प्रसव में ममता वाहन की नि:शुल्क सेवा
राज्य भर में हैं 2438 ममता वाहन संचालित
रांची:राज्य सरकार गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित व संस्थागत प्रसव के लिए ममता वाहन का संचालन करती है. ये वाहन गर्भवती को घर से अस्पताल व फिर प्रसव के बाद अस्पताल से घर लाने के लिए नि:शुल्क दिये जाते हैं. राज्य भर में निजी वाहन मालिकों से अनुबंध के आधार पर 2438 ममता वाहन (मारुति वैन या अन्य वाहन) संचालित हैं. जून 2013 तक करीब 3.6 लाख महिलाओं ने इसका लाभ उठाया है.
राज्य भर की 40 हजार सहिया के पास उनके जिले के कॉल सेंटर के नंबर हैं, जिन पर संपर्क कर ममता वाहन की सेवा ली जाती है. दरअसल, मां-बच्चे की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से तीन योजनाओं का संचालन हो रहा है. इनमें ममता वाहन, जननी सुरक्षा योजना व कुपोषण उपचार केंद्र शामिल हैं. सर्वप्रथम ममता वाहन के जरिये गर्भवती का संस्थागत प्रसव कराया जाता है.
प्रसव के दौरान सभी तरह की मेडिकल जांच या उपचार का खर्च सरकार उठाती है. वहीं जननी सुरक्षा योजना के तहत धात्री (बच्चे को जन्म देनेवाली) महिला को ग्रामीण क्षेत्र में 1400 रुपये व अधिसूचित शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. कुपोषित नवजात या छह वर्ष तक के बच्चों को बेहतर व स्वस्थ जिंदगी देने के लिए कुपोषण उपचार केंद्र चलाया जाता है, जहां मां अपने बच्चे के साथ 15 दिनों तक उक्त केंद्र में रह कर उसका इलाज कराती है. उचित पोषण व देखरेख से बच्चे को स्वस्थ किया जाता है. वहीं माता को प्रतिदिन एक सौ रुपये के हिसाब से 1500 रुपये का भुगतान भी किया जाता है.
राज्य सरकार ने केंद्र से छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में भी पालकी योजना शुरू करने का आग्रह किया था. केंद्र ने इसे मंजूरी दे दी है. इसके तहत दूर-दराज खास कर पहाड़ी इलाके की गर्भवती महिलाओं को समय रहते ममता वाहन तक पालकी में लाया जायेगा. इस काम में स्थानीय लोग लगाये जायेंगे, जिन्हें इस सेवा के लिए कुछ मानदेय भी मिलेगा. अभी इसकी राशि तय नहीं है. पहाड़ी क्षेत्रों में गर्भवती को होनेवाली परेशानी के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है. अभी इसकी राशि तय नहीं है.