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बापू के वंशज

गांधीजी के विचारों को दुनिया के कई देशों में फैले उनके वंशज आज भी अपने-अपने तरीके से जी रहे हैं. उनकी चौथी और पांचवीं पीढी के कई सदस्यों के जीवन, कायरें और विचारों में गांधी दर्शन की झलक देखी जा सकती है. बापू के ऐसे ही वंशजों पर एक नजर. ‘संसार में तीन बातें महत्वपूर्ण […]

गांधीजी के विचारों को दुनिया के कई देशों में फैले उनके वंशज आज भी अपने-अपने तरीके से जी रहे हैं. उनकी चौथी और पांचवीं पीढी के कई सदस्यों के जीवन, कायरें और विचारों में गांधी दर्शन की झलक देखी जा सकती है. बापू के ऐसे ही वंशजों पर एक नजर.

‘संसार में तीन बातें महत्वपूर्ण हैं. इन्हें प्राप्त कर तुम संसार के किसी भी कोने में जाओगे तो अपना निर्वाह कर सकोगे. ये तीन बातें हैं- अपनी आत्मा का, अपने आप का और ईश्‍वर का ज्ञान प्राप्त करना.’ ये शब्द उस पत्र का हिस्सा हैं, जो महात्मा गांधी ने 25 मार्च, 1909 को वोल्कस्रस्ट जेल से अपने 17 वर्षीय बेटे मणिलाल को लिखा था. तब से एक पूरी सदी बीत चुकी है, लेकिन पत्र में शब्दबद्ध गांधी का यह विचार देश ही नहीं, दुनिया के कईकोनों में आज भी जीवित है. मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, रोजा पार्क्‍स से लेकर बराक ओबामा तक को गांधी के विचारों के प्रप्रतिनिधि के तौर पर देखा जाता रहा है. गांधी के इस विचार को सुर्खियों से दूर रहनेवाले उनके कुछ पोते, पड.पोते, पड.पोती भी अपने तरीके से जी रहे हैं. भारतीय राजनीति में प्रसिद्ध गांधी परिवार से कोसों दूर महात्मा गांधी के वंशजों की जिंदगी में बापू के जीवन दर्शन की झलक देखी जा सकती है.

अमेरिका के कनसास में ख्यातिप्राप्त हार्ट सर्जन शांतिलाल गांधी जब वहां की रिपब्लिकन पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे, तब मतदाता नहीं जानते थे कि वे गांधीजी के पड.पोते हैं. शांतिलाल गांधी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान कहीं इस बात का जिक्र नहीं किया, जबकि वे बखूबी जानते थे कि इसका उन्हें फायदा मिल सकता है. भारत जैसे देश में इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यहां नाम, जाति, धर्म और परिवार चुनावों में हावी होते हैं और राजनीति इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित होती है. शांतिलाल गांधी के साथ असेंबली में चुने गये कई नेताओं को भी यह जानकारी नहीं थी कि वे गांधीजी के पड.पोते हैं. महात्मा गांधी के सबसे बडे. बेटे हरिलाल गांधी के पुत्र कांतिलाल गांधी के बेटे शांतिलाल गांधी, गांधी परिवार की चौथी पीढी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अमेरिका में बस गये शांतिलाल गांधी तीस साल तक एक चिकित्सक के रूप में अपनी सेवा देने के बाद राजनीति में आये हैं, ताकि लोगों की रोजर्मरा की समस्याओं को सुलझा सकें.

गांधीजी के सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी के बेटे गोपाल कृष्ण गांधी और राजमोहन गांधी भारत में रहते हैं, लेकिन उनके नाम देश की राजनीति की मुख्यधारा में नहीं दिखते. राजमोहन प्राध्यापक, पत्रकार, लेखक और एक्टिविस्ट के रूप में प्रसिद्ध हैं. वहीं गोपाल कृष्ण गांधी पश्‍चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं और भारतीय प्रशासनिक सेवा में लंबे समय तक कार्यरत रहे हैं. गोपाल कृष्ण गांधी का नाम गत वर्ष तब सुर्खियों में रहा था, जब पश्‍चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपराष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया था, लेकिन उन्होंने इस चुनाव में न उतरने की घोषणा के साथ खुद को सुर्खियों से दूर कर लिया. समाजशास्त्री योगेंद्र सिंह कहते हैं, ‘गांधीजी का राजनीतिक दर्शन दलगत राजनीति से बहुत ऊपर था.’ गोपाल कृष्ण के इस कदम में इसे देखा जा सकता है. तारा गांधी भट्टाचार्य, जो गोपाल कृष्ण की बहन हैं, भी गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के साथ बापू के विचारों को आगे बढा रही हैं.

