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12 वीं के बाद यहां बनाए अपना कैरियर

आशीष आदर्श कैरियर काउंसेलर 12वीं के बाद कैरियर की दिशा को लेकर विद्यार्थियों के मन में कई सवाल होते हैं. मसलन- कौन-सी स्ट्रीम चुनें, प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिला लें या पारंपरिक डिग्री हासिल करें आदि. काउंसेलर की मानें तो कैरियर की दिशा चुनते वक्त आपको दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-क्षमता और रुचि. यदि […]

आशीष आदर्श
कैरियर काउंसेलर
12वीं के बाद कैरियर की दिशा को लेकर विद्यार्थियों के मन में कई सवाल होते हैं. मसलन- कौन-सी स्ट्रीम चुनें, प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिला लें या पारंपरिक डिग्री हासिल करें आदि. काउंसेलर की मानें तो कैरियर की दिशा चुनते वक्त आपको दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-क्षमता और रुचि.
यदि आप इन बातों की तह तक पहुंच गये, तो आप अपने क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर सकते हैं. नजर डालते हैं बारहवीं के बाद के उन प्रमुख कैरियर विकल्पों पर, जिनमें से कोई एक क्षेत्र चुन कर आप मंजिल तक पहुंच सकते हैं, बशर्ते आपने क्षेत्र का चुनाव अपनी क्षमता और रुचि का आकलन करने के बाद किया हो.
इससे पहले कि हम बारहवीं के बाद के कैरियर विकल्पोंपर नजर डालें,मुङो एक सच्ची घटना याद आती है. महज इंटरमीडिएट पास बिहार काअशोक सिंह दिल्ली में एक ठेकेदार के रूप में काम करता था.
कुछ समय बाद जब उसे रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ ग्रोथ नजर आया, तो उसने अपनी एक रियल एस्टेट कंपनी खोल ली. अचानक आये रियल एस्टेट बूम ने उसे अफरात पैसा दिया. फिर उसे किसी ने सलाह दी कि शेयर में पैसा लगाओ, काफी मुनाफा होगा. उसने रियल एस्टेट से जमा किये पैसे को शेयर मार्केट में लगा दिया, ताकि कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके. कुछ समय बाद शेयर मार्केट में भारी गिरावट आयी और उसके पैसे की कीमत एक-तिहाई रह गयी.
आज अशोक का सारा प्रोजेक्ट ठप्प पड़ा है और लेनदार उसकी ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं. यहां ऐसा प्रतीत होता है कि यदि वाणिज्य की बारीकियों का ज्ञान अशोक को होता तो शायद वह जोखिम का हिसाब-किताब लगाते हुए ऐसा कदम उठाता. इस कहानी का तात्पर्य यह है कि आज के दिन व्यवसाय या फाइनांस भी वही इंसान संभाल सकता है, जिसे वाणिज्य के तकनीकी पहलुओं की समझ हो. युवाओं का एक बड़ा वर्ग वाणिज्य को सशक्त कैरियर के रूप में देख रहा है.
एक और उदाहरण देखते हैं. कुछ वर्ष पहले मेरे पास एकछात्र आया. उसने मैट्रिक की परीक्षा दी थी. उसके पिता उसे गणित और विज्ञान विषय लेने के लिए दबाव डालरहे थे, जबकि छात्र आर्ट्स लेकर अपने कैरियर को आगे बढ़ाना चाहता था. उसके पिता ने उसे समझाया कि आर्ट्स तो वे छात्र लेते हैं, जिनका गणित या विज्ञान में नामांकन नहीं हो पाता. उनके कहने का तात्पर्य था कि आर्ट्स तीसरे दर्जे के छात्र लेते हैं. अपने पिता को लाख समझाने के बाद भी हार कर छात्र को पीसीएम लेना पड़ा, किसी तरह 52 फीसदी अंक के साथ 10+2 कर पाने से छात्र का हौसला और आत्मविश्वास डगमगा गया.
सिविल सर्विस या बैंकिंग सेक्टर में जॉब का ख्वाब देखनेवाला एक होनहार छात्र गलत धारणा का शिकार हो गया और आज एक निजी स्कूल में मामूली चपरासी के रूप में काम कर रहा है. यह शायद बीते सदियों की बात या भ्रांति हो सकती है कि आर्ट्स के छात्र साइंस या कॉमर्स के छात्रों से कमजोर हैं, लेकिन आज परिभाषा बदल चुकी है. कई ऐसे क्षेत्र भी आर्ट्स के छात्रों के लिए खोल दिये गये हैं, जिन पर कभी साइंस या कॉमर्स के छात्रों का एकाधिकार हुआ करता था. तो जानते हैं सभी विषयों पर आधारित हमारे लिए मौजूद मौकों के बारे में .
