
पाकिस्तान में रहने वाली गीता की कहानी सलमान ख़ान की फ़िल्म बजरंगी भाईजान की मुन्नी की कहानी से मिलती-जुलती है.
फ़िल्म के सुपरहिट होने के बाद गीता एक बार फ़िर चर्चा में आ गई हैं.
पिछले 10 साल से अधिक समय से पाकिस्तान में रह रही गीता न ही बोल सकती हैं और न ही सुन सकती हैं.
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को एक पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता की ट्विटर पर की गई अपील के बाद इस्लामाबाद स्थित भारतीय राजदूत टीसीए राघवन को अपनी पत्नी के साथ गीता से मिलने के निर्देश दिए हैं.
भारतीय बताई जाने वाली गीता की कहानी कुछ साल पहले पाकिस्तानी मीडिया में सुर्खियों में रही थी लेकिन किसी ने उसपर ध्यान नहीं दिया.
गीता तो उनका असली नाम नहीं है. एधी फाउंडेशन के संस्थापक अब्दुस सत्तार एधी की पत्नी बिलक़ीस एधी ने ही उनका नाम गीता रखा.
गीता की कहानी फ़ैसल एधी की ज़बानी

गीता साल 2003-04 में पाकिस्तानी बॉर्डर गॉर्ड्स को लाहौर के पास मिली थी. वो इसे एधी यतीमखाना लाए. तब इसकी उम्र क़रीब 11 साल रही होगी.
पाकिस्तान की बॉर्डर अथॉरिटी ने इंसानी हमदर्दी के नाते हमें इस बच्ची को सौंपा था.
उन्होंने कहा कि ये बॉर्डर पार कर के आ गई है. अगर हम इसे अदालती चक्करों में डालेंगे तो ये जीवन भर जेल में पड़ी रहेगी.
उन्होंन कहा कि आप दूतावास से संपर्क करके या जैसे भी, इसे भारत पहुँचा दें क्योंकि ये बच्ची न बोल सकती है, न ही सुन सकती है.
उसके बाद हमने कई बार दूतावास को इस बारे में सूचना दी लेकिन कोई नहीं आया.
किसी ने मदद नहीं की

साल 2013 में जब ये मामला अख़बारों में उठा तो भारतीय दूतावास से कोई इससे मिलने आया था.
लेकिन उन्होंने कहा कि इसके पास कोई दस्तावेज या पहचान पत्र नहीं है तो अगर हम इसे भारत ले जाएँगे तो इसे जेल में रखना होगा. उसके बाद से फिर दूतावास से कोई नहीं आया.
भारत से बहुत से लोग आते थे जिन्हें हम इस बच्ची से मिलाते थे. वो इसकी तस्वीरें लेते थे. इससे जुड़े दस्तावेज और लिखावट के नमूने ले जाते थे. लेकिन किसी ने इस बच्ची की मदद नहीं की.
उसके बाद बॉलीवुड ने इसकी स्टोरी पर फ़िल्म बनाकर पैसे कमाए. उन्होंने न ही गीता को क्रेडिट दिया न ही इसे घर पहुँचाने में मदद की.
कुछ लोग कह रहे हैं कि ऐसी कोई दूसरी बच्ची भी हो सकती है. अगर ऐसा है तो बॉलीवुड वाले बताएं कि वो कौन है क्योंकि ये मुददा पूरे पाकिस्तान में उठा है.
वो अपने बारे में लिखकर बताती है लेकिन यहाँ पाकिस्तान में उसे कोई पढ़ नहीं पाता.
दूतावास का फ़ोन

भारत से आने वाले लोगों को हमने जब उसकी लिखावट दिखाई तो उन्होंने कहा कि ये हिन्दी की देवनागरी लिपि नहीं है.
इसकी मदद करने के लिए मेरे बेटे ने फ़ेसबुक पेज बनाया तो एक भारतीय पत्रकार ने कहा कि ये झारखंड की एक लिपि हो सकती है.
गीता इशारों में बताती थी कि वो भारत से आई है और उसे गिरफ़्तार करके यहाँ लाया गया है.
फ़िल्म आने के बाद यह मुद्दा फिर से उठा है. सोमवार को भारतीय दूतावास से हमारे पास फ़ोन आया.
दूतावास वालों ने कहा है कि एक-दो दिन में गीता से मिलना चाहते हैं और उसके बाद तय करेंगे कि इस मामले में क्या करना है.
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