हथुआ : उम्र का चौथा पड़ाव, लेकिन अंगारों-सी दहकतीं बातें, तुम कमजोर नहीं हो, काली बनो ताकि तुम पर कोई अत्याचार न करे. महिलाओं के बीच ये चंद अलफाज हैं डॉ नीलम का, जो कॉलेज में छात्रों को सादगी के बीच जहां ज्ञान का पाठ पढ़ाती हैं, वहीं गांव में घूम-घूम कर महिलाओं के बीच वीरांगना होने का जोश भरती हैं. विगत तीन वर्षो से डॉ नीलम बहन-बेटियों को मरदानी बना रही हैं. एक भरे-पूरे शिक्षित परिवार से आनेवाली डॉ नीलम हथुआ संस्कृत कॉलेज में प्रधानाध्यापिका हैं.
कॉलेज के कार्यो का निबटारा करने के बाद उनका पूरा समय आधी आबादी को जागरूक करने में बीतता है. महिलाएं अपनी रक्षा कैसे कर सके इसके लिए उन्होंने बहन रक्षा दल का गठन भी किया है.
प्रत्येक रविवार को बहन रक्षा दल की बैठक कर आये दिन महिलाओं व बेटियों पर समाज में हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने, संकट की स्थिति से निबटने और असामाजिक तत्वों द्वारा हमले किये जाने पर जोश भरती हैं. उन्होंने आधी आबादी को जागरूक करने का जो कदम उठाया है, खास कर कॉलेज जानेवाली बेटियों और कामकाजी महिलाओं को सबला बना दिया है.
दामिनी की घटना ने लाया मोड़ : डॉ नीलम बनाती हैं कि दिल्ली में घटी दामिनी की घटना ने उन्हें झकझोर कर रख दिया. उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया कि आधी आबादी को न सिर्फ जागरूक करेंगे, बल्कि उन्हें आत्मरक्षा के लिए सबल भी करेंगे और अपने इस मिशन पर वे लगातार कार्यरत हैं.
अब तक लिख चुकी हैं आधा दर्जन पुस्तकें : राष्ट्रीय और नारी वंदना पर अब तक आधा दर्जन पुस्तकें लिख चुकी हैं. उनकी लिखी पुस्तकें चंद कतरे और गजल संग्रह काफी लोकप्रिय रही हैं. कविता और गजल के माध्यम से उन्होंने अपनी रचनाओं में न सिर्फ नारी दुर्दशा का चित्रण किया है, बल्कि उन्हें मरदानी बनने का संदेश भी दिया है.
दर्जनों जगह कर चुकी हैं सेमिनार : डॉ नीलम का मिशन हथुआ तक ही नहीं सिमटा है, बल्कि रुड़की आइआइटी कॉलेज, पटना वोमेंस कॉलेज सहित एक दर्जन से अधिक कॉलेजों एवं नारी संस्थानों में
सेमिनार कर छात्राओं और महिलाओं को आत्मा रक्षार्थ बनने के लिए सेमिनार कर चुकी हैं.चाचा और भाई से लेती हैं कानूनी सलाह : डॉ नीलम महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर कानूनी दावं-पेज को भी परखती एवं समझती हैं. इसके लिए वह अपने चाचा रिपूसुदन श्रीवास्तव तथा चचेरे भाई प्रत्यय अमृत से कानूनी सलाह लेती हैं.