1972 के बिहार विधानसभा चुनाव में एक सीट पर जीत का अंतर सिर्फ 163 वोट था. दिलचस्प बात यह थी कि जीत के अंतर वाले वोट से कहीं ज्यादा वोट तकनीकी आधार पर रद्द कर दिये गये थे. यह मजेदार वाकया हुआ था – छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में. तब यह बिहार के क्षेत्रधिकार में था. कांग्रेस के टिकट पर खड़े कुंभनारायण सरदार को 22309 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे महेंसा नारायण सरदार को 22146 वोट मिले. कुंभनारायण 163 वोट से जीत गये. चुनाव में कुल चार प्रत्याशी थे
और बाकी तीन प्रत्याशियों को दो हजार से भी कम वोट प्राप्त हुए. खास बात यह थी कि चुनाव में 51 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो तब के लिहाज से ठीक-ठाक मानी जाती थी. लेकिन, कांटे ककांटे के टक्कर में मामूली अंतर से जीत हुई और बाकी प्रत्याशी कहीं नहीं ठहरे. इसकी एक वजह यह भी रही कि इस क्षेत्र में 960 वोट रेजेक्ट हो गये थे.