Advertisement
ललित मोदी की दुनिया ग्लैमर, क्रिकेट, पैसा, सत्ता
50 वर्षीय ललित मोदी ने कारोबार में मदद के लिए 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मुलाकात की थी. उस मुलाकात के नतीजे तो नहीं मालूम, परंतु आज 25 वर्षो के बाद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा जा रहा है कि उनके मंत्री भारत से ‘भागे’ मोदी की मदद क्यों कर रहे हैं. […]
50 वर्षीय ललित मोदी ने कारोबार में मदद के लिए 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मुलाकात की थी. उस मुलाकात के नतीजे तो नहीं मालूम, परंतु आज 25 वर्षो के बाद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा जा रहा है कि उनके मंत्री भारत से ‘भागे’ मोदी की मदद क्यों कर रहे हैं.
ललित मोदी की कहानी एक धंधेबाज और बिंदास जीवन जीनेवाले व्यक्ति की कथा भर नहीं है, बल्कि भारतीय राजनीति और सरकारों के मुनाफाखोरों और सट्टेबाजों के चंगुल में फंसने की त्रसदी भी है. मोदी पर लगे आरोपों के नतीजों को लेकर भी संशय है. बहरहाल, एक नजर ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ के इस पोस्टर ब्वॉय की कारगुजारियों पर..
मोदी को अमेरिका में सजा
– करीब तीन दशक पहले ललित मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था. तब वे उत्तरी कैरोलाइना के ड्यूक विश्वविद्यालय में छात्र थे. उन पर नशीले पदार्थ रखने और एक 16-वर्षीय किशोर एलेक्जेंडर वान डाइन को अपहृत करने तथा चोट पहुंचाने का आरोप लगा था. अदालत में ललित मोदी ने अपने ऊपर लगाये गये आरोपों को स्वीकार किया था.
अपहरण की वारदात को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने 24 फरवरी, 1985 को मोदी को दोषी माना और दो साल कैद की स्थगित सजा सुनायी. नशीले पदार्थ रखने के आरोप पर उन्हें पांच वर्ष के प्रोबेशन पर रखा गया था. इसके अलावा उन्हें 300 घंटे समाज सेवा करने तथा 50 हजार डॉलर की जमानत भरने का निर्देश भी दिया गया.
स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद मोदी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और स्वास्थ्य का हवाला देकर वापस भारत जाने की अनुमति मांगी. उन्हें सामुदायिक सेवा के आदेश का पूरा पालन किये बगैर भारत आने की अनुमति मिल गयी. तब उनकी उम्र 23 वर्ष भी नहीं थी.
माना जाता है कि अदालती सुनवाई और भारत आने की अनुमति मिलने के दोनों ही मामलों में मोदी परिवार के रुपये और प्रभावशाली अमेरिकी मित्रों की पहुंच काम आयी थी. इन मित्रों में बड़े व्यवसायी जेंस होवाल्ट और वीएल ग्रेगरी, एलेक्जेंडर डिपार्टमेंटल स्टोर के मालिक रॉबिन फरकास और खरबपति लियोनार्ड लाउडर जैसे नाम शामिल थे.
अपनी मां की दोस्त से विवाह
त्न इधर भारत में मोदी परिवार के मुखिया केके मोदी के नेतृत्व में पारिवारिक व्यवसाय फल-फूल रहा था और उनकी कंपनी गॉडफ्रे फिलीप्स भारत की दूसरी सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी बन चुकी थी. दुनिया के एक अन्य हिस्से नाइजीरिया में लंदन-निवासी भारतीय पेस्सु आसवानी का व्यापार भी बढ़ रहा था और उनके एक दोस्त मुरली चेलाराम भी अफ्रीका में अपने पैर तेजी से जमा रहे थे.
