल करती थी.
जानना चाहती थी कि विधायक कौन-कौन सी योजनाओं को क्षेत्र में लाने की पहल कर रहे हैं. इससे प्रतिनिधि पर भी दबाव रहता था. अब तो जीतने के बाद विधायक क्षेत्र में जाते ही नहीं है. पहले लोग काम पर वोट करते थे. लेकिन आज लोगों को बांट कर जाति की राजनीति की जा रही है. उस समय के चुनाव में हर प्रत्याशी के लिए अलग अलग रंग का बैलेट बॉक्स होता था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें