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भ्रष्टाचार से मुक्ति और शिक्षा पर हो जोर

विकास कुमार दिल्ली से हार चुनावी गरमी में तप रहा है. राज्य के गांव-देहात तो फिलहाल खेती-किसानी में व्यस्त हैं लेकिन शहरी इलाके खासकर पटना पोस्टर और बड़े-बड़े होर्डिंग्स से पटा पड़ा है. पिछले दिनों बिहार स्थित अपने गांव आना हुआ. वर्तमान सरकार में काम हुआ है, इससे कोई इनकार नहीं कर रहा. मैंने खुद […]

विकास कुमार

दिल्ली से

हार चुनावी गरमी में तप रहा है. राज्य के गांव-देहात तो फिलहाल खेती-किसानी में व्यस्त हैं लेकिन शहरी इलाके खासकर पटना पोस्टर और बड़े-बड़े होर्डिंग्स से पटा पड़ा है. पिछले दिनों बिहार स्थित अपने गांव आना हुआ. वर्तमान सरकार में काम हुआ है, इससे कोई इनकार नहीं कर रहा.

मैंने खुद पिछले दिनों में और अबकी बार में एक बड़ा बदलाव महसूस किया है. मेरा गांव पटना से लगभग तीस किलोमीटर की दूरी पर है. इस बार जब मैं घर गया तो मैंने लगभग 18 से 19 घंटे तक बिजली देखी और घर के सदस्यों सहित ग्रामीणों ने भी बताया कि अब यह सामान्य सी बात है. पिछले साल तक मेरे गांव में बिजली की आपूर्ति बमुश्किल चार से पांच घंटे तक की थी और इससे पहले के वर्षों में तो बिजली आती ही नहीं थी.

हालांकि मैं यह जानता हूं कि राज्य में अभी भी काफी गांव ऐसे हैं जहां बिजली नहीं पहुंच पायी है या वहां बिजली के नाम पर केवल सरकारी खंभे ही पहुंच सके हैं. लेकिन मैं यह भी कह सकता हूं कि ऐसे गांव अब बहुतायत में नहीं बचे होंगे, थोड़े से ही होंगे! इन गांवों तक बिजली जल्दी से पहुंचनी है.

सरकार ने यह भी कोशिश की थी कि सरकारी दफ्तरों में घूस लेने का और घूस न देने वालों को परेशान करने का जो एक रिवाज सा बन गया है उसे तोड़ा जाये. कुछ कानून भी बने थे लेकिन इस मोर्चे पर सरकार पूरी तरह सफल नहीं हो पायी है. राज्य में भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ है.

दो सौ रुपये के वृद्धावस्था पेंशन के लिए पचास रुपये पहले देने पड़ते हैं. आधार कार्ड बनवाने के लिए पच्चास से सौ रुपये देने पड़ते हैं. गरीबी रेखा में नाम डलवाने से लेकर प्रधानमंत्री स्वच्छता मिशन के तहत मिलने वाले अनुदान या फिर इस योजना के तहत शौचालय बनवाने तक के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं.

इससे राज्य की गरीब और निर्धन जनता परेशान हो रही है. आने वाली सरकार से मेरी एक बड़ी अपेक्षा यह है कि वह राज्य से भ्रष्टाचार को हटाने में अपना सारा बल लगा दे. इस रोग ने एक बार फिर पूरे राज्य को खासकर गांव की निर्धन जनता को सताना शुरू कर दिया है. राज्य के सरकारी स्कूलों के मकान तो बन गये हैं, लेकिन इन मकानों में जो शिक्षा मिल रही है वो दोयम नहीं बल्कि सबसे निम्न स्तर की है.

इस चुनाव और राज्य की अगली सरकार से मेरी यह भी अपेक्षा है कि वह पहले स्कूलों के शिक्षकों को ठीक से शिक्षित करें. उन्हें पढ़ाए ताकि वो बच्चों को कुछ बेहतर बताएं और सिखाएं. राज्य में समस्याओं की और सरकार से उम्मीदों की कमी नहीं है. लेकिन मेरी समझ के अनुसार ये दो ऐसे मुद्दे हैं जिनमें सुधार होना बेहद जरूरी है.

आने वाली सरकार अगर इन दो मुद्दों का समुचित समाधान तलाश लेती है तब राज्य का विकास अपने आप होने लगेगा. ऐसे मुद्दों को सरकार अकेले नहीं सुलझा सकती है. जनता को भी इसका समाधान तलाशने के लिए आगे आना होगा. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी, तभी विकसित होगा बिहार.

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