वाणिज्य से 12वीं के बाद की राहें
1. चार्टर्ड अकाउंटेंसी
जो छात्र 10+2 में वाणिज्य लेते हैं, उनकी पहली प्राथमिकता चार्टर्ड अकाउंटेंसी होती है. आपको शायद यह जानकर हैरानी होगी कि भारतीयचार्टर्ड अकाउंटेंसीकी मांग कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देशों में है.
अंतरराष्ट्रीय अवसरों के कारण भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंसी युवाओं के लिए अग्रिम कैरियर विकल्प बन गया है. द इंस्टीट्युट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, जो भारत सरकारके अधीन पंजीकृत संस्था है, को भारत में इस क्षेत्र में पाठ्यक्रम चलाने का एकाधिकार प्राप्त है. विशेष जानकारी के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट आइसीएआइ डॉट ओआरजी पर संपर्क करें.
2. कंपनी सेक्रेटरीशिप
वाणिज्य से 10+2 पूरा करने वाले छात्रों का एक बड़ा वर्ग कंपनी सेक्रेटरी बनना चाहता है. आज हर उस कंपनी में, जिसका पेड-अप पूंजी 1 करोड़ से अधिक है, एक कंपनी सेक्रेटरी होना अनिवार्य है.
तीन स्तरों में होने वाले इस पाठ्यक्रम सह परीक्षा की विस्तृत जानकारी के लिए आपइंस्टीट्युट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट आइसीएस आइ डॉट इडीयू पर संपर्क करें.
3.कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट
फाइनांस के क्षेत्र में एक नया क्षेत्र उभर कर आया है, जिसे कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंसी के नाम से जाना जाता है. चार्टर्ड अकाउंटेंसी या कंपनी सेक्रेटरीशिप की तरह तीन स्तरों- फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल परीक्षा को उत्तीर्ण कर कॉस्ट अकाउंटेंट की योग्यता प्राप्त कर सकता है. कॉस्टअकाउंटेंट किसी कंपनी का वह पदाधिकारी होता है, जिसे अपनी तकनीकी दक्षता से कंपनी की पूंजी व लागत का उचित इस्तेमाल करना होता है. विस्तृत जानकारी के लिए आपइंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंसी ऑफ इंडिया की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट आइसीएमएआइ डॉट इन पर संपर्क करें.
4. लॉ
वाणिज्य से बारहवीं के बाद छात्रों का एक बड़ा तबका लॉ के क्षेत्र में जाता है. 10+2 के बाद 5 वर्षीयलॉइंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम पूरा करकानून के क्षेत्र में कैरियर को एक नयी दिशा दी जा सकती है. पहले इस इंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम में केवल बीएएलएलबी पाठ्यक्रम ही होता था.
परंतु समय की मांग को देखते हुए बीएएलएलबी के अतिरिक्त व्यापार प्रबंधन की चाह रखने वाले छात्रों के लिएबीबीएएलएलबी, विज्ञान के छात्रों के लिए बीएससीएलएलबी या कॉमर्स के छात्रों के लिए बीकॉमएलएलबी पाठ्यक्रमों की भी घोषणा कर दी गयी है.
इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आपको एक विशेष प्रवेश जांच परीक्षा देनी होगी, जिसे कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी क्लैट कहा जाता है. इस प्रवेश जांच परीक्षा के माध्यम से आपको देश के प्रतिष्ठित लॉ विश्वविद्यालय में दाखिले का अवसर प्राप्त होगा. विशेष जानकारी के लिए आप वेबसाइट पर विजिट करें.
5. बैंकिंग
यदि हम यह कहें कि आनेवाले कुछ वर्ष बैंकिंग के क्षेत्र में नयी नौकरियों की चाह रखने वाले छात्रों के नाम होंगे, तो कुछ गलत न होगा. आगामी कुछ वर्षो में लगभग 1 लाख से अधिक छात्रों के लिए बैंकिंग सेक्टर के दरवाजे खुले रहेंगे. यदि आप 10+2 के बाद इस क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं, तो क्लर्क लेवल के लिए आवेदन करें.
