पाकिस्तान के पूर्व शीर्ष खुफिया अधिकारी तारीक खोसा ने अपने देश के अग्रणी अखबार डॉन में आलेख लिख कर तथ्यों के आधार पर बताया कि मुंबई के 26/11 हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गयी थी और सभी दस आतंकी पाकिस्तानी थे और पूरा ऑपरेशन कराची से नियंत्रित था. इसके बाद दुनिया भर में तारीक खोसा के चर्चे हो रहे हैं. लोग सच को स्वीकार करने और अपने देश को आईना दिखने की उनकी हिम्मत की वाहवाही करते हैं और उनके बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं. आइए हम आपकों बतायें तारीक खोसा के बारे में पांच अहम व दिलचस्प तथ्य :
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26/11 मुंबई आतंकी हमला का सच बताने वाले तारीक खोसा के बारे में जानिए पांच अहम बातें
पाकिस्तान के पूर्व शीर्ष खुफिया अधिकारी तारीक खोसा ने अपने देश के अग्रणी अखबार डॉन में आलेख लिख कर तथ्यों के आधार पर बताया कि मुंबई के 26/11 हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गयी थी और सभी दस आतंकी पाकिस्तानी थे और पूरा ऑपरेशन कराची से नियंत्रित था. इसके बाद दुनिया भर में तारीक […]
1. तारीक खोसा एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हैं, जो पाकिस्तानी फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के भी प्रमुख रहे हैं. उन्होंने 1976 में पुलिस सेवा को ज्वाइन किया था. पुलिस सेवा में उनके शानदार कामकाज का रिकार्ड रहा है.
2. तारीक खोसा ने अपने सेवा काल में कई हाइप्रोफाइल केसों को सुलझाया. उन्होंने आपराधिक व भ्रष्टाचार के मामलों को अंजाम तक पहुंचाया. 2007 में पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के हत्याकांड की जांच भी उन्हें सौंपी गयी और उन्होंने इस जांच को पूरी निष्पक्षता से अंजाम तक पहुंचाया.
3. तारीक खोसा अपने देश में पनपने वाले आतंकवाद को हमेशा देश के विकास, समृद्धि व अमन के लिए खतरा मानते रहे हैं. ये बात वे अपने भाषणों व लेखों के माध्यम से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर कहते रहे हैं. उन्होंने आतंकवाद की शरणस्थली बलूचिस्तान में पुलिसिंग सिस्टम को बदला. उन्होंने वहां की परंपरागत पुलिसिंग का आधुनिकीकरण किया.
4. उनके शानदार कामकाज के रिकार्ड को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें पुलिसिंग की जिम्मेवारी दी गयी. वे नेशनल सेंट्रल ब्यूरो के प्रमुख रह चुके हैं. इसके अलावा इंटरपोल से भी जुडे रहे. वे 2009 से 2012 तक इंटरपोल एक्सक्यूटिव कमेटी के सदस्य के तौर पर सिंगापुर में इंटरपोल की जनरल एसेंबली को भी संबोधित कर चुके हैं.
5. तारीक खोसा अपने देश में सामाजिक न्याय के बडे पैरोकार हैं. वे डॉन न्यूजपेपर के लिए नियमित रूप से लिखते रहे हैं. इसमें वे भ्रष्टाचार, मानवाधिकार व आतंकवाद जैसे मुद्दों को उठाते हैं और अपनी चिंता व इसे सुलझाने के लिए उपाय बताते हैं. उन्होंने देश के संस्थागत क्षरण पर भी अपने लेख में गहरी चिंता जतायी है.
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