वैज्ञानिकों ने 25 हजार प्रकाश–वर्ष दूर एक विशाल ग्रह की खोज की है. इससे कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में भी पता लगाया जा सकता है कि ग्रहों का निर्माण किस तरह से हुआ होगा. ‘डेली मेल’ की एक खबर में बताया गया है कि ‘एमएओ-2011-बीएलजी-322’ नामक यह ग्रह हमारे सोलर सिस्टम में मौजूदा सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से भी आठ गुना ज्यादा बड़ा है.
खगोलविदों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने इस विशाल दुनिया की खोज की है, जो आकार में पृथ्वी से ढाई हजार गुना ज्यादा बड़ी है. वैज्ञानिकों ने ‘माइक्रोलेंसिंग’ तकनीक के माध्यम से इस विशाल ग्रह की खोज की है.
माइक्रोलेंसिंग में अल्बर्ट आइन्सटीन के सापेक्षता के सिद्धांत का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें अंतरिक्ष और समय की वक्रता से वास्तविक गुरुत्वाकर्षण बल पैदा होता है. वर्ष 2011 में जापान, न्यूजीलैंड, पोलैंड और इजराइल के खगोलविदों ने इस ग्रह की क्षणिक चमक को देखा था. इसके पर्यवेक्षण से हासिल आंकड़ों से पता लगाया गया कि यह विशाल दुनिया अंतरिक्ष में कोई तारा हो सकता है.
शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि इस विशाल ग्रह का अस्तित्व इसके तारे से इतनी दूर साबित होगा, तो ग्रहों के गठन के वर्तमान सिद्धांत पर सवालिया निशान खड़े हो सकते हैं.