दीपशिखा, सामाजिक कार्यकर्ता
जैसे-जैसे शहरों का विकास होता जा रहा है. वैसे-वैसे स्लम बस्तियां भी बढ़ रही हैं. स्लम में रहने वाले लोगों की स्थिति दयनीय है. सरकार की ओर से इन लोगों के लिए न तो सैनिटेशन की कोई सुविधा मुहैया करायी गयी है और न ही ऐसे इलाकों में रहने वाले बच्चों को स्कूल भेजने की पहल. स्लम को समाप्त नहीं किया जा सकता है.
लेकिन उसे व्यवस्थित जरूर किया जा सकता है. स्लम इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम, शौचालय की व्यवस्था, पीने के पानी की सप्लाई कर उन्हें एक बेहतर जीवनस्तर दिया जा सकता है. नयी सरकार जिस किसी पार्टी की बने उसे शहर के स्लम इलाकों की ओर ध्यान देने की जरूरत है. अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने वादे में इसका जिक्र नहीं किया है.