18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जुमलेबाजी में फंस गये भोलेभाले मतदाता : लालू

नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर लोगों की अगली कतार में खड़े हैं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद. केंद्र सरकार के एक साल के कामकाज और लोगों की भावनाओं से जुड़े सवालों को लेकर उनसे बातचीत की पटना के हमारे ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश ने. प्रधानमंत्री अपने को प्रधान संतरी कहते हैं.. प्रधान संतरी ऐसे हैं कि […]

नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर लोगों की अगली कतार में खड़े हैं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद. केंद्र सरकार के एक साल के कामकाज और लोगों की भावनाओं से जुड़े सवालों को लेकर उनसे बातचीत की पटना के हमारे ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश ने.

प्रधानमंत्री अपने को प्रधान संतरी कहते हैं..

प्रधान संतरी ऐसे हैं कि सात किलोमीटर तक हमारी सीमा में चीन घुस आया है. वह भी उस समय जब चीन के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे. डरपोक संतरी हैं. सोये रहते हैं. मंत्रिमंडल में एक-दो को छोड़ कर सारे आरएसएस पृष्ठभूमि के मंत्री हैं. उनको चुप रहने की हिदायत दी गयी है. न बायें देखना हैं और न दाहिने. जो लिखा हुआ आया, उस पर दस्तखत कर देना है. बस इतनी ही आजादी है. सरकार में अधिकारी भी तीन तरह के हैं. एक चुपचाप रहता है. दूसरा काम नहीं करता है और तीसरा लिखता ही नहीं है. ‘मेक इन इंडिया’ का नारा लगा रहे हैं. कहां है वातावरण मेक इन इंडिया का? चीन और विकसित देश किस बात के लिए यहां आयेंगे? भारत दुनियाभर की उपभोक्ता वस्तुओं का हब बन गया है. कुछ राज्यों को छोड़ सारे राज्य विदेशी सामानों पर निर्भर हैं. दुनिया की चीजों का हम उपभोक्ता बन कर रह गये हैं. भारत का कौन सा सामान बाहर जा रहा है, केंद्र सरकार बताये. नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहिए कि बासमती चावल की दशा-दिशा कब सुधरेगी. चीन चले गये और वहां कहने लगे, इंडिया में पूंजी लगाइए. वह तो पहले से ही सारे बाजार पर कब्जा जमाये हुए है. चीनी सामानों से हमारा बाजार पटा है. इसलिए सोनेवाले संतरी हैं ये.

2014 का लोकसभा चुनाव उम्मीदों का चुनाव था. भाजपा ने महंगाई खत्म करने, विकास दर बढ़ाने, भ्रष्टाचार रोकने और काला धन वापस लाने की उम्मीदें जगायी थीं. एक साल पूरे होने पर इन वायदों को आप किस रूप में देखते हैं.

जिन मुद्दों पर भाजपा को वोट मिला, एक साल के भीतर सरकार पलट गयी. प्रधानमंत्री कोई एक काम बतायें कि जिसे सरकार ने डिलीवर किया हो. झूठ की खेती हो रही है. भोलीभाली जनता के साथ वादाखिलाफी की गयी है. मामला काला धन वापस लाने का हो या युवाओं को नौकरी देने का, केंद्र सरकार ने लोगों को ठगा है. 24 घंटे बिजली, नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने का लोभ दिया गया था. अच्छे दिन लाने, महंगाई भगाने और भ्रष्टाचार पर काबू पाने का वायदा था. कहां गये वो सब वायदे? एक साल में कोई एक काम केंद्र सरकार नहीं कर पायी, जिसका उसने चुनाव के दौरान वायदा किया था. सारे सवालों पर अब भाजपा नेताओं की आंखों से कीचड़ निकल रहा है. गरीब विरोध बात हो रही है.