हालांकि कई बैंकों में अब क्लर्क के लिए भी स्नातक आवश्यक योग्यता के रूप में मांगी जाती है. परंतु कुछ विकल्प अभी भी 10+2 के बाद इस पद के लिए उपलब्ध हैं. यदि आप प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में इस क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं, तो वाणिज्य से स्नातक करें और प्रवेश जांच परीक्षा में बैठने की रणनीति बनायें. बैंकों की रिक्तियों की अधिसूचना निरंतर अखबारों व रोजगार समाचार में निकलती रहती हैं.
6. बिजनेस मैनेजमेंट
भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था ने जहां एक ओर कॉरपोरेट दुनिया को नया आयाम प्रदान किया, वहीं दूसरी ओर बिजनेस मैनेजरों की भारी मांग ने युवाओं के लिए कैरियर द्वार खोल दिया. 10+2 वाणिज्य के बाद 3 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम आपको बिजनेस मैनेजमेंट की दुनिया में प्रवेश दिलासकते हैं. इन पाठ्यक्रमों को अलग-अलग विश्वविद्यालय में कई बार अलग-अलग नाम से जाना जाता है, परंतु इनके कोर्स कंटेंट लगभग एक जैसे होते हैं.
कहीं इसे बीबीए यानी बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन कहा जाता है, तो कहीं इसे बीबीएमयानी बैचलर इन बिजनेस मैनेजमेंट कहा जाता है. दिल्ली विश्वविद्यालय में इसे बैचलर इन बिजनेस स्टडीज का नाम दिया गया है. इन पाठ्यक्रमों में स्नातक करने के बाद किसी अच्छे संस्थान से एमबीए करने वाले छात्रों को पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत नहीं पड़ती.
7. पत्रकारिता
एक समय था जब इस विषय को हिंदी या अंगरेजी विभाग के साथ जोड़कर पढ़ाया जाता था. लेकिन हाल के वर्षो में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चकाचौंध ने युवाओं के एक बड़े वर्ग का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. 10+2 वाणिज्य के बाद 3 वर्षीय बैचलर्स इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन या बीए (जेएमसी) जैसा पाठ्यक्रम आपको मीडिया के क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर दे सकता है. परंतु इस क्षेत्र में संघर्ष है, आपके स्थापित होने की समय सीमा भी निश्चित नहीं है.
इस जोखिम को ध्यान में रखकर ही आप इस क्षेत्र में जाने की योजना बनायें. इस क्षेत्र में सफलता के लिए आपकी भाषा पर मजबूत पकड़ बेहद जरूरी है, चाहे बात प्रिंट मीडिया की हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की. वाणिज्य से पढाई करने के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में कैरियर बनाने का सपना देखने वाले छात्र बिजनेस स्टैंडर्ड, इंडियन इकनोमी, सीएनबीसी आवाज जैसे चैनलों में रोजगार खोज सकते हैं. इन चैनलों में वाणिज्य के जानकार को आर्थिक या बिजनेस पेज या प्रोग्राम का उत्तरदायी बनाया जाता है.
8. कंप्यूटर साइंस
एक समय था जब केवल गणित के छात्र ही इस क्षेत्र में प्रवेश करते थे. समय के साथ बढ़ती मांग को देखते हुए कई विश्वविद्यालय वाणिज्य या आर्ट्स के छात्र को भी इस क्षेत्र में प्रवेश देते हैं. बीसीए यानी बैचलर इन कंप्यूटर अप्लीकेशन के लिए 10+2 पर आर्ट्स, साइंस या कॉमर्स की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन इसी प्रकार के अन्य पाठ्यक्रम जैसे बीएससी (कंप्यूटर साइंस) या बीएससी (आइटी) में प्रवेश के लिए ज्यादातर विश्वविद्यालय 10+2 में गणित मांगते हैं.
यदि आपकी रुचि कंप्यूटर साइंस में है, तो नि:संकोच बीसीए पाठ्यक्रम को चुन सकते हैं. केवल एक बात का ध्यान रखें कि उक्त पाठ्यक्रम रेग्युलर हो, दूरशिक्षा के अंतर्गत नहीं, अन्यथा आपको पूरा व्यावहारिक ज्ञान नहीं मिल पायेगा, जो इस क्षेत्र में सफल होने का आधार है.