महात्मा गांधी की एक और पोती मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनके अहिंसा के दर्शन को आगे बढा रही हैं. गांधीजी के दूसरे पुत्र मणिलाल की बेटी इला गांधी दक्षिण अफ्रीकी राजनीति में भी सक्रिय रहीं. सांसद चुनी गयीं, लेकिन जल्द ही उन्होंने खुद को राजनीति से अलग कर लिया. वह पिछले कईवर्षों से अत्यंत सीमित साधनों में गांधी दर्शन पर केंद्रित ‘सत्याग्रह’ पत्रिका निकालती हैं. दक्षिण अफ्रीका में इला गांधी ने ‘गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट’ नाम से एक न्यास बनाया है, जो गांधी के फीनिक्स आर्शम की देखभाल के साथ ‘सत्याग्रह’ का प्रकाशन और गांधी दर्शन पर कार्यक्रम भी आयोजित करता है. इला को कम्युनिटी ऑफ क्राइस्ट इंटरनेशनल पीस अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है. इला की एक बेटी आशा, जो पेशे से वकील हैं, दक्षिण अफ्रीका में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बिना फीस के मुकदमा लड.नेवाली लॉयर के रूप में जानी जाती हैं. आशा में भी उनके परनाना का अक्स देखा जा सकता है.

अमेरिका के मेम्फिस में ‘महात्मा गांधी अहिंसा शांति संस्थान’ की स्थापना करनेवाले अरुण गांधी, इला गांधी के भाई हैं. उन्होंने लंबे समय तक भारत के प्रतिष्ठित अखबार में पत्रकारिता की, लेकिन बाद में अमेरिका जा बसे और अब शांति कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं. अरुण के बेटे तुषार गांधी समाजसेवी व लेखक हैं. गांधीजी की हत्या के कारणों को तलाशती उनकी किताब ‘लेट्स किल गांधी’ खासी चर्चा में रही थी. मणिलाल गांधी की ही एक और बेटी सीता के बेटे सतीश धुपेलिया दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलानेवाले शख्स के रूप प्रसिद्ध है. सतीश लंबे समय से डरबन के आसपास स्थानीय प्रशासनिक विभागों में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लड रहे हैं.

गुजरात के नवसरी में पारेख चैरिटेबल अस्पताल के डॉक्टर समीर पारेख गांधी परिवार की पांचवीं पीढी के सदस्य हैं. वे गांधीजी के बडे. बेटे हरिलाल गांधी की बेटी रामी गांधी के नाती हैं. रामी की बेटी नीलम पारेख, जिन्होंने हरिलाल गांधी की जीवनी ‘गांधीज लास्ट ज्वेल’ लिखी, के बेटे डॉ समीर पारेख गांधीजी के मानवसेवा के संदेश को बखूबी निभा रहे हैं. उनकी मां नीलम पारेख भी सूरत में आदिवासी बाच्चों को शिक्षा से जोड.ने के लिए लंबे समय तक काम कर चुकी हैं.मोहनदास करमचंद गांधी से महात्मा गांधी बने गांधीजी ने कभी कहा था ‘मेरा जीवन ही संदेश है’. उनके जीवन के संदेश की छोटी-छोटी छवियां उनके वंशजों में देखी जा सकती हैं. अवसरवादिता की धारा से दूर गांधी परिवार के ये सदस्य गांधीजी के विचारों को जी रहे हैं और उनके सच्चे वाहक बने हुए हैं.
प्रीति सिंह परिहार

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