सरकार की नीतियों में गुपचुप भ्रष्टाचार हो रहा है. घोर करैत वाला भ्रष्टाचार चल रहा है. ऊपर से सबकुछ ठीक और नीचे वह सब हो रहा जिसका वह यूपीए सरकार पर आरोप लगाते थे. तरे-तरे लेन-देन चल रहा है. दावा कर रहे हैं रुक गया भ्रष्टाचार. कैसे रुक गया? कहां-कहां रोक लेंगे? भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार को कम्युनिस्ट के रास्ते पर चलना पड़ेगा, जो संभव नहीं दिख रहा. जब तक रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या हल नहीं हो जाती, भ्रष्टाचार पर लगाम कसना आसान नहीं है. शिक्षा के मामले में धोखा दिया गया. गरीबी हटाने के मामले में सरकार पीछे हट रही. गरीब लोगों के हित में जितनी योजनाएं चल रही थी, सबमें कटौती की गयी. नौजवान मारा-मारा फिर रहा है. एमबीए डिग्रीधारी युवक को पांच हजार रुपये की नौकरी नहीं मिल पा रही है. महंगाई का आलम यह है कि गरीब क्या, मध्य वर्ग की थाली से दाल गायब हो चुकी है. पूरी तरह से ईमानदारी के साथ 20 साल तक काम करेंगे तब भी समस्या का सुधार नहीं कर पायेंगे ये लोग.

भूमि अधिग्रहण को आप कितना नुकसानदेह मानते हैं? आपकी नजर में इन नये विधेयक में क्या है जो किसानों के हित के खिलाफ है?

भूमि अधिग्रहण विधेयक को मोदी सरकार अधमरे सांप की तरह उलट-पुलट कर रही है. हमलोगों ने, मनमोहन सिंह की सरकार ने भूमि अधिग्रहण पर क्रांतिकारी बिल बनाया था. लेकिन, नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे पलट दिया. तीसरी बार अध्यादेश लायी है. इसमें किसानों का हक मारा जायेगा. किसानों का हक है अपनी जमीन पर. सरकार इसे ही खत्म कर देना चाहती है. सरकार को जमीन चाहिए तो वह क्यों नहीं मुंबई, कानपुर, दिल्ली, कोलकाता की जजर्र फैक्ट्रियों की जमीन का अधिग्रहण करती है. बंद पड़े इन कारखानों की जमीन यों ही पड़ी हुई है. लेकिन, सरकार किसानों की उपजाऊ जमीन उद्योगपतियों के लिए हड़पना चाहती है. दूसरा रास्ता भी है. चंबल और इटावा की ऊसर जमीनों का अधिग्रहण किया जा सकता है. वहां उद्योग और कल-कारखाने लगाये जाते तो इलाके के लोगों को रोजी-रोजगार के अवसर मिलते. लेकिन, जिस जमीन पर धान-गेहूं पैदा हो रहा है, उसे केंद्र सरकार छीन कर कारपोरेट घरानों को बाटना चाहती है.

एक साल पहले नरेंद्र मोदी को लेकर जो माहौल था, आपको लगता है कि उसमें दरार आयी है? यदि हां, तो इसके कारक क्या हैं?

एक साल पहले भी कोई माहौल नहीं था. वह तो भाजपा की जुमलेबाजी थी जिसके चक्कर में देश के भोलेभाले मतदाता आ गये. अब भारी निराशा है. सब हाथ मल रहे हैं. इसी एक जून से देशवासियों की आंख खुल जायेगी. खान- पान से लेकर सवारी, किराया सभी चीजों के दाम बढ़ गये. गरीब तो गरीब, किसान और आम मध्यवर्ग भी कराह रहा है. केंद्र सरकार सीरिंज से खून निकाल रही है. सारे मंत्री मिल कर प्रचार कर रहे हैं. कौन सी उपलब्धि है जिसका बखान किया जा रहा है! सारे मंत्री बिहार में घूम रहे हैं. कोई रिस्पांस नहीं है यहां. देश की सीमा खतरे में है. कहते थे कि आंख में आंख डाल कर बात करेंगे. कहां गया वायदा? सीमा पर स्थिति जस की तस बनी हुई है. जवानों का नुकसान हुआ है. कश्मीर में पाकिस्तान का झंडा लहरा रहा है. यह केंद्र की कायरता की हद है. पाकिस्तान और मुसलमान का नाम सिर्फ हिंदुओं के वोट लेने के लिए लिया जा रहा है. भाजपा के सहयोगी संगठन दंगों को उकसा रहे हैं. जान-बूझ कर, साजिश करके उपद्रव कराये जा रहे हैं.

