
नशा भारत के लिए तेज़ी से चिंता का विषय बनता जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत में 20 लाख लोग नशा करते हैं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार पश्चिम बंगाल नशे के मामले में देश में सबसे आगे है.
भारत में कई नशा मुक्ति केंद्र हैं लेकिन नशे के लती लोगों की संख्या को देखते हुए ये पर्याप्त नहीं हैं. नशे से मुक्त हो चुके कई लोग फिर से उसकी चपेट में आ जाते हैं.
फ़ोटोग्राफ़र रॉनी सेन ने कोलकाता में नशे की लत के शिकार कई लोगों के नशे से छुटकारा पाने के लिए की जा रही उनकी जद्दोजहद को समझने की कोशिश की.

सात साल से नशा मुक्त अनिंद्य सी को नशा छोड़ने के लिए 30 बार ट्रीटमेंट कराना पड़ा. वो पेशे से फ़िल्म अभिनेता हैं. वो कोलकाता पुलिस के नशे और तस्करी के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे अभियान के एम्बैसडर हैं.

एक महीने से नशा मुक्त- अरिजीत ए कोलकाता में नशे के सबसे पुराने लती लोगों में एक माने जाते हैं. वो पिछले 33 सालों से नशा कर रहे थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने सबसे पहले ब्राउन सुगर का नशा किया था, जो उस समय शहर के कैफ़े में खुलेआम पिया जाता था. फ़िलहाल वो अपनी माँ के साथ रहते हैं. वो बताते हैं कि उनकी माँ जब कहीं बाहर जाती हैं तो उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में छोड़कर जाती हैं. वो उन्हें घर में कभी अकेला नहीं छोड़तीं.

दो साल से नशा मुक्त- ओटिलिया ने अपने स्कूल के दिनों में मात्र 16 साल की उम्र में नशा करना शुरू किया था. वो कहती हैं, "मेरे पिता की मृत्यु के बाद मैं बहुत अकेली और अवसादग्रस्त हो गई थी. नशे से मुझे उस समय मदद मिली. मैंने नशे के लिए सबकुछ किया." अब वो अपनी पढ़ाई पूरा करना चाहती हैं.

23 साल से नशा मुक्त- दीप एम कोलकाता के सबसे पुराने नशा मुक्त लोगों में एक हैं. वो कहते हैं, "एक वक़्त था जब मैंने सारी उम्मीद छोड़ दी थी. मेरे नशे की लत के कारण एक बार मेरी माँ ने आत्महत्या की कोशिश भी की थी. उन्हें भी उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसमें मेरा नशे के लिए इलाज चल रहा था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने दिन जी पाऊँगा."

16 साल से नशा मुक्तः कनिष्क एम को नशा छोड़ने की कोशिश के शुरुआती दिन अब भी याद हैं. उनके पिता ने इसके लिए पैसे देने से मना कर दिया. उनकी पत्नी ने उनके इलाज के लिए अपने गहने गिरवी रखे. उसके बाद से वो फिर कभी नशे की गिरफ़्त में नहीं आए.
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