बहुत बाद में आसवानी की बेटी कविता का ब्याह चेलाराम के बेटे सुरेश से हुआ. इन नामों का यहां उल्लेख इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि ललित मोदी की बाद की कहानी के ये दिलचस्प किरदार हैं. और, इनमें सबसे दिलचस्प नाम है आसवानी की दूसरी बेटी मीनल. उनकी शादी लंदन और नाइजीरिया में रहनेवाले पेशेवर जैक सगरानी से हुआ था. सगरानी ने बाद में इनलाक्स के लिए सऊदी अरब में काम करना शुरू कर दिया. इनलाक्स का मालिकाना इंदू और लक्ष्मी शिवदासानी के पास था. जब मीनल गर्भवती थीं, तभी सगरानी एक घोटाले में पकड़ा गया और उसे कई महीनों की जेल हो गयी. वह लंदन में अपनी बेटी करीमा के जन्म के अवसर पर भी मौजूद नहीं रह सका.
मीनल और सगरानी का तलाक हो गया. तलाक के बाद मीनल कुछ वर्षो तक खाड़ी देशों में रहीं और फिर दिल्ली आ गयीं. वे ललित मोदी के माता-पिता केके मोदी और बीना मोदी के घर पर अकसर रहा करती थीं. बीना मोदी से उनकी पुरानी मित्रता थी. यहीं अमेरिका से लौटे ललित और मीनल की प्रेम-गाथा की शुरुआत हुई. जब 1991 में ललित मोदी ने अपने माता-पिता के सामने इस संबंध को स्वीकारते हुए शादी करने का निर्णय सुनाया, तो परिवार भौंचक्का रह गया.
बीना मोदी को लगा कि उनकी दोस्त ने उनके बेटे को रिझा कर उन्हें धोखा दिया है, जिसकी उम्र मीनल से 10 वर्ष कम थी. केके मोदी ने भी मंजूरी देने से इनकार कर दिया.
बहरहाल, कुछ दिनों के तनाव के बाद मोदी के जिद्द की जीत हुई और 17 अक्तूबर, 1991 को दोनों विवाह के बंधन में बंध गये. बताया जाता है कि ललित मोदी ने परिवार को धमकी दी थी कि अगर उन्हें शादी की मंजूरी नहीं दी गयी, तो वे बड़ा बखेड़ा खड़ा कर देंगे. शादी के बाद परिवार ने दोनों के जीवन-यापन के लिए एक निश्चित धन-राशि तय कर दी और ललित मोदी को गॉडफ्रे फिलिप्स कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल कर लिया गया.
दिल्ली से मुंबई का रुख
त्न दिल्ली के धनाढ्य सामाजिक परिवेश में तल्खी का रवैया देख कर नवविवाहित जोड़े ने मुंबई में रहने का फैसला किया. पहले वे केके मोदी के एक फ्लैट में रहे और फिर मीनल के पिता का मकान खरीद कर उसमें रहने लगे. अब ललित मोदी के परिवार में सौतेली बेटी करीमा सगरानी के अलावा बेटा रुचिर और बेटी आलिया भी आ गये थे. 2009 के दिसंबर महीने में इस बंगले में आग लग गयी थी. कुछ रिपोर्टो में कहा गया था कि यह घटना बीमा की राशि पाने के लिए की गयी थी, पर इस संबंध में कोई आधार सामने नहीं आ पाया है.
किस्मत हुई मेहरबान मोदी पर
– मुंबई में विभिन्न कारोबारों में ललित मोदी ने हाथ डाला, पर उन्हें कोई कामयाबी मिलती नहीं दिख रही थी. उनका सबसे बड़ा आसरा परिवार से मिलनेवाली राशि ही थी. तभी उनकी नजदीकी मित्र वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री बन गयीं.
सिंधिया से मोदी की जान-पहचान बचपन की दोस्त बीना किलाचंद के माध्यम से हुई थी, जो वसुंधरा के साथ ही जयपुर में रहने लगी थीं. कुछ समय के बाद मोदी भी जयपुर चले आये. उन्हें उम्मीद थी कि वे उनका कारोबार जमाने में मददगार होंगी.
