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अब बहिष्कार नहीं नोटा का इस्तेमाल होता है
च अ प्रियदर्शी, सामाजिक कार्यकर्ता चुनाव में नक्सली संगठनों का वोट बहिष्कार का एलान बहुत पुरानी परंपरा है. पहले नक्सल प्रभाव वाले इलाके में इसका असर दिखता था. लेकिन, अब संगठन वोट बहिष्कार की जगह नोटा का इस्तेमाल करने का एलान करते हैं. लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के उन इलाकों में जहां नक्सलियों का दबदबा […]
च अ प्रियदर्शी, सामाजिक कार्यकर्ता
चुनाव में नक्सली संगठनों का वोट बहिष्कार का एलान बहुत पुरानी परंपरा है. पहले नक्सल प्रभाव वाले इलाके में इसका असर दिखता था. लेकिन, अब संगठन वोट बहिष्कार की जगह नोटा का इस्तेमाल करने का एलान करते हैं.
लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के उन इलाकों में जहां नक्सलियों का दबदबा है, वहां नोटा का बहुत इस्तेमाल हुआ है. नक्सली संगठन अब अपना वोट बर्बाद नहीं करते हैं. नोटा का ऑप्शन इस्तेमाल करने से उनका कैडर भी सुरक्षित रहता है और सपोर्ट बेस भी नहीं छिटकता है. नक्सली संगठनों का सिद्धांत है कि वोट में दोस्ती नहीं करेंगे.
उनका मानना है कि दोस्ती में यदि किसी को वोट देंगे,तो बाद में संगठन को ही कमजोर करने की कोशिश करेंगे. इससे ज्यादा अच्छा है नोटा का इस्तेमाल. नोटा का बटन दबाने से वोट भी पड़ जाता है और समर्थकों का बेस भी बना रहता है. नक्सली संगठन के साथ-साथ कई सामाजिक संगठन भी अपने-अपने प्रभाव वाले इलाके में इस तरह से वोटिंग करने के लिए समर्थकों को प्रोत्साहित करते हैं.
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