राहुल गांधी ने इस सरकार को सूट-बूट की सरकार कहा. राज बब्बर ने कहा, मोदी ‘प्रधान’ नहीं, ‘परिधान’ मंत्री हैं. आप क्या कहते हैं?

सूट-बूट पहनने में कोई हर्ज नहीं है. कोई भी कुछ पहन सकता है. बात काम की होनी चाहिए. महंगाई से लेकर भ्रष्टाचार तक पर काबू नहीं पा सके, रोजी और रोजगार की बात तो दूर है.

प्रधानमंत्री मोदी का पक्ष लेनेवाले अर्थशास्त्री जगदीश भगवती ने भी उन्हें जुमलेबाजी से बचने की नसीहत दी है. आप क्या सोचते हैं?

जुमला मतलब होता है ‘चीट’ करना. ठगना. भाजपा ने चीट ही नहीं किया, पाकेटमारी की है. आम लोगों की जेब से बड़ी चालाकी से पैसे निकाले जा रहे हैं. प्रधानमंत्री सिर्फ जुमलेबाजी कर रहे हैं. आप आ तो गये झूठ बोल कर, लेकिन कुछ काम भी करिए. जितनी भी घोषणाएं की जा रही हैं, किसी भी चीज का अता-पता नहीं है. बेटी बचाओ योजना हो या सफाई की बात हो, कहीं कोई व्यवस्थित योजना नहीं दिख रही है. इस तरह की बात हो तो कोई भी जुमलेबाजी करने से रोकेगा ही.

कुछ भाजपा नेताओं की सांप्रदायिक बयानबाजी चर्चा में है. आप इसे कितना खतरनाक मानते हैं?

समाज का संप्रदायीकरण किया जा रहा है. सरकार के प्रश्रय और भाजपा के समर्थन से समाज को गंदा किया जा रहा है. भाजपा से जुड़े सभी संगठन बेलगाम हो गये हैं. कहिए कि सबकुछ रजामंदी से हो रहा है. एक तबका ऐसा है जो सांप्रदायिकता के पक्ष में लगातार बयान जारी कर रहा है. दूसरी ओर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री इस पर चुप्पी साध कर मौन समर्थन दे रहे हैं. यह देश सबको साथ लेकर चलनेवाला देश है. हमारे काल में क्या मजाल थी कि इस तरह का बयान कोई बिहार की धरती पर देकर चला जाये! यहां आरएसएस की शाखा तक नहीं लगती थी. प्रवीण तोगड़िया को हमने हवाई जहाज से नीचे नहीं उतरने दिया था. लालकृष्ण आडवाणी की रथ को मैंने पकड़ा था और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा था. अभी की केंद्र सरकार संघ के एजेंडे पर काम कर रही है. एक ओर प्रधानमंत्री भाजपा के सहयोगी संगठनों से अपने किनारा करने का दंभ भर रहे हैं. वहीं आरएसएस, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद अपने एजेंडे को सख्ती से लागू करवाने की दिशा में सरकार पर दवाब डाल रहे हैं. आरएसएस के मार्गदर्शक मंडल की हरिद्वार की बैठक में निर्णय लिया गया है कि बाबरी नाम का कोई इस्लामी ढांचा अयोध्या में स्वीकार नहीं किया जायेगा. प्रस्ताव पास किया गया है कि समूची विवादास्पद जमीन पर राम मंदिर बनाया जायेगा. मुसलिम धर्म के लोगों की प्रार्थना के लिए कोई जगह इस परिसर में नहीं दी जायेगी. भाजपा और संघ के निशाने पर इस देश के अल्पसंख्यक हैं, खास कर मुस्लिम हैं. हम लोग इसे बरदाश्त नहीं करेंगे.

