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प्रभात खबर के 31 वर्ष पूरे
प्रभात खबर आज यानी 14 अगस्त को अपना 31 वर्ष पूरा कर रहा है. आज के ही दिन यानी 14 अगस्त, 1984 को रांची से प्रभात खबर का प्रकाशन आरंभ किया गया था. तब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था. रांची तब बिहार का पिछड़ा इलाका माना जाता था. किसी भी दृष्टिकोण से दैनिक अखबार […]
प्रभात खबर आज यानी 14 अगस्त को अपना 31 वर्ष पूरा कर रहा है. आज के ही दिन यानी 14 अगस्त, 1984 को रांची से प्रभात खबर का प्रकाशन आरंभ किया गया था. तब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था. रांची तब बिहार का पिछड़ा इलाका माना जाता था. किसी भी दृष्टिकोण से दैनिक अखबार निकालने के लायक इलाका नहीं था.
आर्थिक गतिविधियां इस क्षेत्र में नहीं के बराबर थी. विज्ञापन (जो अखबार चलाने के लिए आवश्यक है) की संभावना नहीं दिखती थी. इसलिए उन दिनों रांची जैसे पिछड़े इलाके से एक दैनिक अखबार निकालने का फैसला साहस भरा कहा जा सकता है. अब अखबार निकले 31 साल हो गये. इस दौरान प्रभात खबर ने तमाम परेशानियों के बावजूद अपना सफर न सिर्फ जारी रखा, बल्कि तीन राज्यों में फैल गया. जिस प्रभात खबर की प्रसार संख्या 1989 में घटते-घटते कुछ सौ रह गयी थी, वही अखबार आज देश के तीन राज्यों के 10 शहरों (रांची, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर, पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, गया,कोलकाता और सिलिगुड़ी) से प्रकाशित हो रहा है.
आइआरएस के आंकड़ों के अनुसार प्रभात खबर की पाठक संख्या (एआइआर) देश भर में 30 लाख है जबकि सिर्फ झारखंड में 11 लाख पाठक. इस दौरान प्रभात खबर को अनेक राष्ट्रीय अखबारों की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. सीमित पूंजी के बावजूद सिर्फ अनूठे प्रयोग, जनहित और मुद्दों की पत्रकारिता कर प्रभात खबर ने न सिर्फ बड़े अखबारों का सामना किया बल्कि लगातार आगे बढ़ता रहा. एक विश्वसनीय अखबार के रूप में, अपने राज्य की लड़ाई लड़नेवाले अखबार के रूप में और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़नेवाले अखबार के रूप में अपनी पहचान बनायी.
ग्रासरूट की पत्रकारिता इसकी पूंजी रही. यही कारण है कि रांची जैसे शहरों से निकलनेवाले अखबार की आज देश भर में विश्वसनीय अखबार के रूप में पहचान है. आज जबकि देश में बाजारीकरण के कारण तेजी से पत्रकारिता बदल रही है, खबरों के चयन में बदलाव हो रहा है, व्यावसायिकता को ध्यान में रख कर फैसले हो रहे हैं, उसके बावजूद प्रभात खबर ने अखबार नहीं आंदोलन के तहत मिशन की पत्रकारिता, जमीनी हकीकत की पत्रकारिता को आगे बढ़ाया है.
यही इसकी पूंजी है. यह सही है कि आज बदलते परिवेश में मार्केट के दबाव ने पत्रकारिता को बदल दिया है, पर प्रभात खबर ने अपने कंटेंट के बल पर, भिन्न किस्म की पत्रकारिता कर, भविष्य गढ़ने में मदद करनेवाली पत्रकारिता कर इस दबाव का असर अपने ऊपर नहीं होने दिया है. यही तो इसकी पूंजी है.
आनेवाले दिनों में पूरे देश में पत्रकारिता को बड़ी चुनौतियों का सामना करना है. खास तौर पर छोटे और मझोले अखबारों को, भाषाई अखबारों को. प्रभात खबर भी इसी श्रेणी में आता है. जाहिर है प्रभात खबर की भी चुनौती कम नहीं होगी. जिस तरीके से अभी तक की यात्राा में पाठकों ने सहयोग किया है, विज्ञापनदाताओं और एजेंट/हाकर्स ने सहयोग किया है, वह सहयोग अगर हमें मिलता रहे, उनका प्यार मिलता रहे तो आगे की कठिन से कठिन चुनौतियों का मुकाबला हम कर सकते हैं. प्रभात खबर जिस मुकाम पर है, उसका श्रेय प्रभात खबर की पूरी टीम (हर विभाग की) को है, इस अखबार के शुभचिंतकों का है. प्रभात खबर को आगे बढ़ाने के लिए दृश्य और अदृश्य दोनों शक्तियों का बड़ा योगदान रहा है.
सभी का आभार.
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