इसी बीच किलाचंद और वसुंधरा राजे की दूरियां बढ़ने लगी थीं और मोदी लगातार मुख्यमंत्री के करीबी होते जा रहे थे. धीरे-धीरे वे उनके बहुत नजदीक हो गये और उनकी छवि कथित बिचौलिये की बनने लगी. वसुंधरा सरकार द्वारा कानून में बदलाव के जरिये मोदी ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन पर कब्जा किया और अपनी पैठ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में बनानी शुरू कर दी. इसके अलावा पुरानी हवेलियों की खरीद में भी वे संलग्न रहे और बाद में उन पर कुछ हवेलियों पर जबरन कब्जे के आरोप भी लगे. इस प्रकरण में कांग्रेस सरकार ने जांच के आदेश दिये थे. गौरतलब है कि यह जांच अब भी जारी है.
भारतीय क्रिकेट बोर्ड में मोदी
– शरद पवार गुट को जगमोहन डालमिया खेमे को हराने में मदद देकर ललित मोदी ने बीसीसीआइ में अपनी जगह बनायी और फिर इंडियन प्रीमियर लीग के द्वारा बोर्ड को धनकुबेर बना दिया. मोदी के रहते हुए क्रिकेट बोर्ड का मुनाफा करोड़ों में पहुंच गया और उनके दिमाग की उपज आइपीएल ने क्रिकेट के अर्थशास्त्र को एक अलग ही आयाम दे दिया.
आइपीएल में मोदी के सगे-संबंधी
ललित मोदी क्रिकेट के इतिहास के सबसे बड़े ब्रांड आइपीएल के कर्ता-धर्ता तो थे ही, उनका कुनबा भी इस कारोबार में कई स्तरों पर शामिल था. यह स्थिति आज ललित मोदी के बाहर हो जाने के बाद भी बरकरार है. मीनल मोदी की बहन कविता की शादी सुरेश चेलाराम से हुई है, जो आइपीएल की महत्वपूर्ण फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स के सबसे बड़े हिस्सेदार हैं. ललित मोदी की सौतेली बेटी डाबर समूह के विवेक बर्मन और मोनिका बर्मन के बेटे गौरव बर्मन से ब्याही हैं. इस शादी पर बर्मन परिवार को आपत्ति थी.
इस कारण गौरव को पहले लंदन और बाद में मुंबई में गॉडफ्रे फिलिप्स के द्वारा लिये गये किराये के फ्लैट में रहना पड़ा. गौरव ग्लोबल क्रिकेट वेंचर नामक कंपनी के हिस्सेदार हैं और इस कंपनी के पास आइपीएल के डिजिटल, मोबाइल और इंटरनेट राइट्स हैं. गौरव के भाई मोहित बर्मन आइपीएल के अन्य फ्रेंचाइजी किंग्स इलेवन पंजाब के मालिकों में रहे हैं. इस टीम के अन्य हिस्सेदार उनके बचपन के दोस्त करण पॉल और नेस वाडिया थे. अभी इस कंपनी के मालिकाने में कुछ फेर-बदल हुआ है. ललित मोदी के बचपन के एक मित्र जय मेहता, जिनके पिता महिंदर मेहता सौराष्ट्र सिमेंट्स के मालिक थे, कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिकों में से हैं.
क्रिकेट बोर्ड ने कुछ वर्ष पहले कहा था कि मोदी ने टीमों की पहली नीलामी के समय इन संबंधों की कोई जानकारी नहीं दी थी. आइपीएल विवाद में यह आयाम भी है.
(विभिन्न मीडिया रिपोर्टो पर आधारित)
ललित मोदी की जीवनशैली के अनूठे अंदाज
आइपीएल की शुरुआत और देश छोड़ने के तीन सालों में ललित मोदी के रहन-सहन में भारी बदलाव आया था. वे दुनिया की सबसे शानदार जगहों पर छुट्टियां मनाने जाने लगे थे. सार्डिनिया के इटालियन रिवियेरा में उन्होंने कथित रूप से एक नाव भाड़े पर लिया था और उस पर पार्टी मनाने के लिए अनेक लोगों को भारत से आमंत्रित किया था. कहा जाता है कि इनमें कुछ वरिष्ठ राजनेता भी थे. परिवार और दोस्तों के साथ क्रिसमस मनाने का उनका ठिकाना थाईलैंड के फुकेट का अमन रिसॉर्ट रहा था.
