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बिहार को उन्नत प्रदेशों में देखने की चाहत

रश्मि रविजा,मुंबई से दुनिया के किसी भी कोने में कोई जाकर बस जाए , पर जिन गली कूचों में बचपन गुजरा होता है ,वे कभी नहीं बिसरती. वहां की खबरें जानने की ललक हमेशा बनी रहती है. बीस वर्ष के मुम्बई प्रवास के बाद भी बिहार के रस्मों रिवाज ,वहां के पर्व त्यौहार मनाते ,ऐसा […]

रश्मि रविजा,मुंबई से

दुनिया के किसी भी कोने में कोई जाकर बस जाए , पर जिन गली कूचों में बचपन गुजरा होता है ,वे कभी नहीं बिसरती. वहां की खबरें जानने की ललक हमेशा बनी रहती है. बीस वर्ष के मुम्बई प्रवास के बाद भी बिहार के रस्मों रिवाज ,वहां के पर्व त्यौहार मनाते ,ऐसा महसूस होता है, हम बिहार से बाहर हैं पर बिहार हमारे अंदर बसा हुआ है. जब लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव निकट हो तो वहां की उथल-पुथल से कोई बिहारी कैसे अछूता रह सकता है.

हम जिन प्रदेशों में रहते हैं, बिहार को भी उन प्रदेशों सा ही उन्नत और विकासशील देखना चाहते हैं. परन्तु अब तक की कोई भी सरकार यह सपना पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकी है. लालू सरकार को करीब से देखा है. उसके बाद बिहार की जनता ने बदलाव के लिए नीतीश सरकार को वोट दिया. बिहार जाने पर दूर गांवों तक पक्की सड़कें, उन पर आजाद पंछी सी साइकिल से स्कूल जाती लड़िकयां मन मोह लेतीं हैं. हालांकि सुनने में आया सड़क निर्माण, साइकिल वितरण में भी खूब धांधली हुई ,परन्तु थोड़े सुखद बदलाव भी नजर आये. बड़े पैमाने पर महिलओं को शिक्षक बनाना, कानून व्यवस्था में सुधार, सरकारी कार्यालयों में समय से काम, बिजली की स्थिति में सुधार. परन्तु यह सब सकारात्मक बदलाव की शुरुआत भर थी, अभी बिहार को प्रगति के पथ पर लंबा रास्ता तय

करना है .

नितीश कुमार और लालू यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से थोड़ी निराशा भी हुई. फिर भी आशा की एक किरण है कि अगर ये गठबंधन चुनाव जीत गया तो शायद ‘लालू यादव’ सरकार पर हावी ना होने पायें क्योंकि अब बिहार की जनता शान्ति और विकास चाहती है. जातिगत आधार पर तो लोग नीतीश-लालू गंठबंधन को ही वोट देंगे. पर पढ़ा-लिखा ,जातिगत वोट से ऊपर उठा एक बड़ा वर्ग इस गंठबंधन से नाराज है और शायद पच्चीस सालों के बाद वो बीजेपी को एक मौका देना चाहे.

बिहार की प्रतिभा का लोहा पूरा संसार मानता है. पूरी दुनिया में, हर क्षेत्र में उच्च पदों पर बिहारी आसीन हैं पर दु:ख की बात है कि वे उच्च शिक्षा बिहार के बाहर प्राप्त करते हैं. बिहार में शिक्षा का स्तर सुधरे, जिस से प्रतिभाओं का पलायन ना हो. बिहार में बेरोजगारी की समस्या का निदान भी बहुत जरूरी है. देश के हर कोने में बिहारी रोजगार की तलाश में जाते हैं.

अगर उन्हें अपने प्रदेश में रोजगार मिले तो उन्हें अपना घर, अपना परिवार छोड़ना नहीं पड़ेगा.

बिहार विकास के पथ पर तेजी से दौड़े, इसकी जिम्मेदारी वहां के वोटरों की भी है. चुनी हुई सरकार वोटरों के मन को प्रतिबिंबित करती है. इसलिए वोटरों को जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक काम करने वाली सरकार को वोट करना चाहिए और उसके काम पर नजर भी रखनी चाहिए. बिहार के मतदाओं को भ् सबकुछ सरकार पर छोड़ने की प्रवृत्ति छोड़ने की जरूरत है. सफाई और सड़क जाम, जो बिहार में आम है, सिर्फ सरकार के भरोसे ठीक नहीं किया जा सकता है.

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