विज्ञान (गणित सहित) के बाद
विज्ञान (बायोलोजी के साथ) के बाद
1. मेडिकल
बायो के साथ 10+2 लेने वाले छात्रों का पहला कैरियर विकल्प मेडिकल होता है. एक बात समझना आवश्यक है. कई छात्र मेडिकल में कैरियर बनाने की चाह में चीन, रूस इत्यादि से मेडिकल की डिग्री लेकर आते हैं. ध्यान रहे, भारत में केवल वही मेडिकल डिग्री मान्य है, जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्य है.
यदि आप देश से बाहर से कोई मेडिकल की डिग्री लेकर आते हैं, तो आपको पुन: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना होगा, अन्यथा आपकी डिग्री अवैध हो जायेगी. कहने की आवश्यकता नहीं कि भारतीय मेडिकल संस्थानों में दाखिले के लिए सीबीएससी द्वारा प्रत्येक वर्ष ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट का आयोजन किया जाता है, जिसके आधार पर सरकारी-पोषित व निजी मेडिकल संस्थानों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लिया जा सकता है.
2. डेंटिस्ट्री
बायो के साथ 10+2 उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के लिए डेंटिस्ट्री (दांतों का डॉक्टर) भी एक उत्तम कैरियर विकल्प है. चार वर्षीय बैचलर इन डेंटल सर्जरी करने के बाद यदि आप इसमें मास्टर्स कर लें तो फिर पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता नहीं होगी. मान्य संस्थानों की अद्यतन जानकारी डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के वेबसाइट पर उपलब्ध है. निजी संस्थानों के अतिरिक्त सरकारी संस्थानों में बीडीएस में दाखिले के लिए भी सीबीएससी द्वारा आयोजित ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट को उत्तीर्ण करना आवश्यक है.
3. बायोटेक्नोलॉजी
रिसर्च और तकनीक से यदि आपका लगाव हो, तो बायोटेक्नोलॉजी का क्षेत्र आपको एक स्थायी कैरियर विकल्प दे सकता है. फार्मा कंपनियों में निरंतर बायो तकनीक विशेषज्ञों के लिए रिक्तियां निकलती रहती हैं. इस विषय को लेकर दो प्रकार के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं- तीन वर्षीय बीएससी इन बायोटेक्नोलॉजी और चार वर्षीय बीटेक इन बायोटेक्नोलॉजी. कैरियर के लिहाज से इनमें से किसी पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद एमबीए करना बेहतर होगा, ताकि आपको तकनीकी ज्ञान के साथ साथ प्रबंधन कौशल भी आ सके.
4. अल्टरनेटिव मेडिसिन
एमबीबीएस के अतिरिक्त होमियोपैथी, यूनानी, आयुर्वेद जैसे अन्य कैरियर विकल्प भी हैं, जो आपको एक डॉक्टर के रूप में स्थापित कर सकते हैं. बैचलर इन आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी, बैचलर इन होमियोपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी के अतिरिक्त नेचुरोपैथी, योग, फिजियोथेरपी जैसे पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिनको आप अपनी रुचि के अनुसार चुन सकते हैं.

5. नर्सिग
नर्सिग का क्षेत्र उन चुनिंदा क्षेत्रों में है, जिन में कभी भी रोजगार के अवसर कम नहीं होंगे. इस क्षेत्र में कई पाठ्यक्रम हैं, जैसे एक वर्षीय ऑक्जिलियरी नर्सिग मिडवाइफरी यानी एएनएम से लेकर चार वर्षीय बीएससी नर्सिग तक. मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची काउंसिल की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट इंडियन
नर्सिग काउंसिल डॉट ओआरजी पर उपलब्ध है.
आर्ट्स के छात्रों के लिए राहें

1. टीचिंग
आर्ट्स के छात्रों के लिए टीचिंग एक बेहतर विकल्प है. हालांकि आपको इस क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले यह सोचना है कि आप किस स्तर की टीचिंग में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं- स्कूल लेवल या कॉलेज या यूनिवर्सिटी लेवल पर.