वर्ष 2008-09 में मोदी परिवार मैक्सिको गया था, जहां उसने जिमी गोल्डस्मिथ का बंगला किराये पर लिया था. खरबपति जिमी गोल्डस्मिथ क्रिकेट खिलाड़ी इमरान खान की पूर्व पत्नी जेमिमा के पिता थे. उन्हीं दिनों मीनल मोदी को स्तन कैंसर होने की जानकारी आयी. खबरों के मुताबिक अमेरिका में उनके इलाज के दौरान मोदी ने लॉस एंजिलिस के सबसे पॉश इलाके में मकान लिया था. विलासिता के अलावा मोदी का निजी जहाज खूब चर्चा में रहा था.
कहा जाता था कि बड़े-बड़े उद्योगपति भी अपने निजी विमानों का बहुत कम उपयोग करते हैं, जबकि मोदी उसे किसी टैक्सी की तरह काम में लाते हैं. पर्यवेक्षकों का कहना था कि विलासिता के द्वारा ललित मोदी उन दिनों की भरपाई कर रहे हैं, जब परिवार उन्हें कम पैसा देता था और बाद में उनके कारोबारी जीवन में असफलताएं हाथ लगी थीं. हालिया तसवीरों से पता चलता है कि परेशानियों से घिरे होने के बावजूद उनके आलीशान रहन-सहन में कोई कमी नहीं आयी है.
आइपीएल के दौरान मोदी की मेहनत और उनके उत्साह की चर्चाएं आज भी होती हैं. मैच के दौरान कम खाना, लगातार सिगरेट पीना, पूरी ऊर्जा के साथ मैच का आनंद लेना, और फिर रात की पार्टी में पूरे समय तक रहना. पार्टी के बाद सीधे या कुछ घंटों की नींद लेकर अगले मैच की जगह चले जाते थे. उनके बदलते महंगे अरमानी सूटों को देख कर कहा जाता था कि मानो अरमानी के दर्जी उनके साथ ही चलते हों.
ललित मोदी पर आरोप
टीवी राइट्स में धांधली
आइपीएल के ग्लोबल राइट्स का अधिकार वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को दिया गया, जबकि सिंगापुर स्थिति मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम) भारत में मैच के प्रसारण का अधिकार दिया गया. लेकिन इसमें धांधली के कारण बीसीसीआइ ने एमएसएम के साथ हुए समझौते को रद्द कर दिया.
इसके तत्काल बाद वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप मॉरीशस जिसका स्वामित्व भी भारत स्थित वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप की तरह था उसे भारत में प्रसारण का अधिकार दे दिया गया. इस कंपनी को साइनिंग अमाउंट के तौर पर बीसीसीआइ को 112 करोड़ रुपये देने थे. बीसीसीआइ को यह पैसा कभी नहीं मिला. मोदी की जानकारी में यह सब हुआ.
2010 आइपीएल के दौरान नीलामी प्रक्रिया में गड़बड़ी
बीसीसीआइ ने 2010 में दो और टीमों को आइपीएल में शामिल करने का फैसला लिया. ललित मोदी ने नीलामी प्रक्रिया में तत्काल कुछ शर्ते जोड़ दीं और कहा कि नीलामी प्रक्रिया में 1 बिलियन डॉलर की कंपनी ही हिस्सा ले सकती है और बैंक गारंटी के तौर पर उसे 100 मिलियन डॉलर देना होगा. बीसीसीआइ ने तर्क दिया है कि नीलामी प्रक्रिया में ये शर्ते शामिल नहीं थीं, कुछ प्रतियोगी कंपनियों को इससे बाहर करने के लिए ऐसा किया गया.
फ्रेंचाइजी पर दबाव बनाना
2011 आइपीएल में शामिल होने के लिए पुणो वारियर्स और कोच्चि टस्कर नीलामी प्रक्रिया के तहत चुन ली गयीं. मोदी इससे खुश नहीं थे और उन्होंने दूसरी फ्रेंचाइजी का पक्ष लेना शुरू कर दिया. कोच्चि फ्रेंचाइजी के कुछ सदस्यों को उन्होंने दबाव डाल कर अपनी हिस्सेदारी वापस लेने को कहा.
