28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

किस्मत के भरोसे रहने से नहीं मिलती मंजिल

आशीष आदर्श, कैरियर काउंसेलर मैंने किसी पुस्तक में एक कहानी पढ़ी थी, जिसने मुझेबहुत प्रभावित किया. इस लेख के शीर्षक पर आने से पहले मैं उस कहानी को आपसे बांटना चाहता हूं. एक बार दो मेंढक एक दूध की बाल्टी में गिर गये. बाल्टी में गिरते ही दोनों मेंढक नीचे की ओर डूबने लगे. डूबने […]

आशीष आदर्श, कैरियर काउंसेलर

मैंने किसी पुस्तक में एक कहानी पढ़ी थी, जिसने मुझेबहुत प्रभावित किया. इस लेख के शीर्षक पर आने से पहले मैं उस कहानी को आपसे बांटना चाहता हूं. एक बार दो मेंढक एक दूध की बाल्टी में गिर गये. बाल्टी में गिरते ही दोनों मेंढक नीचे की ओर डूबने लगे. डूबने से बचने के लिए दोनों जल्दी-जल्दी साइकिल पैडल की तरह पैर चलाने लगे, ताकि वे ऊपर ही तैरते रहें. थोड़ी देर के बाद पहले मेंढक ने दूसरे मेंढक से कहा, लगता है हमारी मौत नजदीक आ गयी है, नहीं तो हम आज इस बाल्टी में क्यों गिरते.

इस बात को सुन कर दूसरे मेंढक ने कहा, अरे नहीं, चिंता मत करो, जरूर कुछ होगा, केवल पैडल मारते रहो. फिर दोनों पैडल मारने लगे. थोड़ी देर के बाद फिर पहले मेंढक ने कहा, क्यों ऊर्जा बर्बाद कर रहे हो, आज रविवार है, ग्वाला भी नहीं आयेगा. इसलिए हमारे बचने का कोई रास्ता नहीं, हमारी किस्मत ही खराब है. अब हम पैडल मारना छोड़ दें और शांति से मर जायें, यही एक रास्ता है. दूसरे मेंढक ने कहा, क्या बेकार की बात करते हो, धैर्य रखो और पैडल मारते रहो, जरूर कुछ न कुछ होगा. फिर दोनों पैडल मारने लगे.

थोड़ी देर बाद फिर पहले मेंढक ने कहा, अब मुझसे पैडल नहीं मारा जायेगा, जब हमें मरना ही है, तो क्यों हम इस बात को स्वीकार नहीं कर लेते कि हमारी किस्मत ही खराब है और अब कुछ नहीं होगा. दूसरे मेंढक ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना और पैडल मारना छोड़ दिया. थोड़ी ही देर में वह डूब कर मर गया. दूसरा मेंढक अभी भी पैडल मार रहा था. पैडल मारते-मारते उसे अपने पैर के नीचे कुछ ठोस सा महसूस हुआ. उसने गर्दन घुमा कर देखा तो पाया कि उसके लगातार पैडल मारने से वहां मक्खन जम गया था. उसने उसी मक्खन का सहारा लेकर छलांग लगायी और बाल्टी से बाहर आ गया.

हममें से अधिकांश लोग कुछ ज्यादा ही किस्मत के भरोसे होते हैं. शायद खुद काम नहीं करने के कारण असफल होने का इससे बेहतर बहाना खुद को और दुनिया को संतुष्ट करने का नहीं हो सकता. जो लोग उस पहले मेंढक की तरह थोड़ी-सी परेशानी आने पर उसका हल निकालने के बजाय अपनी किस्मत को कोसने बैठ जाते हैं, उनको जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता. लेकिन, हमें अपने जीवन को दूसरे मेंढक की तरह ढालना है, ताकि विषम परिस्थितियों में भी हम अपना कर्म जारी रखें. इस उम्मीद के साथ कि मैं अपना कर्म लगातार पूरी ऊर्जा के साथ कर रहा हूं, कुछ न कुछ अच्छा अवश्य होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें