सत्यदीप कुमार सिंह,बेंगलुरु से
कठिन परिस्थितियों में बिहार ने भारतीय राजनीति की दशा और दिशा बदलने में अहम भूमिका अदा की है- चाहे वह गांधी का चंपारण आंदोलन रहा हो या आपातकाल का जयप्रकाश आंदोलन. बिहार विधानसभा चुनाव भी देश की राजनीति पर असर डालेगा. यह चुनाव केंद्र सरकार के बचे लगभग साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल की दशा और दिशा तय करेगा. यह चुनाव विगत के कुछ वर्षों में चर्चित दो विकास मॉडलों- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल और मुख्यमंत्री नितीश कुमार के बिहार मॉडल के बीच सीधे मुकाबले का साक्षी भी बनेगा,
पिछले कुछ वर्षो में बिहार में काफी सकारात्मक बदलाव हुए हैं. राज्य की सड़कें बेहतर हुई हैं, सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार है, बिजली की स्थिति सुधरी है. लेकिन, जिस तेजी से दूसरे राज्यों में विकास उस हिसाब से बिहार अभी बहुत पीछे है. बिहार में उद्योग नहीं हैं. उद्योग नहीं रहने से राज्य में पलायन नहीं रुका है. रोजगार की तलाश आज भी हजारों की संख्या में युवा गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे राज्यों का रुख करते हैं. बिहार के श्रम संसाधन से दूसरे राज्य सशक्त हो रहे हैं. विधानसभा चुनाव के बाद नयी सरकार के पास बिहार में उद्योगों का जाल बिछाने का सुनहरा मौका होगा. लेकिन, इस काम के लिए उसे बिहार में लगने लायक उद्योगों के अनुकूल नीति बनानी होगी.
बिहार में कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियां जैसे मछली पालन, पशु पालन, मधुमक्खी पालन की भी बहुत संभावनाएं है. इनमें कम निवेश से भी बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन संभव है. नयी सरकार को इस क्षेत्र के लिए भी रोजगार परक नीति बनानी होगी और उस पर काम भी करना होगा. वोटरों को अपनी जवाबदेही समझनी होगी और एक ऐसी सरकार के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए, जो सिर्फ विकास की बात ही न करे, कम भी करे. बिहार को शिक्षा का केंद्र बना सके. बिहार से हजारों बच्चे पढ़ने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाते हैं. बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ बिहार के पैसे से दूसरे राज्य को सशक्त भी बना रहे हैं. बिहार में अच्छे संस्थानों की जरूरत है, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था का विकास हो. इस बार का चुनाव बिहार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा.
मेरी राय है कि जो युवा बिहार में रह रहे हैं, वह इस बात को महसूस कर रहे होंगे कि वहां रोजगार के साधन कितने सीमित हैं. जो युवा बाहर रह रहे हैं, वह यह महसूस कर रहे हैं कि अपने राज्य में ऐसी कंपनियां होतीं, जो उन्हें उनकी क्षमता और योग्यता के अनुरूप रोजगार दे पातीं, तो उन्हें बाहर नहीं रहना पड़ता. बिहार में औद्योगिक विकास की भरपूर संभावनाएं हैं. यह सरकार को सोचना होगा कि वह इन संभावनाओं का उपयोग कैसे और कितनी तेजी से करे. राज्य के पास केवल यह चुनौती नहीं है कि वह विकास के रास्ते पर तेजी से बढ़े, बल्कि इस बात की भी चुनौती होगी कि राष्ट्रीय स्तर विकास दर केअनुरूप बिहार की प्रगति को आगेले जाये.