नवीन कुमार
दुबई से
बचपन से ही देख रहे हैं बिहार को. बिहार की उंगली पकड़ करचले हैं हम. आज जब हम कई देश और विश्व के कई बड़े-बड़े शहर घूम चुके हैं, तो यह ख्वाहिश अवश्य रहती है कि जो बिहार इतिहास में अधिकतर नये और सकारात्मक कार्य के लिए मार्गदर्शक रहा है, वर्तमान मे मार्गदर्शक न सही, कम-से-कम विकास की धारा में सकारात्मक रहे, गतिमान रहे, आगे बढ़ता रहे, चलता रहे.
हम जब आज के बिहार को देखते हैं, तो पता नहीं क्यों ऐसा लगता है कि सकारात्मक और सम्पूर्ण विकास की धारा में अपना राज्य बिहार गतिहीन है. बिहार यह समझ नहीं पा रहा है कि इसे क्या करना है, किस ओर जाना है?
उपराष्ट्रवाद की कमी, अपनी भाषाई पहचान, संस्कृति और अपने प्राचीन इतिहास से दूर होता बिहार फिलहाल दिशाहीन है.
भारत के विकसीत राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब या तमिलनाडू के तर्ज पर बिहार का विकास नहीं हो सकता, यह हमें चीन जैसे पड़ोसी देश से सीखना चाहिए. चीन के तियांजिन, शंघाई और अन्य औद्योगिक राज्य/शहरों में वहां की भौगोलिक स्थिति को देखकर निवेश किया गया है. बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए यहां की भौगोलिक जरूरतों के हिसाब से निवेश नीति बनाने की
जरूरत है.
बिहार की सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी और अशिक्षा. शिक्षा के क्षेत्र में बिहार में संतुलित काम नही होने की वजह से पलायन और बेरोजगारी ने अपने पांव पसार लिये हैं. यह गरीबी को भी दिन-प्रतिदिन बढ़ा रही है. कहा जाता है कि जिस क्षेत्र में गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी ज्यादा हो, वहां अपराध की खेती बहुत उपजाऊ होती है. बिहार इसका बेहतरीन उदाहरण है.
बिहार में इस समय विधानसभा चुनाव की सरगर्मी है. समाचार चैनलों और अखबार के इंटरनेट संस्करणों को देखकर हम इसका अनुमान लगा सकते हैं. इसबार बिहार विधानसभा का चुनाव ऐतिहासिक होने की संभावना है.
मेरे हिसाब से यह चुनाव राज्य का अगले 20 वर्षो का भविष्य तय करेगा. मेरा मानना है कि बिहार एक ऐसी सरकार होनी चाहिए जो यहां की भौगोलिक जरूरतों के हिसाब से नीति बनाए. विश्वविद्यालयों के साथ-साथ कृषि आधारित रिसर्च करने वाले कालेजों की स्थापना करे. एफएमसीजी से जुड़ी कम्पनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करे.
कृषि से जुड़े कल-कारखाने लगाने वालों को मदद मिले. अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट, यातायात के साधन और होटल हों जिससे बिहार अपने पर्यटन उद्योग को और अधिक कमाऊ बना सके. यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र हैं, जिसमें बिहार बहुत कम निवेश कर ज्यादा रोजगार उत्पन्न कर सकता है. लेकिन, इन सब के लिए बिहार को उसकी की जरूरतों के हिसाब से सोचने वाली सरकार चाहिए. ऐसी सरकार को चुनने की जिम्मेदारी बिहार की जनता की है.
जनता को अपने प्रतिनिधि चुनने से पहले यह जानना जरूरी है कि उसके पास बिहार के बारे में कितनी जानकारी है. अगर जन प्रतिनिधि को बिहार के बारे में जानकारी होगी तभी वह नीति बना सकता है.