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हिंदी बोलने पर स्कूलों में लगता है जुर्माना

पटना: पटना के कई स्कूलों में ट्यूशन फीस के अलावा अभिभावकों को फाइन पर भी हर हफ्ते कुछ रुपये खर्च करना पड़ता है. खासकर प्राइवेट और मिशनरी स्कूलों में पढ़नेवाले स्टूडेंट्स को हर दिन ऐसे फाइन से दो-चार होना पड़ता है. कभी होमवर्क नहीं करने को लेकर फाइन जमा करना पड़ता है, तो कभी मोबाइल […]

पटना: पटना के कई स्कूलों में ट्यूशन फीस के अलावा अभिभावकों को फाइन पर भी हर हफ्ते कुछ रुपये खर्च करना पड़ता है. खासकर प्राइवेट और मिशनरी स्कूलों में पढ़नेवाले स्टूडेंट्स को हर दिन ऐसे फाइन से दो-चार होना पड़ता है. कभी होमवर्क नहीं करने को लेकर फाइन जमा करना पड़ता है, तो कभी मोबाइल पकड़े जाने पर जुर्माना देना पड़ता है.

स्कूल प्रशासन के अनुसार स्कूल के अनुशासन को मेंटेन करने के लिए ऐसा किया जाता है, पर अभिभावकों पर हर हफ्ते इसका बोझ पड़ता है. अगर स्टूडेंट्स फीस जमा करने में देरी करते हैं, तो उनसे पांच रुपये के हिसाब से फाइन लिया जाता है. कई बार ऐसा होता है कि अभिभावक समय पर शुल्क जमा नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उन्हें फाइन के साथ फी देना पड़ता है. अभिभावक पीयूष गोयल ने बताया कि उन्होंने कई बार लेट फाइन दिया है. रिक्वेस्ट करने पर भी इसमें कोई नहीं सुनता है.

दिया जाता है नोटिस

कई स्कूल छात्रों के साथ अभिभावकों को भी नहीं छोड़ते है. जूनियर क्लास में पढ़ रहे अभिभावकों को स्कूल की ओर से नोटिस दिया जाता है. नोटिस के अनुसार अभिभावकों को घर में भी बच्चों के साथ इंगलिश में बात करने की सलाह दी जाती है. ऐसा नहीं करने पर बच्चे को स्कूल से निकाल दिये जाने की भी धमकी स्कूल की ओर से दी जाती है. अभिभावक मनीष कुमार ने बताया कि उनकी बेटी मॉन्टेंसरी थ्री में पढ़ती है. घर में उसके साथ हमलोग हिंदी में ही बातें करते हैं. एक दिन स्कूल से हमारे पास नोटिस आया कि आपके बच्चे की इंगलिश में हिंदी मिक्स होती है. चूंकि आपका बच्च घर में पूरी तरह से हिंदी बोलता है. इस कारण उसकी इंगलिश सही नहीं है. आप इंगलिश में ही बच्चे के साथ बात करें. अगर एक महीने में आपके बच्चे की इंगलिश सही नहीं हुई, तो मजबूरी में उसे स्कूल से निकाल दिया जायेगा.

गाली देने पर फाइन दुगुना

स्कूलों में अगर कोई स्टूडेंट आपस में बोलचाल में भी गाली आदि का उपयोग करता है और इसकी जानकारी स्कूल प्रशासन को मिल जाती है, तो इसके लिए पांच रुपये का आर्थिक दंड उसे देना पड़ता है. इसके बाद भी उस स्टूडेंट में सुधार नहीं होता है तो फाइन को डबल कर दिया जाता है. वैसे स्टूडेंट पर नजर रखी जाती है तथा इसकी रिपोर्ट क्लास के मॉनीटर से ली जाती है. इसके अलावा स्टूडेंट अगर एक मिनट लेट भी स्कूल पहुंचता है, तो इसके लिए उसे 3 रुपये फाइन देना होता है. अगर लगातार तीन दिनों तक कोई स्टूडेंट लेट आता है, तो चौथे दिन फाइन के अलावा स्कूल में अब्सेंट लगा दिया जाता है.

सिर्फ हिंदी की कक्षा में ही बोलें हिंदी

स्कूलों में हिंदी क्लास में ही हिंदी बोलने की सलाह दी जाती है. स्टूडेंट्स से कहा जाता है कि स्कूल में वे सिर्फ हिंदी की कक्षा में ही हिंदी बोलें. दूसरे हर विषय के क्लास में इंगलिश में बात करें. अगर कोई स्टूडेंट हिंदी क्लास छोड़ कर दूसरे किसी भी क्लास में पढ़ाई के अलावा आपस में बातचीत भी हिंदी में करते हैं, तो इसके लिए भी आर्थिक दंड के रूप में सजा दी जाती है.

केस : एक

पूजा क्लास छठी की छात्र है. वह एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ रही है. हर हफ्ते पूजा को 10 से 12 रुपये फाइन देना होता है. पूजा को यह फाइन स्कूल का कोई अनुशासन तोड़ने के लिए नहीं देना होता है, बल्कि स्कूल में रहते हुए राष्ट्रभाषा हिंदी बोलने पर देना होता है. उसे हिंदी में बात करने पर एक रुपये का फाइन देना होता है. इतना हीं नहीं, पूजा को हिंदी बोलने पर दूसरे क्लास रूम में भी घुमाया जाता है. साथ में दूसरे स्टूडेंट को बताया जाता है कि इस स्टूडेंट को इंगलिश बोलने में परेशानी हो रही है.

केस : दो

साक्षी पटना के ही एक प्रतिष्ठित स्कूल में क्लास पांचवीं की छात्र है. एक दिन उसे सजा के तौर पर पूरे जूनियर सेक्शन में घुमाया गया, क्योंकि उसने बातचीत में हिंदी शब्दों का प्रयोग किया था. साथ ही उसके जूते में पॉलिश नहीं था. क्लास रूम में घुमाने के अलावा साक्षी को दो रुपये का फाइन भी देना पड़ा. इससे साक्षी काफी डिप्रेस्ड हो गयी. इस वाकया के बाद से उसके क्लास के साथ जूनियर सेक्शन के स्टूडेंट्स भी उसे चिढ़ाते हैं. ऐसे में साक्षी के अभिभावक ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास शिकायत की है.

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