एक ओर प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि सरकार और पार्टी का अलग-अलग एजेंडा नहीं है. लेकिन, सहयोगी संगठनों के शीर्ष नेतृत्व राम मंदिर का निर्माण, अल्पसंख्यकों की घर वापसी और धारा 370 जैसे संवेदनशील मुद्दे लगातार उठा रहे हैं. इन संगठनों ने गंगा नदी को भी संप्रदायवाद से जोड़ दिया है. दुनिया की अनेक नदियों के किनारे को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित किया गया है. विश्व हिंदू परिषद को इस पर भी ऐतराज है. एक ओर प्रधानमंत्री गंगा को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हैं. दूसरी ओर परिषद कह रहा है कि गंगा के तटीय इलाके में पर्यटन विकास से सांस्कृतिक प्रदूषण फैलेगा. उसका तर्क है कि युवाओं का एक बड़ा वर्ग गंगा किनारे मौज-मस्ती का केंद्र बनायेगा और आपत्तिजनक हरकतें करेंगी, जबकि गंगा का तट साधु-संतों की ध्यान स्थली है. बजरंग दल ‘घर वापसी’ को अपनी बड़ी योजना बता रहा है. सरकार की अपने सहयोगी संगठनों के इन एजेंडों पर मौन सहमति है. गरीब विरोधी, रंगभेद और नस्लभेद करनेवाली भाजपा, धर्म के नाम पर देश को बांटने की योजना पर काम कर रही है. पूरे देश का मुसलमान इनके निशाने पर है. चाहते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय इनके सामने सरेंडर करे. इसके लिए कहीं चर्च फूंकते हैं, तो कहीं गंदी हवा फैला कर अल्पसंख्यकों को डरा रहे हैं. लेकिन इनका यह सपना, सपना ही रह जायेगा.

मोदी ने बिहार के संदर्भ में जातीयता से ऊपर उठने की बात कही है. आप इसे कैसे देखते हैं?