जब वे नहीं माने तो लेलित मोदी ने शेयरहोल्डिंग पैटर्न को सार्वजनिक करने और कुछ बीसीसीआइ अधिकारियों का खुलासा करने की धमकी दी. उनके खुलासे से केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को इस्तीफा देना पड़ा.
फ्रेंचाइजी के शेयरहोल्डर से नजदीकी रिश्ता
राजस्थान रॉयल्स में हिस्सेदारी रखनेवाले सुरेश चेलारमन के साले हैं ललित मोदी. उन्होंने यह जानकारी क्रिकेट बोर्ड को नहीं दी. उन्होंने अपने करीबियों को नीलामी से जुड़ी जानकारी देकर फ्रेंचाइजी खरीदने में मदद पहुंचायी.
अन्य आरोप
इंगलैंड में रहते हुए उन्होंने इंगलिश लीग के साथ मिलकर एक विरोधी लीग तैयार करने की कोशिश की. कई समझौते उन्होंने बोर्ड को बताये किये. बेव राइट देने के लिए उन्होंने ऐसी एजेंसी को चुना जिसका उनसे करीबी रिश्ता था.
– प्रवर्तन निदेशालय (इडी) फेसीलेशन फीस के तौर पर वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को मल्टी स्क्रीन मीडिया द्वारा प्रसारण अधिकार के लिए 80 मिलियन डॉलर के भुगतान की जांच कर रहा है.
– इडी इसकी भी जांच कर रहा है कि इस 80 मिलियन डॉलर में से 25 मिलियन डॉलर ललित मोदी, उनके सहयोगी और राजनीतिक लोगों के अवैध खाते में तो नहीं पहुंचाये गये.
– इडी 2008 की आइपीएल की नीलामी प्रक्रिया में भाग लेनेवाले कुछ फ्रेंचाइजी को नीलामी की गोपनीय जानकारी देने के मामले की जांच कर रहा है. राजस्थान रॉयल्स की फ्रेंचाइजी लेनेवाले और दूसरे स्थान पर रहनेवाले के बीच नीलामी की राशि में 3 लाख डॉलर को अंतर पाया गया.
– इडी मोदी द्वारा केमन आइलैंड की कंपनी से काले धन का प्रयोग कर कॉरपोरेट जेट खरीदने के मामले की जांच भी कर रहा है.
– मुंबई के फोर सीजंस होटल के मालिक रमेश गोवानी की भी इडी जांच कर रहा है. ललित मोदी अकसर इस होटल में रुकते रहे हैं.
– ललित मोदी की पत्नी की कंपनी इंडियन हेरिटेल होटल में मॉरीशस की कंपनी द्वारा 10 करोड़ रुपये निवेश की जांच भी इडी कर रहा है.
– फेमा के तहत भी मामले दर्ज हैं, जिसमें फ्रेंचाइजी का स्वामित्व, विदेश निवेश का तरीका, शेयरों की कीमत और फिर उसका ट्रांसफर जांच के दायरे में हैं.
– वित्त मंत्रलय की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष दिसंबर 2014 में पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहा गया है कि इडी ने ललित मोदी, बीसीसीआइ के कुछ अधिकारी और निजी कंपनियों को 2148.3 करोड़ की हेराफेरी के मामले में फेमा कानून का उल्लंघन करने के लिए नोटिस भेजा है.
– आयकर विभाग ने 16 सिंतबर, 2010 को बिना पैन नंबर दिये वित्तीय वर्ष 2008-09 के दौरान बड़े पैमाने पर लेन-देन करने के लिए नोटिस भेजा था. नियम के मुताबिक पैन नंबर देना अनिवार्य है.
– मुंबई जोन डायरेक्टोरेट ऑफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस ने एयरक्राफ्ट का गोल्डन विंग्स कंपनी से आयात के संबंध में कागजात देने के लिए 4 नवंबर, 2011 को नोटिस भेजा.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement