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कौन सच्चा, कौन झूठा

अभी कुछ दिनों पहले ‘कहानी’ के सीक्वल को लेकर सुजॉय घोष व जयंतीलाल में जुबानी जंग छिड़ी थी. अब नयी खबर है कि राजकुमार संतोषी ‘अंदाज अपना-अपना’ के सीक्वल को लेकर परेशान हैं. उनका दावा है कि फिल्म के सीक्वल के राइट्स उनके पास हैं. हालांकि एक प्रोडक्शन हाउस उन्हें झूठा करार दे रहा है. […]

अभी कुछ दिनों पहले ‘कहानी’ के सीक्वल को लेकर सुजॉय घोष व जयंतीलाल में जुबानी जंग छिड़ी थी. अब नयी खबर है कि राजकुमार संतोषी ‘अंदाज अपना-अपना’ के सीक्वल को लेकर परेशान हैं. उनका दावा है कि फिल्म के सीक्वल के राइट्स उनके पास हैं. हालांकि एक प्रोडक्शन हाउस उन्हें झूठा करार दे रहा है. दरअसल, रीमेक के दौर में फिल्म की मेकिंग राइट्स को लेकर खूब विवाद सामने आ रहे हैं. पेश है अनुप्रिया अनंत की रिपोर्ट.

फिल्म जंजीर की रीमेक को लेकर सलीम-जावेद ने कोर्ट तक का रास्ता अख्तियार किया. हालांकि, फिल्म रिलीज हुई और अंतत: वे दोनों तीन करोड़ रुपये में राजी हो गये. सलीम-जावेद ने जंजीर के रीमेक के राइट्स को लेकर काफी विवाद खड़ा किया. दोनों का तर्क था कि उनके पास जंजीर की रीमेक के राइट्स हैं. इन दिनों जिस तरह बॉलीवुड में चारों तरफ रीमेक और सीक्वल का दौर चल रहा है.

हर निर्माता और निर्देशक की कोशिश यही है कि वह ज्यादा-से-ज्यादा रीमेक व सीक्वल बना कर अपनी झोली भर ले. सलीम-जावेद को तो अपना हक मिल गया, लेकिन बॉलीवुड में सीक्वल की जंग खत्म नहीं हुई है. ऐसी कई फिल्में हैं, जिनके बारे में हर दिन नये विवाद सामने आ रहे हैं. ऐसे में दर्शक यह समझ ही नहीं पा रहे कि आखिर किस फिल्म की मेकिंग के राइट्स किसके पास हैं. कौन झूठ बोल रहा है, और कौन सच.

निर्माताओं की मनमानी

दरअसल, हकीकत यही है कि हिंदी सिनेमा में आज भी निर्देशक से अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली निर्माता है. यह सिलसिला आज से नहीं, वर्षो से चला आ रहा है. मंटो की किताब मीना बाजार को ध्यान से पढ़ें, तो वे सारी कहानियां निकल कर सामने आती हैं, जब हिंदी सिनेमा के कई निर्देशकों को निर्माता की मर्जी के सामने समझौते करने पड़े हैं. शुरुआती दौर स्वतंत्र निर्माताओं का था.

उस दौर में निर्माता की मनमर्जी और मनमानी चरम पर थी. निर्देशकों के पास उतने पैसे नहीं होते थे कि वे अपनी फिल्मों को खुद प्रोडय़ूस कर पाएं. इसी का फायदा निर्माता उठाते आये हैं. आज का दौर पूरी तरह से मार्केटिंग का है. अधिकतर निर्माता चाहते हैं कि वे मनमाने ढंग से किसी भी निर्देशक की क्रिएटिविटी अपने हक के लिए इस्तेमाल करें. आज के दौर में वैसे निर्देशक और निर्माता जोड़ी की दोस्ती कम ही बरकरार रह पायी है.

फिरोज नाडियावाला जरूर इसके अपवाद हैं. वर्षो बाद भी जब वह फिल्म ‘वेलकम बैक’ का सीक्वल लेकर आ रहे हैं तो उन्होंने फिल्म का निर्देशक नहीं बदला है. वरना आजकल अधिकतर सीक्वल फिल्मों के निर्देशक और कई अन्य तकनीकी लोग बदल दिये जाते हैं. फिल्म धूम सीरीज की शुरुआत संजय गाडवी के निर्देशन से हुई. मगर यशराज ने धूम 3 की जिम्मेदारी विजय कृष्णा को दे दी. इसी तरह अभिनव कश्यप ने अपनी मर्जी से फिल्म दबंग के सीक्वल को निर्देशित करने से इंकार कर दिया था.

सुजॉय-जयंती लाल की कहानी

सुजोय घोष ने फिल्म कहानी का निर्देशन किया था. साथ ही वे फिल्म के को-प्रोडयूसर भी रहे. वहीं फिल्म के प्रमुख निर्माता जयंतीलाल थे. अब इन दोनों में फिल्म के राइट्स को लेकर जंग छिड़ी है. जंयतीलाल का कहना है कि कहानी के सीक्वल बनाने के राइट्स उनके पास हैं, जबकि सुजॉय का कहना है कि केवल वे ही कहानी का सीक्वल बना सकते हैं. दोनों में विवाद तब खड़ा हुआ, जब सुजॉय ने कहानी के सीक्वल बनाने के लिए जयंतीलाल से 35 करोड़ रुपये की डिमांड की थी. इसके बाद जयंतीलाल ने कहानी के सीक्वल को अपने तरीके से बनाने का निर्णय लिया. लेकिन सुजॉय किसी भी हाल में कहानी फिल्म के सीक्वल बनाने की इजाजत नहीं दे रहे. इसे लेकर दोनों के बीच विवाद जारी है.

अंदाज अपना-अपना की जंग

राजकुमार संतोषी वर्षो से चाह रहे हैं कि वह अपनी फिल्म ‘अंदाज अपना-अपना’ का सीक्वल बनाएं, लेकिन अब तक वह इस कोशिश में नाकामयाब रहे हैं. निर्माता विनय सिन्हा उन्हें यह इजाजत नहीं दे रहे. ऐसे में वह चाह कर भी सीक्वल की शुरुआत नहीं कर पा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ विनय सिन्हा किसी और निर्देशक को लेकर फिल्म बनाने की योजना बना रहे हैं.

रीमेक बना कमाई का बेहतरीन जरिया

बॉलीवुड भले ही यह दिखावा करे कि यहां वे प्रोफेशनल तरीके से काम करते हैं. लेकिन हकीकत यही है कि हिंदी फिल्म जगत में आपसी रिश्ते खराब होते ही प्रोफेशनल रिश्ते भी खराब हो जाते हैं. इन दिनों जिस तरह से सीक्वल और रीमेक का दौर है. निर्माताओं की यही कोशिश होती है कि वे बिना क्रिएटिविटी दिखाये ही बने-बनाये फॉमरूले से सफलता का स्वाद चख लें. कई बार फिल्म को पूरी तरह रीमेक बताया जाता है, तो कई बार किसी खास फिल्म से प्रेरित. खासतौर से वे निर्माता जो लंबे समय से सफलता की तलाश में है, उन्हें रीमेक का सौदा बेहतर लग रहा है. सफलता का यह शॉर्टकट धड़ल्ले से जारी है. अब तक ऐसा कोई कानून नहीं है, जो इस ट्रेंड पर लगाम लगा सके.

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