घोर जातिवादी हैं. मेरा मुंह खुला तो गड़ा मुरदा उखड़ जायेगा और कई चीजों पर से परदा भी उठेगा. जाति से खराब चीज सांप्रदायिकता है. दुनिया में जाति, रंग और नस्ल तो रहेगी ही. यह यथार्थ है. जो लोग उपदेश दे रहे हैं, उनसे पूछिए कि वह क्या कर रहे हैं. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर ब्रrार्षि समाज पर डोरा डालने की कोशिश हो रही है. भाजपा ने दिनकर जी को जाति में बांध दिया है! दिनकर के गांव में ही एक यादव जी भी थे, वह भी प्रबुद्ध थे, लेकिन उन्हें नहीं याद करते. प्रबुद्ध समाज है ब्रrार्षियों का, दिनकर का नाम लेकर उन्हें अपनी ओर बुला रहे हैं. चाय बेचनेवाले के बेटे के नाम पर वोट मांगा गया था. अरे! इस देश में हर कोई कामकाजी है. हम सब काम करनेवालों के बेटे हैं. रोजी के लिए कोई चाय बेचता है, तो कोई अनाज. भाजपा छोटी-छोटी जातियों का सम्मेलन करवा रही है. आरएसएस वालों ने अभी मल्लाहों को बांटने की साजिश रची है. भाजपा पैसे के बल पर मल्लाह समाज को तोड़ने की कोशिश कर रही है. लालू प्रसाद भाजपा का इलाज करने के लिए काफी है. हमने 1990 के दशक में ही छोटी-छोटी जातियों का सम्मेलन कर सामाजिक न्याय की धारा से उन्हें जोड़ा था. आपसी सौहार्द का पाठ पढ़ाया था. लेकिन, अब भाजपा जाति-धर्म के नाम पर समाज को बरगला रही है. आडवाणी को पकड़ा तो ये लोग हमारे राज को जंगल राज कहने लगे. जस्टिस अमीर दास आयोग की रिपोर्ट पढ़ें, सबके नाम मिल जायेंगे कि कौन-कौन लोग रणवीर सेना के संपर्क में थे. रणवीर सेना के मुखिया के साथ किनका संपर्क था. इन्हीं ‘महापुरुषों’ ने हमलोगों के शासन काल को जंगल राज कहा. दूसरे पर उंगली उठाने से पहले अपने बारे में भाजपा को सोचना चाहिए. गरीबों को ताकत देने, न्याय दिलाने का काम कोई करेगा, तो उसे नीचा दिखाने की कोशिश होती है. सुपर-थर्टी का आनंद हमसे मिलने आया था. वह चंद्रवंशी समाज का आदमी है. उसने कहा कि आपने हमलोगों को ताकत दी और हम आज गरीब बच्चों को इंजीनियर बना रहे हैं. लेकिन, भाजपा को यह सब स्वीकार नहीं है. वह सिर्फ वोट के लिए समाज को बांटने की कोशिश कर रही है.

हम नयी पीढ़ी को बताना चाहते हैं कि तुम्हारी ताकत देख कर भाजपा अपनी ओर लुभाने का प्रयास कर रही है. लेकिन, तुम्हारे बाप-दादाओं के साथ इन लोगों ने क्या सलूक किया था उसे याद रखना चाहिए. हमलोगों ने लोकनायक के कहने पर जनेऊ तोड़ दिया था. छात्र आंदोलन में शामिल हुए. भाजपा नहीं मानी. भाजपा और उसके सहयोगी संगठन आरएसएस ने इसे रोक दिया. जेपी को अपमानित करने की कोशिश की. गरीबी इतनी है कि लोग गुमराह हो जाते हैं.

शैक्षणिक व सांस्कृतिक स्तर पर सरकार ने जो फैसले लिये, उनको आप किस नजरिये से देखते हैं. नयी पीढ़ी पर यह क्या असर डालेगा?

बहुत खराब असर होगा. देश का इतिहास बदलने की तैयारी है. ऐसी सभी महत्वपूर्ण जगहों पर आरएसएस पृष्ठभूमि के लोगों को बिठाया जा रहा है जो अपने नजरिये से सारी चीजों का आकलन करना चाहेंगे. यह देश किसी एक धर्म, व्यक्ति और पार्टी से नहीं चल सकता है. सामाजिक ताना-बाना ध्वस्त करने की साजिश हो रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद समेत अन्य समाजवादी विचारधारा वाले दलों के विलय की बात चली थी. अब बात गंठबंधन पर आ गयी है?

विलय हो या गंठबंधन, हम मिल कर बिहार में भाजपा को पंक्चर करेंगे. गैर भाजपा दल मिल कर भाजपा का रास्ता रोकेंगे. इसमें राजद सबसे आगे रहेगा. हम वचनबद्ध हैं, सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता में नहीं आने देने के लिए. सबको साथ आना होगा.

बिहार विधानसभा चुनाव क्या मुख्य मुद्दा होगा?

भाजपा को रोकना और सामाजिक न्याय की धारा मजबूत करना. सभी पिछड़ी, अति पिछड़ी, दलित-महादलित व अगड़ी जाति के लोगों को गोलबंद करेंगे और भाजपा को यहां किसी कीमत पर नहीं आने देंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें