भारत विविधताओं का देश है. यहां त्योहार मनाने का भी अपना-अपना ढंग है. कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच दुर्गापूजा व दशहरे को अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है.
बिहार व बंगाल में दुर्गापूजा
बंगाल, बिहार-झारखंड, ओड़िशा और असम में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है. यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों में विराजमान करते हैं. इसके साथ अन्य देवी देवताओं की भी कई मूर्तियां बनायी जाती हैं. त्योहार के दौरान शहर में छोटे-मोटे स्टॉल भी मिठाइयों से भरे रहते हैं. यहां षष्ठी के दिन दुर्गा देवी का बोधन, आमंत्रण व प्राण प्रतिष्ठा आदि का आयोजन किया जाता है. उसके उपरांत सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी के दिन लोग पूजा पंडालों में मां के दर्शन को आते हैं. सड़कों पर मेले सा हुजूम रहता है. अष्टमी के दिन महापूजा और नवमी के दिन बलि दी जाती है. दशमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दिन यहां नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है.
महाराष्ट्र में सिलंगण
महाराष्ट्र में नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित रहते हैं.दसवें दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की वंदना की जाती है. इस दिन विद्यालय जानेवाले बच्चे अपनी पढ़ाई में आशीर्वाद पाने के लिए मां सरस्वती के तांत्रिक चिह्नें की पूजा करते हैं. महाराष्ट्र के लोग इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश एवं नये घर खरीदने के लिये शुभ मुहूर्त समझते हैं. महाराष्ट्र में इसको सिलंगण के नाम से सामाजिक महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है.
कश्मीर में खीर भवानी
कश्मीर के अल्पसंख्यक हिंदू नवरात्रि के पर्व को श्रद्धा से मनाते हैं. पुरानी परंपरा के अनुसार नौ दिनों तक लोग माता खीर भवानी के दर्शन करने के लिये जाते हैं. यह मंदिर एक झील के बीचों-बीच बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि देवी ने अपने भक्तों से कहा हुआ है कि यदि कोई अनहोनी होनेवाली होगी, तो सरोवर का पानी काला हो जायेगा. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के ठीक एक दिन पहले और भारत-पाक युद्ध के पहले यहां का पानी काला हो गया था.
गुजरात का गरबा
गुजरात में गरबा नृत्य इस पर्व की शान है. पुरुष एवं स्त्रियां दो छोटे रंगीन डंडों को संगीत की लय पर आपस में बजाते हुए घूम-घूम कर नृत्य करते हैं. भक्ति तथा पारंपरिक लोक-संगीत का आयोजन होता है. पूजा के बाद डांडिया रास का आयोजन होता है. नवरात्रि में सोने व गहनों की खरीद को शुभ माना जाता है.
दक्षिण भारत में पूजी जाती हैं तीन देवियां
तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटक में दुर्गापूजा के नौ दिनों में तीन देवियां लक्ष्मी, सरस्वती व दुर्गा की पूजा करते हैं. पहले तीन दिन धन-समृद्धि के लिए लक्ष्मी, अगले तीन दिन कला व विद्या के लिए सरस्वती व अंतिम दिन देवी दुर्गा की स्तुति की जाती है.
मैसूर में दशहरे के समय पूरे शहर की गलियों को रोशनी से सुसज्जित किया जाता है और हाथियों का श्रृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है. इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीपमालिकाओं से दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इसके साथ शहर में लोग टॉर्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभा यात्र का आनंद लेते हैं. इन द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है.