जहां स्कूल लेवल की टीचिंग में स्थापित होने के लिए आपको स्नातक के बाद बीएड और उसके बाद टीइटी यानी टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट से गुजरना होगा, वहीं कॉलेज या विश्वविद्यालय स्तर की टीचिंग के लिए स्नातकोत्तर के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा वर्ष में दो बार संचालित नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी नेट आपको उत्तीर्ण करना होगा. विश्वविद्यालय में लेक्चरर के रूप में कैरियर बनाने में कई वर्ष लग सकते हैं, परंतु इसमें वेतनमान स्कूल शिक्षकों के मुकाबले कई गुना अधिक है.
2. लॉ
आर्ट्स सेबारहवीं के बाद छात्रों का एक बड़ा तबका लॉ के क्षेत्र में जाता है. 10+2 आर्ट्स के बाद 5 वर्षीयलॉइंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम पूरा कर कानून के क्षेत्र में कैरियर को एक नयी दिशा दी जा सकती है.
पहले इस इंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम में केवल बीएएलएलबी पाठ्यक्रम ही होता था. परंतु समय की मांग को देखते हुए बीएएलएलबी के अतिरिक्त व्यापार प्रबंधन की चाह रखने वाले छात्रों के लिएबीबीएएलएलबी, विज्ञान के छात्रों के लिए बीएससीएलएलबी या कॉमर्स के छात्रों के लिए बीकॉमएलएलबी पाठ्यक्रमों की भी घोषणा कर दी गयी है.
इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आपको एक प्रवेश परीक्षा देनी होगी, जिसे कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी क्लैट कहा जाता है. इस परीक्षा के माध्यम से आपको देश के प्रतिष्ठित लॉ विश्वविद्यालय में दाखिले का अवसर प्राप्त होगा. विशेष जानकारी के लिए आप वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट सीएलएटी डॉट एसी डॉट इन पर विजिट करें.
3. बैंकिंग
आनेवाले कुछ वर्ष बैंकिंग के क्षेत्र में नयी नौकरियों की चाह रखनेवाले छात्रों के नाम होंगे. आगामी कुछ वर्षो में एक लाख से अधिक छात्रों के लिए बैंकिंग सेक्टर के दरवाजे खुले रहेंगे. यदि आप 10+2 के बाद इस क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं, तो क्लर्क लेवल के लिए आवेदन करें.
हालांकि कई बैंकों में अब क्लर्क के लिए भी स्नातक आवश्यक योग्यता के रूप में मांगी जाती है, पर कुछ विकल्प अभी भी 10+2 के बाद इस पद के लिए उपलब्ध हैं. यदि आप प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में इस क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं, तो वाणिज्य से स्नातक करें और प्रवेश जांच परीक्षा में बैठने की रणनीति बनायें. बैंकों की रिक्तियों की अधिसूचना निरंतर अखबारों व रोजगार समाचार में निकलती रहती हैं.
4. बिजनेस मैनेजमेंट
10+2 वाणिज्य के बाद तीन वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम आपको बिजनेस मैनेजमेंट की दुनिया में प्रवेश दिलासकते हैं. इन पाठ्यक्रमों को अलग-अलग विश्वविद्यालय में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, परंतु इनके कोर्स कंटेंट लगभग एक जैसे होते हैं.
कहीं इसे बीबीए यानी बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन कहा जाता है, तो कहीं इसे बीबीएमयानी बैचलर इन बिजनेस मैनेजमेंट कहा जाता है. दिल्ली विश्वविद्यालय में इसे बैचलर इन बिजनेस स्टडीज का नाम दिया गया है. इन पाठ्यक्रमों में स्नातक करने के बाद किसी अच्छे संस्थान से एमबीए करने वाले छात्रों को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ती.
5. पत्रकारिता
पहले इस विषय को हिंदी या अंगरेजी विभाग के साथ पढ़ाया जाता था. अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चकाचौंध ने युवाओं के एक बड़े वर्ग का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है. आर्ट्स से 10+2 के बाद तीन वर्षीय बैचलर्स इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन या बीए (जेएमसी) जैसा पाठ्यक्रम आपको मीडिया के क्षेत्र में प्रवेश का अवसर दे सकता है.
परंतु इस क्षेत्र में संघर्ष है, आपके स्थापित होने की समय सीमा भी निश्चित नहीं है. इस जोखिम को ध्यान में रख कर ही आप इस क्षेत्र में जाने की योजना बनायें. इस क्षेत्र में सफलताके लिए आपकी भाषा पर मजबूत पकड़ बेहद जरूरी है, चाहे बात प्रिंट मीडिया की हो या इलेक्ट्रोनिक मीडिया की.
6. कंप्यूटर साइंस
एक समय था जब केवल गणित के छात्र ही इस क्षेत्र में प्रवेश करते थे. समय के साथ बढ़ती मांग को देखते हुए कई विश्वविद्यालय वाणिज्य या आर्ट्स के छात्र को भी इस क्षेत्र में प्रवेश देते हैं. बीसीए यानी बैचलर इन कंप्यूटर अप्लीकेशन के लिए 10+2 पर आर्ट्स, साइंस या कॉमर्स की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन इसी प्रकार के अन्य पाठ्यक्रम जैसे बीएससी (कंप्यूटर साइंस) या बीएससी (आइटी) में प्रवेश के लिए ज्यादातर विश्वविद्यालय 10+2 में गणित मांगते हैं.
यदि आपकी रुचि कंप्यूटर साइंस में है, तो नि:संकोच बीसीए पाठ्यक्रम को चुन सकते हैं. केवल एक बात का ध्यान रखें कि उक्त पाठ्यक्रम रेग्युलर हो, दूरशिक्षा के अंतर्गत नहीं, अन्यथा आपको पूरा व्यावहारिक ज्ञान नहीं मिल पायेगा, जो इस क्षेत्र में सफल होने का आधार है.
7. इंडियन आर्मी
देश के युवाओं का एक तबका ऐसा भी है, जो अपने रोजगार के साथ-साथ देश की सेवा भी करना चाहता है. यदि आप भी उन युवाओं में शामिल हैं, तो आर्ट्स के छात्र के रूप में आपके लिए यहां भी इंडियन आर्मी के दरवाजे खुले हुए हैं. 10+2 के बाद आप अपने आर्ट्स के मनपसंद विषय से ही स्नातक करें, और जब आप स्नातक के अंतिम वर्ष में हों, तो संयुक्त लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सीडीएस यानी कंबाइंड डिफें स सर्विस में प्रवेश की योजना बनायें.
साल में दो बार होने वाली इस प्रवेश जांच परीक्षा में सालाना लगभग 500 छात्रों का चयन किया जाता है. प्रतिष्ठा और रोजगार के साथ देश की सेवा करने का अवसर पाने की चाह रखने वाले छात्रों के लिए यह बेहद रोमांचक विकल्प है. विशेष जानकारी के लिए इंडियन आर्मी की अधिकृत वेबसाइट को विजिट करें.

8. फैशन वर्ल्‍ड
युवाओं के मनचाहे कैरियर विकल्पों में एक है- फैशन डिजाइनिंग. लेकिन, छात्र फैशन टेक्नोलोजी और फैशन डिजाइनिंग में अक्सर कन्फ्यूज कर जाते हैं. फैशन टेक्नोलोजी के लिए यह आवश्यक है कि छात्र का 10+2 स्तर पर विज्ञान और गणित हो, क्योंकि यह एक तकनीकी पाठ्यक्रम है और इसमें कपड़े के निर्माण से जुड़ी तकनीकी पहलुओं का प्रशिक्षण दिया जाता है.
लेकिन अगर आपका इंटरेस्ट फैशन डिजाइनिंग में है, तो आर्ट्स के छात्र होते हुए भी आप इसमें प्रवेश कर सकते हैं. आज फैशन डिजाइनिंग में कई स्पेशलाइजेशन विषय भी शामिल हो गये हैं, जैसे फुटवेयर, अपरेल, असेसरीज, फर्नीचर,सेरामिक इत्यादि. उत्कृष्ट संस्थानों में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलोजी यानी निफ्ट (पटना सहित कई अन्य स्थानों पर स्थित), एनआइडी यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद या पर्ल इंस्टीट्यूट दिल्ली का नाम लिया जा सकता है.
9. प्रतियोगी परीक्षाएं
आर्ट्स लेनेवाले छात्रों के पास प्रतियोगी परीक्षाओं के भी ढेरों विकल्प खुले हुए हैं. भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्टर और क्लर्क से लेकर अधिकारी के रूप में, भारतीय विश्वविद्यालयों में स्नातक के बाद बीएलआइएस और एमएलआइएस करने के पश्चात लाइब्रेरियन के रूप में, स्नातक के बाद सरकारी विभागों में क्लर्क से लेकर सिविल सेवा, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) में विभिन्न पदों पर भविष्य बनाने के विकल्प खुले हैं.

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